पूछते हैं कि कोरोना की अम्मा कौन है ?

पिछले वर्ष कोरोना  महामारी के आरंभिक चरण में जब इस वायरस को चीनी वायरस कहा गया तो चीन ने इसका  कड़ा विरोध किया | चीन के  दबाव में WHO ने वायरस को देश के नाम के साथ न जोड़ने की  गाइड लाइन जारी कर दी | फिर इसे कोरोना या कोविड-19 के नाम से संबोधित किया जाने लगा | कोरोना की दूसरी लहर भयंकर हो कर आई और इससे सर्वाधिक क्षति भारत को हुई | किन्तु भारत के कुछ गृह-शत्रुओं और विदेशी शक्तियों ने इसे इन्डियन वेरियंट कहकर देश को बदनाम करने का दुस्साहस करने की चेष्टा की |  भारत सरकार ने भी इस पर कड़ी आपत्ति जताई जो कि उचित थी | क्योंकि जब चीन का नाम नहीं तो वहाँ से आए वायरस के नए रूप के साथ भारत का नाम क्यों जोड़ा जाए ? WHO ने दूसरी लहर के वेरिएंट का नाम डेल्टा रख दिया | अब हमारे देश के तथाकथित पत्रकार और बुद्धिजीवी डेल्टा शब्द का उपहास कर रहे हैं | पत्रकार भी देश का नागरिक होता है क्या देश हित में उसका कोई कर्तव्य नहीं ? सरकारें आती जाती रहती हैं,देश सरकारों और अखबारों से बड़ा है | पत्रकार की वैचारिक निष्ठाएं कहीं भी हों किन्तु सरकार की आलोचना की आढ़ में उसे देश की प्रतिष्ठा धूमिल करने का लाइसेंस नहीं मिलजाता | 

आजकल कॉमरेड रवीश कुमार व उनके कम्युनिस्ट साथी वायरस के डेल्टा नाम का उपहास करते हुए,सोशल मीडिया पर कोरोना की अम्मा और पापा को ढूँढ रहे हैं | न जाने क्यों एक प्रतिभावान पत्रकार देश की छवि धूमिल करने पर आमादा है ? आप भले ही सरकार का विरोध कीजिए,भले ही माओ और मार्क्स से प्रभावित रहिए किन्तु  देश के माथे पर कलंक लगाने में थोड़ी तो शर्म कीजिए | आप लोग जिस कोरोना खानदान को ढूँढ रहे हैं,उसका पता आपकी लिखी हर पंक्ति के उत्तर में दे रहा हूँ –  

आपने लिखा “कोरोना की अम्मा अब इंडियन वेरिएंट को डेल्टा बुलाएगी।“ रवीश जी पहले तो यह समझ लीजिये, इसे इण्डियन वेरियंट लिखना असंवैधानिक है,पर आप लोग संविधान को मानते ही कहाँ हैं,खैर…| आपको पता है, सच में आपको नहीं पता कि कोरोना की अम्मा कौन है ? तो सुनिए, आज से दो वर्ष पूर्व ये चीन की कोख से निकला था चीन(आपकी वैचारिक माता) ही इसकी अम्मा है | अतः वह अपने नाती को डेल्टा कहकर बुलाएगी  |

“सोनू के पापा को नाम लेकर बुलाना भारतीय परंपरा के ख़िलाफ़ है। इसलिए सोनू की अम्मा से सोनू के पापा ने कहा कि तुम हमको डेल्टा काहे नहीं पुकारती हो।“ रवीश जी  फिर गलत लिख गए, चीन भारतीय परम्पराओं को नहीं, कम्युनिस्ट रीति-रिवाजों को मानता है अतः कोरोना  के पापा को ‘कॉमरेड पापा’ की जगह  डेल्टा के बड़े पापा लिखते तो अधिक ठीक रहता  |  

 “सोनू की अम्मा ने कहा कि डेल्टा कोई नाम हुआ।“ ये बात ठीक है डेल्टा अच्छा नाम नहीं है,अतः कॉमरेड पापा,या बुहान डैडी कैसा रहेगा | बुहान संस भी चलेगा, परिवार सूचक है |

“अरे सोनू की अम्मा हमारा नाम WHO ने रखा है। सारे गा मा की जगह अल्फ़ा बीटा गामा होगा। कोरोना का भारतीय संस्करण कहने से भारत सरकार को आपत्ति थी।“ रवीश बाबू जब कोरोना की अम्मा (कम्युनिस्ट चीन) और पापा (बुहान के वैज्ञानिक) अपनी नाजायज,अवैध संतान को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं तो भारत दूसरे के पाप को क्यों ओढ़े ? आप इसे माओ या मार्क्स का सूक्ष्म जैविक संस्करण भी कह सकते हैं |

“तो जैसे ही डेल्टा पुकारूँ तुम समझ लेना सोनू के पापा ने सोनू की मम्मी को पुकारा है।“ थोड़ा कन्फ्यूज कर गए पर समझ लेंगे कि डेल्टा पुकारने का अर्थ है कोरोना के पापा बुहान ने उसकी अम्मा चीन को पुकारा है कि बचाओ भेद न खुल जाए यही न ?

सब जानते हैं कि अब तीसरी लहर के रूप में कम्युनिष्ट-चीन का नाती /पौत्र भी आने वाला है उसका नामकरण भी WHO ही करेगा धीरज रखें |

ध्यान रहे अरब,अफ़गान,तुर्क,अंगरेज आदि  के आक्रमणों से जो भारत नहीं टूटा वह  चीन के वायरस और कम्युनिस्टों के बौद्धिक आक्रमण  से भी नहीं टूटेगा | आप भले ही नारे लगाते रहो, भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह, इंशाअल्लाह |

डॉ.रामकिशोर उपाध्याय

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