ग्रामीण पत्रकारिता के अग्रदूत पंडित गोपालकृष्ण पौराणिक

विवेक कुमार पाठक
 स्वतंत्र पत्रकार
पोहरी से निकलकर भारत और विश्व में विचार के लिए जाने गए सर्वतोभद्र क्रांति के पुरोधा पंडित  गोपाल कृष्ण पौराणिक मध्यप्रदेश  की पर्यटन नगरी शिवपुरी जिले के पोहरी कस्बे में जन्म लेने वाले विराट व्यक्तित्व थे। 100 साल के जीवन में एक दिशा धारा में भी देश दुनिया के लिए अनुकरणीय काम करना संभव नहीं होता मगर पौराणिकजी के व्यक्तित्व, कृतित्व, दर्शन, आचार विचार संस्कार ने मानवीय क्षमताओं की सीमाओं को मिथक साबित किया था। 
आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत के विकास के लिए किसानों की आमदनी दुगुनी करने की बात देश के किसानों से कर रहे हैं। पौराणिकजी ने अपने रचनात्म कार्यक्रमों से बताया था कि  कृषि प्रधान भारत के विकास का रास्ता गांवों से होकर ही बनेगा। गांवों को स्वाबलंबी बनाना होगा। उनमें लघु एवं कुटीर उद्योगों का ऐसा ढांचा खड़ा करना होगा जिससे गांव का आदमी गांव में ही रोजगार प्राप्त कर सके। वे जिस तरह का ग्रामीण विकास चाहते थे उसका वर्णन उन्होंने ग्रामीण भारत को समर्पित ऐतिहासिक मासिक अंग्रेजी पत्रिका द रुरल इंडिया में लिखकर वर्णन किया है। रुरल इंडिया मुंबई से तब प्रकाशित होती रही थी जब स्वतंत्रता आंदोलन चला और कई शताब्दियों की गुलामी के बाद आजाद भारत को विकास का खाका खुद खींचना जारी रहा था।
स्वतंत्र भारत मे अंतिम छोर के व्यक्ति तक पहुंचने जो किया जाना था वो बताना ही गोपालकृष्ण पौराणिक की जीवन यात्रा रही। 9 जुलाई 1900 को शिवपुरी जिले के पोहरी कस्बे में एक संस्कृतनिष्ठ विद्वान परिवार मेंं उनका जन्म हुआ। किशोर गोपालकृष्ण के व्यक्तित्व का निर्माण आर्यसमाजी विद्वान डॉ. केशवदेव शास्त्री, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, वीर सावरकर  ऐनी बेसेंट, पंडित मोतीलाल नेहरु, डॉ हार्डीकर, जैसे राष्ट्रवादी व गांधीवादी व्यक्तियों के बीच रचनात्मक गतिविधियों में सतत निर्माण हुआ। पौराणिकजी ने अपनी ईश्वर प्रदत्त व सरोकारपरक चिंतन मन से अर्जित नवान्वेषी विचारशीलता के दौरान अपने कस्बे मेंं सामाजिक विषमताओं, अशिक्षा, गंदगी, बेरोजगारी, अज्ञान से लेकर तमाम समस्याएं देखीं एवं अपनी मेधा से उनका जड़ से समाधान का रचनात्मक अांदोलन खड़ा करने उपासना और आराधना मानकर पोहरी में विचार और कार्य किया।
बस यहीं से ग्रामीण भारत की आदर्श संकल्पना की तस्वीर समाज के समक्ष उकरेने का कृतित्व शुरु हुआ।
जो गोपालकृष्ण प्रकाण्ड आर्यसमाजी डॉ. केशवदेव शास्त्री के सानिध्य और उनकी अमेरिकन पत्नी के प्रेरित किए जाने पर अमरीका जाकर संपादन कला का प्रशिक्षण लेने जा रहे थे वे पोहरी को देश ग्रामीण भारत का मॉडल बनाने तन, मन, धन और प्रण से जुट गए।
महात्मा गांधी द्वारा ब्रिटिश भारत में स्थापित तीन राष्ट्रीय विद्यापीठों की तर्ज पर पोहरी में देश के पहले आदर्श विद्यालय की स्थापना की गई।
