
—विनय कुमार विनायक
कृष्ण के जीवन में ना कोई राधा थी,
औ न सोलह हजार एक सौ रानी थी!
हां ये सही है कि कृष्ण राम के जैसे,
एकपत्नीव्रती नहीं,अष्टरानी युक्त थे!
सोलह हजार एक सौ नारियां कैद थी,
असम राजा नरकासुर के रनिवास में!
जिन्हें श्री कृष्ण ने मुक्ति दिलाई थी,
उनके आग्रह से दिया रानी का दर्जा!
कृष्ण का अवतार हुआ कंश वध हेतु,
कृष्ण वेद उपनिषद के महा ज्ञानी थे!
कृष्ण के गुरु थे संदीपनी व नेमीनाथ,
वो युद्ध निपुण व गीता के वाणी थे!
वैष्णवों के मूल पुराण हरिवंश, विष्णु,
भागवत व महाभारत में नहीं है राधा!
कृष्ण का शैशव बीता शस्त्र-विद्या में,
गोचारण,प्रेम लीला की नहीं थी बाधा!
भागवत संप्रदाय, माध्व संप्रदाय और
असम में राधा मान्य नहीं न पूज्या!
हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कहा ये रीत,
नित्यानंदप्रभु पत्नी जाह्नवी से चली!
राधावाद के प्रचारक निम्बार्काचार्य थे,
आलवार भक्त और ओन्दाल भक्तिन,
प्रयत्न से भक्तिकाल में चल निकली,
कृष्ण की काल्पनिक प्रेमिका राधाजी!
—विनय कुमार विनायक