शिव राज में फिर मंत्री विहीन रह गयी शिव की नगरी सिवनी, प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान के प्रवास के बाद भाजपायी हल्कों में यह चर्चा जोर पकड़ गयी थी कि इस बार जब वे मंत्रीमंड़ल विस्तार के लिये अपनी ताश की गड्डी फेंटेंगें तो जिले के नाम जरूर कुछ ना कुछ आ जायेगा। इस दौड़ में सबसे आगे सिवनी की भाजपा विधायक नीता पटेरिया का नाम था और उनके साथ दौड़ में लखनादौन की आदिवासी विधायक शशि ठाकुर भी शामिल थी। दोनों के अपने अपने दावे थे। जहां एक तरफ नीता पटेरिया के पक्ष में महिला होने के अलावा पूर्व सांसद रहने का मामला भी था। भाजपा ने अपनेू चार सांसदों को विधानसभा चुनाव में टिकिट दिया था और चारों जीते भी थे। इनमें से गौरीशंकर बिसेन और रामकृष्ण कुसमारिया पहली खेप में ही मंत्री बन गये थे अब दूसरी खेप में सरताज सिंह भी मंत्री बन गयें हैं। सिर्फ नीता पटेरिया ही मंत्री बनने से वंचित रह गयीं हैं। दूसरी ओर लखनादौन की विधायक शशि ठाकुर के नाम यह रिकार्ड दर्ज हैं कि उन्होंने कांग्रेस के गढ़ में पहली बार पिछले चुनाव में भाजपा का परचम लहराया था और लगातार दूसरी बार भी जीत हासिल की हैं। वे महिला कोटे के साथ साथ आदिवासी कोटे को भी पूरा कर सकतीं थीं लेकिन ना जाने क्यों शिवराज ने इन्हें नकार दिया। भाजपायी हल्कों में जारी चर्चाओं को यदि सही माना जाये तो यह तथ्य उजागर होकर सामने आ रहा है कि जिन भाजपा के उम्मीदवारों को जनता ने योग्य मानकर चुनाव जिताया उन्हें ना तो जिले के भाजपायी ही योग्य नहीं मानते हैं और ना ही मुख्यमंत्री। जिन्हे पार्टी ने चुनाव लड़ने के योग्य नहीं माना और टिकिट काट दी उन्हीं नरेश दिवाकर की शह पर बाकायदा एक अभियान चलाया गया और दोनों दावेदारों के खिलाफ लगातार मुख्य मंत्री निवास में दस्तावेज भेजे गये। सियासी हल्कों में जानकारों का दावा हैं कि यदि किसी भी विधायक को लालबत्ताी मिल जाती तो फिर गैर विधायक भाजपा नेता करे यह मिलने की संभावना समाप्त हो जाती। इस राजनैतिक स्वार्थ के चलते ये सब किया गया और शिव की नगरी सिवनी एक बार फिर शिव के राज में मंत्री विहीन ही रह गयी जबकि आजादी के बाद से हमेशा से ही सत्ताादल के विधायक रहते हुये जिला कभी भी मंत्री विहीन नहीं रहा हैं। कई अवसर तो ऐसे भी रहें हैं जब जिले सें दो दो मंत्री एकसाथ रहें हैं।