हंता वायरस का बेवजह फैलाया जा रहा खौफ

कोरोना जैसा संक्रामक नहीं है हंता वायरस

योगेश कुमार गोयल

            एक ओर जहां दुनिया का हर देश कोरोना के कहर से त्रस्त है और इससे बचने के प्रयासों में जी-जान से जुटा है, वहीं पिछले दिनों चीन में एक और वायरस ‘हंता’ का मामला सामने के आद सोशल मीडिया पर कुछ लोगों द्वारा खौफ पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि इससे भयभीत होने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि जिस प्रकार कोरोना बड़ी तेजी से एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है, हंता के मामले में वैसा कुछ नहीं है। कोरोना वायरस से दुनियाभर में करीब दस लाख व्यक्ति संक्रमित हो चुके हैं और 50 हजार मौत के मुंह में समा चुके हैं। अगर मृत्यु दर की बात करें तो जहां कोरोना वायरस के संक्रमण से मृत्युदर करीब 2.7 फीसदी बताई गई है, वहीं हंता से मृत्यु दर 38 फीसदी बताई जा रही है लेकिन चूंकि यह वायरस इंसान से इंसान में नहीं फैलता, इसलिए हंता को लेकर कोरोना जैसा खौफ पैदा करना उचित नहीं। कोरोना वायरस की तरह हंता वायरस खांसते या छींकते समय निकलने वाले द्रव के सम्पर्क में आने से नहीं फैलता। विशेषज्ञों का कहना है कि हंता वायरस चूहे के सम्पर्क में आने से ही इंसान में फैलता है लेकिन इंसान से इंसान में नहीं फैलता। यूनाइटेड स्टेट्स नेशनल सेंटर फॉर बायोटैक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (एनसीबीआई) के मुताबिक हंता वायरस की 21 से ज्यादा प्रजातियां मौजूद हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि हालांकि 15 से 20 फीसदी चूहे हंता वायरस से संक्रमित होते हैं किन्तु फिर भी इंसानों के इस बीमारी से संक्रमित होने की आशंका बेहद कम होती है। इसका एक बड़ा कारण यह बताया गया है कि धूप के सम्पर्क में आने के बाद कुछ ही देर में यह वायरस खत्म हो जाता है।

            कोरोना वायरस के कहर के बीच पिछले दिनों दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत में हंता वायरस के कारण एक व्यक्ति की मौत के बाद सोशल मीडिया के जरिये बड़े स्तर पर लोगों में यह खौफ पैदा करने का आलम शुरू हो गया कि लोगों को अब कोरोना के साथ-साथ हंता जैसे एक और जानलेवा वायरस से भी स्वयं को बचाना होगा। हालांकि चीन के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन द्वारा स्पष्ट किया जा चुका है कि हंता वायरस हवा के जरिये नहीं फैलता और न ही यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है बल्कि यह वायरस चूहों के जरिये ही फैलता है। यह उन लोगों को अपनी चपेट में लेता है, जो चूहों के मल-मूत्र, सलाइवा तथा इन चीजों को अपने चेहरे तक ले जाते हैं।

            बहरहाल, एक ओर जहां पूरी दुनिया पहले ही कोरोना जैसे खतरनाक वायरस से युद्धस्तर पर जंग लड़ रही है, वहीं अब लोगों के मन में हंता की रिपोर्ट सामने के बाद डर पैदा हो रहा है कि उन्हें अब कहीं कोरोना के साथ-साथ इस वायरस से भी जंग लड़ने की तैयारी तो नहीं करनी पड़ेगी? ऐसे में इस वायरस के बारे में विस्तार से जानकारी होना बेहद जरूरी है। यह जानना भी बहुत आवश्यक है कि क्या कोरोना की भांति यह वायरस भी चीन से बाहर निकलकर भारत सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में भी फैल जाएगा? सवाल यह भी सामने आ रहा है कि क्या चीन में एक शख्स की जान लेने वाले हंता वायरस से भारतीयों को भी परेशान होने की जरूरत है? क्या कोरोना की ही तरह हंता वायरस भी दुनिया के लिए खतरनाक और जानलेवा साबित होने जा रहा है? क्या हंता वायरस को लेकर भारतीयों को परेशान होने की कोई जरूरत है? कोरोना को लेकर जिस तरह के खौफ के साये में इस समय पूरी दुनिया जी रही है, ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर कोरोना वायरस और हंता वायरस में क्या समानताएं और क्या भिन्नताएं है? क्या हंता वायरस जानलेवा है? यह कैसे फैलता है और इसका संक्रमण कैसे होता है? इसके क्या लक्षण हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है?

