विविधा

गौरक्षकों को प्रधान मंत्री जी की नसीहत के मायने

modi-gorakshaकल के कुछ समाचार पत्रों में विश्व हिन्दू परिषद् के प्रमुख डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया जी की प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा छद्म ‘गौरक्षकों’ के सम्बन्ध में दिए वक्तव्य पर तीखी प्रतिक्रिया प्रकाशित की है! एक समाचार पत्र ने तो यहाँ तक लिख दिया है कि श्री तोगड़िया जी ने कहा है कि “मन करता है कि आत्महत्या कर लूँ!”.मेरे विचार में इस प्रकार के समाचार प्रधान मंत्री के वक्तव्य की भावना को न समझने के कारण आ रहे हैं! प्रधान मंत्री जी ने अपने उस कार्यक्रम के अंत में एक बालिका द्वारा स्वयंसेवी कार्यों के सम्बन्ध में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में कहा था कि पूर्व में जब बादशाहों और राजाओं में युद्ध होते थे तो राजा लोग उनसे बहादुरी से लड़कर उन्हें हरा देते थे! बाद में बादशाहों को राजाओं की गाय के प्रति श्रद्धा के बारे में पता चल गया तो उन्होंने युद्ध के मैदान में अपनी फौजों के आगे गायों को खड़ा करके युद्ध करने शुरू कर दिए! राजाओं की सेना गाय के प्रति श्रद्धा होने के कारण बादशाहों की फौजों पर हमला नहीं कर पाती थी क्योंकि ऐसा करने में गौहत्या का डर था!लेकिन बादशाह की फौजों के मन में ऐसी कोई श्रद्धा न होने के कारण वो राजाओं की फौज पर हमले जारी रखते हुए उन्हें हरा देते थे!इतना कहने के बाद प्रधान मंत्री जी ने गौसेवकों के बारे में कड़ी टिप्पणियां कीं!
अब सारी बात को अगर समझने का प्रयास किया जाये तो उनके शब्दों पर ध्यान देना होगा! उन्होंने दो अलग समूहों के सन्दर्भ में “राजा” और “बादशाह” शब्दों का प्रयोग किया!यह बताने की आवश्यकता नहीं है की इन शब्दों के द्वारा वो किनके बारे में बात कर रहे थे! हाँ. इतिहास में ऐसा अवश्य पढ़ा है कि पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी के मध्य हुए सोलह युद्धों में “राजा” पृथ्वीराज चौहान ने “बादशाह” मुहम्मद गौरी की फौज को बार बार हरा दिया था और तब पृथ्वीराज चौहान के विरोधी राजा जयचन्द ने ‘बादशाह’ मुहम्मद गौरी को कहा कि ‘अगर पृथ्वीराज चौहान को हराना है तो अपनी फौज के आगे गायों को खड़ा करदो जिससे पृथ्वीराज चौहान की सेना गायों पर हमला नहीं करेंगी और तुम्हारी फौज जीत जाएगी!’ कहा जाता है कि ‘बादशाह’ मुहम्मद गौरी ने ऐसा ही किया और परिणाम भी वैसा ही हुआ जैसा कि घर के भेदी जयचन्द ने बताया था! ‘राजा’ पृथ्वीराज चौहान की सेना ने गायों पर हमला नहीं किया और ‘बादशाह’ मुहम्मद गौरी की फौजों ने गायों की ओट से हमले करते हुए ‘राजा’ पृथ्वीराज चौहान की सेना को हरा दिया और पृथ्वीराज चौहान को बंदी बनाकर भारत में इस्लामी राज्य की स्थापना कर दी!
निश्चय ही प्रधान मंत्री जी द्वारा अपनी कड़े तेवरों की टिपण्णी से यह समझाने की कोशिश की थी कि “अरे दीवानों, अपनी नासमझी में एक हज़ार साल पुराने इतिहास की गलती को न दोहराओ!विपक्षी और हिंदुत्व के दुश्मन फिर से गाय के मुद्दे को आधार बनाकर उदार हिंदुओं को अपने पक्ष में कर लेंगे और कट्टर हिन्दू ‘राजा’ पृथ्वीराज चौहान के सैनिकों की भांति गाय की ओट से किये गए इन हमलों से हार जायेंगे!जिस प्रकार यह एक ऐतिहासिक भूल थी की यदि उस समय ‘राजा’ पृथ्वीराज चौहान की सेना ने कुछ सौ गायों की परवाह किये बिना पूरी ताकत से ‘बादशाह’ मोहम्मद गौरी की फौज पर हमला बोला होता तो भारत को अगले सात सौ साल तक इस्लामी राज के दौरान हज़ारों मंदिरों का ध्वंस, लाखों/करोड़ों गायों की हत्या और करोड़ों हिंदुओं का इस्लाम में जबरन धर्मान्तरण न देखना पड़ता!उसी प्रकार अगर आज भी हिंदुत्व समर्थक यदि विपक्षियों के जाल में फंसकर गाय के मुद्दे पर उलझ गए तो कहीं ‘राजा’ की सेना सब प्रकार से श्रेष्ठ होते हुए भी चुनावी समरांगण में हार न जाये क्योंकि ‘उदारपंथी’ हिन्दू विपक्षियों के ही पाले में खड़ा हो जायेगा! अतः समग्र परिवेश को ध्यान में रखकर ही हिंदुत्व प्रेमियों. गौभक्तों को व्यव्हार करना होगा!युद्ध के स्वरुप को समझना होगा! अब तीरों और तलवारों का युद्ध नहीं है बल्कि मतदान का युद्ध ही है जिसमे विपक्षियों के वारों को कुन्द करने के लिए रणनीति के रूप में अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखते हुए व्यव्हार करना होगा! क्या शिवाजी महाराज ने रणनीति के तहत अनेकों मोर्चों पर पीछे हटकर बादशाह की फौजों को पराजित नहीं किया था?
प्रधान मंत्री जी पर भरोसा रखें!और उनके दिखाए रास्ते पर चलने की आदत डालें! कट्टरपंथी ‘पोस्चरिंग’ से हानि अधिक होगी और अनेकता का गलत सन्देश जायेगा!
रही बात गौरक्षा की, तो इस वर्ष नवम्बर में प्रसिद्द गौरक्षा आंदोलन की पचासवीं वर्षगाँठ है! तो इस अवसर पर गौरक्षा के लिए वातावरण बनायें! सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में अनुच्छेद ४८ के आधार पर याचिकाएं डालें! संभव है अदालतों से कुछ रास्ता निकल आये या फिर अदालती नोटिस के उत्तर में सरकार लॉ कमीशन को इस बारे में कानून बनाने की सम्भावना तलाशने के लिए कह सकती है जैसा कि उसने सामान नागरिक संहिता के मामले में किया है!