न बादल होता न बरसात होती
दिन अगर न होता न रात होती।
गम ही न होता अगर जिंदगी में
बहार से भी न मुलाक़ात होती।
नए लोगों की जो आमद न होती
रंगों से कैसे फिर मुलाक़ात होती।
लफ्ज़ ख़ूबसूरत लिखने न आते
मुहब्बत में हमें फिर मात होती।
अच्छा है रही न कोई भी तलब
मिटती हुई उमीदें-हालात होती।
खुशबु-ऐ-हिना उड़कर आई थी
मिल जाती कुछ और बात होती।
जुर्म जिसका था सजा उसे मिलती
हुज्ज़त की न कोई बात होती।
अंगड़ाइयों से बदन टूट जाता
बरसात की अगर यह रात होती।
आज की रात यूं ही गुज़र जाने दे
आज की रात यूं ही गुज़र जाने दे
पहलू में नई शय उभर जाने दे।
तेरी रज़ा में ही मैं ढल जाऊँगा
कतरा बनके मुझे बिखर जाने दे।
बहुत शोर मचा है जिंदगी में तो
तन्हाई में भी तूफ़ान भर जाने दे।
यादों का आना जाना लगा रहेगा
सीने में कुछ देर दर्द ठहर जाने दे।
अँधेरे की फितरत से वाकिफ हूँ
आँगन में बस सहर उतर जाने दे।
आसमां जमीं पर ही उतर आएगा
फलक को तह दर तह भर जाने दे।
मुर्दे में भी जान आ ही जाएगी
एहसास से जरा उसे भर जाने दे।
आवाज़ देकर बुला लेना कभी भी
इस वक़्त मुझे पार उतर जाने दे।
मैंने तेरे नाम चाहतें लिख दी
मैंने तेरे नाम चाहतें लिख दी
आँखों की तमाम हसरतें लिख दी।
रंग जो हवा में बिखर गये थे
ढूँढने की उन्हें सिफारिशें लिख दी।
अपनी मुहब्बत तुझे सुपुर्द कर
तेरे नाम सारी वहशतें लिख दी।
खुशबु उड़ाती तेरी शामों के नाम
बहार की सब नर्मआहटें लिख दी।
चमकते जुगनुओं की कतार में
ख़ुशी की मैंने वसीयतें लिख दी।
किस जुबां से तुझे शुक्रिया दूं मैं
अपने हाथों में तेरी लकीरें लिख दी।
तुझे खबर नहीं दी अपने होने की
फिर भी तेरे नाम साजिशें लिख दी।
मैंने तेरे नाम चाहतें लिख दी
आँखों की तमाम हसरतें लिख दी।
रंग जो हवा में बिखर गये थे
ढूँढने की उन्हें सिफारिशें लिख दी।
अपनी मुहब्बत तुझे सुपुर्द कर
तेरे नाम सारी वहशतें लिख दी।
खुशबु उड़ाती तेरी शामों के नाम
बहार की सब नर्मआहटें लिख दी।
चमकते जुगनुओं की कतार में
ख़ुशी की मैंने वसीयतें लिख दी।
किस जुबां से तुझे शुक्रिया दूं मैं
अपने हाथों में तेरी लकीरें लिख दी।
तुझे खबर नहीं दी अपने होने की
फिर भी तेरे नाम साजिशें लिख दी।