            चीन के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक फिलहाल वहां के ग्रामीण इलाकों में ही इस वायरस के फैलने की ज्यादा आशंका है क्योंकि वहां चूहों की तादाद बहुत ज्यादा है। चीन के सीडीसी का कहना है कि चीन के ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा कैम्पर्स तथा हाईकर्स भी इसकी चपेट में आ सकते हैं क्योंकि वे कैंपों में रहते हैं। सीडीसी के मुताबिक हंता से बचाव के लिए चीन द्वारा उठाए जा रहे शुरूआती कदमों में चूहों की तादाद नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं क्योंकि हंता के फैलने की जड़ चूहे ही हैं। स्पष्ट है कि अगर वहां चूहों की संख्या पर समय रहते नियंत्रण कर लिया गया तो इसके चीन से बाहर फैलने की संभावना बेहद कम होगी। इसलिए फिलहाल हंता वायरस को लेकर डरने या लोगों में खौफ पैदा करने की कोई जरूरत नहीं है।

            दोनों वायरसों के लक्षण काफी हद तक एक जैसे ही होते हैं। कोरोना हो या हंता, इन दोनों में से किसी से भी संक्रमित होने की स्थिति में बुखार, सिरदर्द, सांस लेने में परेशानी, थकावट, मांसपेशियों में दर्द, बदन दर्द, चक्कर आना इत्यादि लक्षण एक जैसे होते है। इसके अलावा हंता वायरस से संक्रमित होने पर पेट दर्द, उल्टी, डायरिया जैसी समस्याएं भी सामने आती हैं। ‘हंता वायरस पल्मोनरी सिंड्रोम’ के शुरुआती लक्षणों में थकान, ठंड लगने के साथ तेज बुखार, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, चक्कर आना, ठंड लगना, पेट की समस्या इत्यादि लक्षण सामने आते हैं। 4 से 10 दिन बाद सांस लेने में तकलीफ, फेफड़ों में पानी भर जाना जैसी समस्याएं सामने आती हैं। वहीं, हंता वायरस संक्रमण की वजह से होने वाले ‘हेमरिक फीवर’ तथा ‘रेनल सिंड्रोम’ में भयानक सिरदर्द, पीठ दर्द, पेट दर्द, बुखार, मतली आना, ठंड लगना, चेहरा लाल हो जाना, आंखों का लाल होना, जलन या चकत्ते जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। शुरूआती लक्षण नजर आने के बाद यदि संक्रमित व्यक्ति का इलाज नहीं किया जाता तो उसे निम्न रक्तचाप, आघात, नसों से रिसाव, किडनी फेल इत्यादि का खतरा हो सकता है। इलाज में देरी होने पर संक्रमित व्यक्ति के फेफड़ों में पानी भर जाता है, जिसके बाद धीरे-धीरे वायरस उसे अपनी जकड़ में ले लेता है और उसकी मौत हो जाती है।

