इस कारण हुई कांग्रेस की दुर्गति

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प्रवीण दुबे   rahul
एक बहुत पुरानी कहावत है। ”आए नाग न पूजिए बामी पूजन जाएं’। इसका अर्थ है- घर में जब नाग निकलता है तो उसे भगाया जाता है, वहीं दूसरी ओर पूजा के समय सांप को ढूंढ़ा जाता है और बामी तक की पूजा की जाती है। आप सोच रहे होंगे हमें आखिर यह पुरानी कहावत क्यों याद आई? तो हम बताना चाहेंगे कि दिल्ली में बुधवार को आयोजित राष्ट्रीय वक्फ विकास निगम के कार्यक्रम में जो कुछ घटित हुआ उसे देखकर यह कहावत याद आई। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी मौजूद थीं। जैसी कि कांग्रेस में परंपरा है कि लोकसभा चुनाव नजदीक आते देख मुसलमानों को खुश करने अर्थात मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति में और तेजी आ जाती है। इसी रणनीति के तहत इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय वक्फ विकास निगम का उद्घाटन किया जा रहा था ताकि परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक को और अधिक मजबूत किया जा सके। प्रधानमंत्री ने जैसे ही अपना उद्घाटन भाषण समाप्त किया वैसे ही एक मुसलमान ने इसका जोरदार विरोध शुरू कर दिया। फहीन बेग नाम के इस मुसलमान का कहना था कि अल्पसंख्यक योजनाएं लागू नहीं की जा रही हैं और प्रधानमंत्री को नई योजनाएं शुरू करना बंद करना चाहिए। इससे पहले की यह व्यक्ति कुछ और बोलता सुरक्षा कर्मियों ने पहले उसको रोका फिर मुंह बंद किया तथा उसके बाद जबरिया बाहर कर दिया। अब आप भली प्रकार समझ गए होंगे कि शुरुआत में हमने जिस कहावत का जिक्र किया वह क्यों किया। बुधवार के इस घटनाक्रम के पीछे कांग्रेस का असली चरित्र उजागर हुआ है। मुस्लिम तुष्टीकरण का राग अलापने वाली सरकार के मुखिया और कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के सामने जिस प्रकार एक मुसलमान को सच्चाई बयां करने से रोका गया उसे कार्यक्रम से बाहर कर दिया गया वह बेहद शर्मनाक कहा जा सकता है। यही वह कारण है जो यह सिद्ध करता है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी की आज ऐसी दुर्गति क्यों हो रही है, वह अस्तित्व की लड़ाई क्यों लड़ रही है? दिल्ली के इस घटनाक्रम ने दो महत्वपूर्ण सवालों को जन्म दिया है। पहला यह कि मुसलमानों को खुश करने के लिए जो घोषणाएं सरकार द्वारा की जाती हैं वास्तव में वह केवल कागजों तक ही सिमट कर रह जाती हैं उनका लाभ मुसलमानों को क्यों नहीं मिलता? दूसरा सवाल यह है कि जब सत्ता और संगठन दोनों के शीर्ष नेता कार्यक्रम में मौजूद थे और एक मुसलमान द्वारा सरकारी योजनाओं की सच्चाई को उजागर किया जा रहा था तो उसको क्यों रोका गया? जहां तक पहले सवाल की बात है पूरा देश खासकर यहां का मुसलमान यह भली प्रकार समझ चुका है कि कांग्रेस ने आजादी के बाद से अब तक सर्वाधिक समय देश पर राज किया और हमेशा ही मुसलमानों ने एक वोट बैंक के रूप में कांग्रेस का समर्थन किया बावजूद इसके आज भी मुसलमानों की सामाजिक, आर्थिक दशा वैसी की वैसी है। अशिक्षा, पिछड़ापन, बेरोजगारी, रुढ़िवाद और तमाम कट्टरवादी धार्मिक मान्यताओं को लेकर  मुसलमान आज भी परेशान है। आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार है? हमेशा मुस्लिम तुष्टीकरण की बात करने वाली कांग्रेस क्या इसके लिए दोषी नहीं है? साफ है मुसलमानों को केवल छला गया और उनका इस्तेमाल केवल वोट बैंक के रूप में किया जाता रहा। यह बात अब मुसलमानों को समझ आ गई है। इसी का परिणाम है कि अब चाहे गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश अथवा चार राज्यों में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव हो या फिर राष्ट्रीय वक्फ विकास निगम का उद्घाटन कार्यक्रम मुसलमान खुलकर कांग्रेस का विरोध करते दिख रहे हैं। हमने जो दूसरा सवाल उठाया था वह था कि मनमोहन और सोनिया के सामने ही एक मुसलमान को सच्चाई उजागर करने से क्यों रोका गया? इसका जवाब है कि कांग्रेस वास्तव में इसी प्रकार एक सामान्य जन की अनदेखी करती आ रही है। वह बात तो आम आदमी की करती है लेकिन जब वही आदमी सच्चाई बताने खड़ा होता है तो मनमोहन-सोनिया जैसे नेताओं के सामने उसका मुंह बंद कर दिया जाता है और यह दृश्य यह लोग चुपचाप देखते रहते हैं। यदि मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के मन में मुसलमानों के प्रति सच्ची श्रद्धा होती तो यूं ही चुपचाप नहीं बैठे रहते। उस पीड़ित मुसलमान की बात संजीदगी से सुनते और उसे इस बात के लिए आश्वस्त करते कि जहां भी गलती हुई है उसे सुधारा जाएगा। उन्होंने ऐसा नहीं किया इसे क्या समझा जाए? यह साफ तौर पर इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण था कि कांग्रेस के नेता खासकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी केवल राजनीतिक मंचों की शोभा बनकर रह गई हैं। वास्तव में जनता से सीधा संवाद अथवा उनके दुख-दर्द सुनने में उनकी कोई रूचि नहीं। आज कांग्रेस की जो दुर्गति हो रही है उसके पीछे भी मूलत: यही मूल कारण है। केवल वोटों के लिए तुष्टीकरण, लालच की राजनीति करना कांग्रेस का उद्देश्य रह गया है। आजादी के बाद से आज तक कांग्रेस इसी तुष्टीकरण और जोड़-तोड़ की राजनीति करके सत्ता प्राप्त करती रही और देशवासी विशेषकर मुसलमान बेवकूफ बनता रहा। जिस मुस्लिम फहीम बेग ने राष्ट्रीय वक्फ विकास निगम के उद्घाटन अवसर पर हंगामा मचाया उसने बाद में पत्रकारों से चर्चा में जो कहा वह भी यही सिद्ध करता है। बेग ने कहा कि वह अपनी समस्याओं को लेकर प्रधानमंत्री को लंबे समय से पत्र लिखता रहा है और अब तक 150 से अधिक पत्र लिख चुका है। इन पत्रों के माध्यम से बेग ने प्रधानमंत्री तक कई शिकायतें पहुंचाई और मुलाकात का समय मांगा। लेकिन आज तक कोई जवाब नहीं मिला। बेग ने मुसलमानों के नाम पर शुरु तमाम योजनाओं में बरती जा रही ढीलपोल से संबंधित आरटीआई दस्तावेज भी दिखाए। यह संपूर्ण घटनाक्रम न केवल कांग्रेस के असली चरित्र को उजागर करता है बल्कि यह भी सिद्ध करता है कि कांग्रेस की दुर्गति क्यों हो रही है।

1 COMMENT

  1. यह लेख आप चुनाव के बाद लिखते तो ज्यादा माकूल होता . कांग्रेस अभी
    मरी नहीं है. तृतीया दल के लगभग सभी सदस्य एकजुट होकर कांग्रेस को फिर
    गद्दी पर बिठाएंगे.

    यही भारत के संविधान की कमज़ोरी है.

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