मुख्यमंत्री की छवि धूमिल करने की साजिश का हुआ खुलासा

करोड़ों के विज्ञापनों की मांग पूरी नहीं होने पर टी.व्ही. चैनल में डॉ. रमन के खिलाफ प्रसारित हुए मनगढंत समाचार 

रायपुर 19 दिसम्बर 2011/ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की छवि धूमिल करने की साजिश का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। डॉ. रमन सिंह पर मध्यप्रदेश में खदानों के कथित आवंटन में अपने कथित रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाये जाने के निराधार आरोप इसलिए लगे, क्योंकि उन्होंने एक निजी टेलीविजन समाचार चैनल द्वारा लगातार की जा रही करोड़ों रूपए के सरकारी विज्ञापन दिए जाने की मांग पूरी नहीं की।

यह मामला आज नई दिल्ली के अंग्रेजी दैनिक ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में उजागर हुआ है, जिसे छत्तीसगढ़ के मीडिया जगत और राजनीतिक हल्कों में आश्चर्य से देखा जा रहा है। इतना ही नहीं बल्कि राज्य का प्रबुध्द वर्ग इसे भारतीय मीडिया में तेजी से फैल रही पेड न्यूज की बीमारी और ब्लैकमेलिंग का एक विकृत नमूना मान रहा है। इसके साथ ही इस प्रकार के कथित निजी टेलीविजन समाचार चैनलों की विश्वसनीयता को लेकर भी प्रबुध्द वर्ग में तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं। इस अंग्रेजी दैनिक के अनुसार संबंधित टी.वी समाचार चैनल ने राज्य सरकार से पेड न्यूज के लिए दो करोड रूपए की मांग रखी। चैनल के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने मुख्यमंत्री को समय-समय पर भेजे गए पत्रों में दबाव डालने के लहजे में इलेक्ट्रानिक मीडिया को दिए जाने वाले विज्ञापनों के बजट में सौ प्रतिशत वृध्दि की मांग करते हुए यह भी शर्त रखी की राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी को पद से हटाया जाए। चैनल के सी.ई.ओ. ने यह भी चेतावनी दी कि मांग पूरी नहीं होने पर उनका चैनल राज्य शासन के विज्ञापनों को वह जगह नहीं देगा। इतना ही नहीं बल्कि मार्च के महीने में मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में चैनल के सी.ई.ओ. ने लिखा है कि वित्तीय वर्ष 2010-11 में जनसम्पर्क विभाग ने इस टी.वी. समाचार चैनल को लगभग दो करोड रूपए के विज्ञापन जारी किए है, जबकि चैनल का सालाना बजट 20 करोड़ रूपए का है। इन परिस्थितियों में राज्य सरकार की नितियों और योजनाओं को चैनल में जगह नहीं मिल पा रही है। चैनल के सी.ई.ओ. ने पत्र में अपने पत्र में यह भी दावा किया कि उनका समाचार चैनल राज्य का नम्बर वन चैनल है, इसलिए उन्हें राज्य के सर्वाधिक प्रसारित एक दैनिक अखबार के सालाना सरकारी विज्ञापनों के बराबर विज्ञापन मिलना चाहिए। चैनल के सी.ई.ओ. ने मई के महीने में तीन करोड़ रूपए के सालाना पैकेज की मांग रखी। उन्होंने जुलाई माह में भी मुख्यमंत्री को एक और चिट्ठी भेजी, जिसमें उन्होंने लिखा कि उन्हें हर महीने चालीस लाख रूपए या नहीं तो सालाना तीन करोड़ रूपए का विज्ञापन पैकेज मिलना चाहिए, लेकिन अभी तक केवल 15 लाख रूपए ही मिले हैं।

यह भी बताया गया है कि चैनल के सी.ई.ओ. ने सितम्बर माह में भेजे गए एक पत्र में मुख्यमंत्री को लिखा कि छत्तीसगढ़ सरकार के विज्ञापनों के बजट का 80 से 85 प्रतिशत हिस्सा प्रिंट मीडिया को चला जाता है। उन्होंने सरकार पर दबाव डालने के लहजे में इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए 20 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान अनुपूरक बजट में करने की भी मांग की। इस चैनल को राज्य सरकार ने वर्ष 2008-09 में 98 लाख रूपए के विज्ञापन दिए थे, जबकि एक वर्ष के भीतर यह राशि लगभग दोगुनी कर दी गई। इसके बावजूद चैनल द्वारा लगातार विज्ञापनों की राशि बढ़ाने की मांग की जाती रही। चैनल की ओर से 18 सितम्बर को मुख्यमंत्री को एक और पत्र भेजा गया। इसमें भी उन पर दबाव डालने के लहजे में यह लिखा गया कि अगर इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए 20 करोड़ रूपए का अलग बजट नहीं रखा गया तो चैनल द्वारा राज्य सरकार का कोई भी सरकारी विज्ञापन प्रसारित नहीं किया जाएगा। जानकार सूत्रों का कहना है कि इस टी.वी. समाचार चैनल की सरकारी विज्ञापनों की लगातार बढ़ती भूख शांत नहीं कर पाने के कारण उसने राज्य के मुख्यमंत्री के खिलाफ निराधार और मनगढंत समाचार प्रसारित किए। न्यूज चैनल ने जनसम्पर्क विभाग के वरिष्ठतम अधिकारी पर चैनल की मार्केटिंग टीम के साथ दर्ुव्यवहार करने का मनगढंत आरोप भी लगा दिया। यह भी उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इस टेलीविजन समाचार चैनल द्वारा मध्यप्रदेश के कथित खदान आवंटन मामले में उन पर व्यक्तिगत रूप से लगाए गए अनर्गल आरोपों से क्षुब्ध होकर चैनल के खिलाफ एक करोड़ रूपए की मानहानि का कानूनी नोटिस भी भिजवाया है। इधर नई दिल्ली के अंग्रेजी दैनिक में आज इस मामले में सम्पूर्ण तथ्यों के साथ विस्तृत समाचार प्रकाशित होने पर छत्तीसगढ़ के प्रबुध्द वर्ग में कथित निजी टेलीविजन समाचार चैनलों की विश्वसनीयता को लेकर तरह-तरह के सवाल भी उठने लगे हैं।

समाचार का लिंक :-

https://www.indianexpress.com/story-print/889118/

2 COMMENTS

  1. यह पीत पत्रकारिता का ताजा नमूना है. हमारे यहाँ बरखा दत्त और राजदीप सरदेसाई व प्रणव जेम्स राय जैसे बीके हुए पत्रकार सरकारों से सेटिंग करके करोडो कमा रहे हैं. और नामी पत्रकार होने का सम्मान भी पाए हुए हैं. असली सवाल ये है की उनकी नकेल कौन कसेगा?

  2. इससे यह तो पता चला कि कथित चैनल डाक्टर रमण के लिए काम कर रहा था और बदस्तूर लाभ भी उठा रहा था.अगर वह चैनल अपने बंधे बंधाये दायरे में रहता तो लोगों कोइसके बारे में कुछ भी ज्ञात नहीं होता.
    निष्कर्ष :खाते रहो खिलाते रहो,पर सोने के अंडे पर संतोष करो,मुर्गी को मारने की चेष्टा मत करो.

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