            हालांकि सोशल मीडिया पर ‘हंता’ को कोरोना जैसा ही चीनी वायरस बताकर खौफ पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। हंता वायरस की शुरूआत चीन से नहीं हुई और न ही यह मूल रूप से चीनी वायरस है। वर्ष 1978 में दक्षिण कोरिया में हंतन नदी के किनारे एक व्यक्ति को ऐसे ही एक वायरस से संक्रमित पाया गया था। हंतन नदी के पास से उपजे उस वायरस को उस नदी के नाम की तर्ज पर ‘हंतान’ नाम दिया गया। वर्ष 1981 में उसी से मिलती-जुलती एक नई प्रजाति देखी गई, जिसे ‘हंता वायरस’ नाम दिया गया। मई 1993 में इस वायरस के संक्रमण का मामला दक्षिण पश्चिमी अमेरिका से दुनिया के सामने आया था। उस दौरान इस वायरस के संक्रमण से न्यू मैक्सिको में एक युवा तथा उसकी मंगेतर की मृत्यु हुई थी। अमेरिका के यूएस सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक उसके बाद कनाडा, अर्जेंटीना, बोलीविया, ब्राजील, चिली, पनामा, पैरागुए, उरागुए से भी हंता संक्रमण के मामले सामने आने की पुष्टि हुई थी। नवम्बर 2012 में अमेरिका के कैलिफोर्निया में योसेमाइट नेशनल पार्क का दौरा करने वाले लोगों में भी हंता वायरस संक्रमण के मामले सामने आए थे। भारत में करीब एक दशक पहले हंता वायरस संक्रमण के कुछ मामले सामने आए थे। ‘डाउन टू अर्थ’ पत्रिका के अनुसार वर्ष 1994 में सूरत में चूहों से फैले ‘प्लेग’ के दौरान हंता वायरस का कोई मामला तो सामने नहीं आया था लेकिन आशंकाएं जताई गई थी कि उस दौरान गुजरात के कई लोग इस वायरस के सम्पर्क में आए थे। ‘नेचर इंडिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2008 में सांप तथा चूहे पकड़ने का कार्य करने वाले तमिलनाडु में वेल्लोर जिले के इरूला समुदाय के 28 व्यक्ति हंता वायरस से संक्रमित पाए गए थे। वर्ष 2016 में मुम्बई में भी हंता वायरस के संक्रमित होने के बाद फेफड़ों से रक्तस्राव होने से 12 वर्षीय एक बच्चे की मृत्यु हो गई थी। हंता वायरस के लिए कोई विशिष्ट टीका या दवा उपलब्ध नहीं है बल्कि इससे संक्रमित होने पर मरीज को लगातार ऑक्सीजन दी जाती है और उसे ग्लूकोज, इलैक्ट्रोलायट इत्यादि भी निरन्तर दिया जाता है।

            अमेरिका के यूएस सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) का कहना है कि हंता वायरस के पनपने की अवधि छोटी होती है। इसके लक्षण एक से छह सप्ताह के बीच दिखाई देते हैं। सीडीसी के मुताबिक हंता वायरस असल में ‘हंता वायरस पल्मोनेरी सिंड्रोम’ (एचपीएस) है, जो चूहों के सम्पर्क में आने से फैलता है। किसी भी हंता वायरस के संक्रमण से ‘हंता वायरस पल्मोनरी सिंड्रोम’, ‘रेनल सिंड्रोम’ तथा ‘हेमरिक फीवर’ जैसी बीमारी हो सकती है। यह वायरस मुख्य रूप से चूहे, गिलहरी जैसे कुतरने वाले जानवरों द्वारा फैलने वाले वायरसों में से एक है, जो दुनिया भर के लोगों में विभिन्न प्रकार के रोग सिंड्रोम पैदा कर सकता है। सीडीसी का कहना है कि घर के अंदर तथा बाहर घूमने वाले चूहे हंता वायरस का संक्रमण फैलने की शुरूआती वजह बन सकते हैं और अगर कोई स्वस्थ व्यक्ति भी इस वायरस के सम्पर्क में आता है तो उसके भी संक्रमित होने का खतरा रहता है। कोई व्यक्ति यदि चूहों की लार, मल-मूत्र अथवा उनके बिल की चीजें छूने के बाद अपनी आंख, नाक और मुंह को छूता है तो उसमें इस वायरस का संक्रमण फैल सकता है। चूहे के काटने से भी इस वायरस का संक्रमण फैल सकता है। सीडीसी का स्पष्ट कहना है कि हंता वायरस से संक्रमित होने की आंशका बहुत कम रहती है लेकिन इसकी चपेट में आने के बाद मृत्यु दर कोरोना वायरस की तुलना में काफी अधिक है। इसलिए लोगों में हंता वायरस का खौफ पैदा करने के बजाय सबसे जरूरी है कि लोग इस वायरस की प्रकृति और इसके संक्रमण फैलने के कारणों को जानें और अपने घर तथा आसपास चूहों को नियंत्रित करने के उपाय करें। यहां यी जान लेना भी आवश्यक है कि प्रत्येक चूहा इस वायरस का वाहक नहीं होता है और हंता वायरस को लेकर कोरोना संक्रमण जैसा खौफ पैदा करना उचित नहीं है क्योंकि कोरोना वायरस के मुकाबले भले ही इसके मामले में मृत्यु दर कई गुना ज्यादा है लेकिन यह कोरोना जैसा घातक और संक्रामक नहीं है।

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