उनके इस आदर्श विद्यालय में देश के नामचीन शिक्षाविद् पढ़ाने आए।
इस विद्यालय में मूल्यपरक शिक्षा के साथ सामाजिक समरसता, स्वाबलंबन, गांवों में कुटीर उद्योगों की संकल्पना से श्रमशीलता सहित आदर्श ग्रामीण अर्थव्यवस्था व आदर्श समाज व्यवस्था को साकार किया गया। पोहरी के आदर्श विद्यालय में साबरमती आश्रम की तरह रचनात्मक कार्यक्रम देश विदेश में लोकप्रिय हुए।  1931 में आदर्श सेवा संघ की स्थापना करके पंडित पौराणिक ने शिक्षा, समाजसेवा, ग्राम उन्नयन के साथ पोहरी जागीर के 252 ग्रामों में स्वास्थ्य शिक्षा एवं पंचायत से जुड़े कार्यों का संचालन संघ के स्वयंसेवकों से कराया।
इस तरह आदर्श विद्यालय पोहरी एवं आदर्श सेवा संघ के जरिए पंडित गोपाल कृष्ण पौराणिक ने संपूर्ण ग्रामीण विकास से भारत निर्माण का मॉडल स्वतंत्र भारत के शिल्पियों के समक्ष रखा था। वे ग्रामीण भारत को अर्थव्यवस्था और समाज व्यवस्था का आधार क्यों और क्यों मानते थे ये उनकी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति की ऐतिहासिक अंग्रेजी पत्रिका में दृष्टिपरक लेखों से देश दुनिया को बताते रहे। मप्र के एक छोटे से गांव का नवान्वेषी क्रांतिकारी विचार रखने वाला युवक गोपालकृष्ण विश्व को संपूर्ण समाज और राष्ट्र विकास की संकल्पना और उसे साकार करने का तरीका समझा रहा था। पोहरी में उनके ग्राम विकास के मॉडल को देखने आए विद्वान डॉ. भरतन कुमारप्पा ने पूंजीवाद, समाजवाद और ग्राम्यवाद में पंडित गोपालकृष्ण पौराणिक की ग्राम विकास की सुसंस्कृत अवधारणा को मौलिक और वैकल्पिक वैश्विक व्यवस्थाओं के लिए अनुकरणीय बताया। भारत के अंतिम वायसराय एवं स्वतंत्र भारत के अंतिम गवर्नर जनरल लार्ड माउंटबेटन एवं लेडी माउंटेबटन ने पोहरी के ग्रामीण विकास की ग्वालियर मेले में झलक मात्र देखकर पोहरी मे तैयार सूत, खादी वस्त्रों एवं ग्रामोद्योग वस्तुओं से प्रभावित होकर इसके लिए उन्हें प्रशस्त्रि पत्र भेजा। ये कई धाराओं में बहने वाली प्रज्ञा के स्वामी, सरोकारपरक और समर्पित जीवन जीने वाले आदर्श विद्वान के विचार थे। पोहरी के छर्च गांव में जन्मे पौराणिकजी आदर्श ग्रामीण जीवन की उजली तस्वीर थे। भारत में आज विकास के लिए गांवों की रुख करने का संदेश देने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक साथ गांवों में बैठे हजारों किसानों से वीडियो संवाद करके उसी कमी को पूरा करने प्रयत्शील हैं। मोदी सरकार की वर्तमान दिशा धारा वही बात बढ़ा रही है जो पोहरी में लघु एवं कुटीर उद्योगों एवं ग्रामीणों व स्वयंसेवकों को तब हुनर सिखाकर पंडितजी के पोरी मॉडल ने देश को दिया था। बहुत हद तक खेती और किसानी पर निर्भर अर्थव्यवस्था वाले आधुनिक भारत में आज उनके आचार विचार दर्शन और संस्कार कुछ पीछे चल रहे ग्रामीण भारत की आधारभूत आवश्यकता हैं।

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