विनोद सिल्ला
मेरे पङौस की हवेली
खाली पङी है
अब तो शायद
चूहों ने भी
ठिकाना बदल लिया
कभी यहाँ
चहल-पहल
रहती थी

उत्सव सा
रहता था
लेकिन आज
इसके वारिश
कई हैं
जो आपस में
लङते रहते हैं
संयुक्त परिवार
टूटने का दुख
इस हवेली को भी है
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता ने जन-जागरण में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन आज यह जनसरोकारों की बजाय पूंजी व सत्ता का उपक्रम बनकर रह गई है। मीडिया दिन-प्रतिदिन जनता से दूर हो रहा है। ऐसे में मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठना लाजिमी है। आज पूंजीवादी मीडिया के बरक्स वैकल्पिक मीडिया की जरूरत रेखांकित हो रही है, जो दबावों और प्रभावों से मुक्त हो। प्रवक्ता डॉट कॉम इसी दिशा में एक सक्रिय पहल है।