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मानवता के साथ समझौता करने से कहीं बेहतर है राष्ट्रीयता के साथ समझौता !

आदरणीय डामनमोहन सिंह जी ,
चरण कमलों में सादर प्रणाम !

विनम्रता की मूर्ति
विनम्रता की मूर्ति

 

मनमोहन सिंह जी आप के सम्बन्ध में कहते हुए होंठ हिलने लगते हैं , जीभ थरथराने लगती हैडर से नहीं बल्कि आप का व्यक्तित्व हीं इतना प्रभावशाली है ! २१ वी सदी के गाँधी , जन्म से भारतवंशी यानि भारतीय , कर्म से वैश्विक { क्योंकि वर्षों ऑक्सफोर्ड में अध्ययन और अध्यापन जो किया है } आपके किनकिन कर्मों का उल्लेख करूँ समझ नहीं पा रहा हूँ ! १९९० के दशक की शुरुआत में अभूतपूर्व आर्थिक तंगहाली से जूझ रहे भारत में आर्थिक उदारीकरण का मन्त्र फूंकने वाले भी आप हीं हैंउसी मन्त्र की साधना ने आज भारत को वैश्विक पटल पर समृद्धि की राह में अग्रसर देशों की श्रेणी में ला खड़ा किया हैहालाँकि , ख़ुद को राष्ट्रवादी और देश के हितचिन्तक बताने वाले कुछ लोग कहते हैं कि यह समृद्धि / विकास तो मात्र २२२५ % लोगों की हैबकौल विरोधी , देश के ८४ फीसदी नागरिक २० रूपये से कम के दैनिक आय पर जिन्दा हैंहर साल २०२५ हज़ार किसान आत्महत्या कर नारकीय जीवन से मुक्त हो रहे हैं । खैर , जाने दीजिये हम भी कहाँ उलझ रहे हैं इनकी बातों में !
सर्वविदित है कि भारत प्रगति के पथ पर दौड़ रहा है । हमारी सफलता का लोहा मानते अमेरिका ने आप हीं के राज-काज में परमाणु संधि किए । माना कि भविष्य में आने वाली इस परमाणु परियोजना से हमारी उर्जा जरूरतों के कुछ अंशों की हीं पूर्ति हो पायेगी लेकिन अरबों खर्चने पर भी संसार के ‘दादा’ अमेरिका का हाथ सर पर आ जाए तो घाटे का सौदा नहीं ! यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है । जिस कार्य को इंदिरा गाँधी और अटल बिहारी परमाणु विस्फोट कर न कर सके वह आपने विनयशीलता से कर दिखाया है !
लोगों ने तो २६/११ के मुंबई हमलो के दौरान भी आपके संयम और निष्ठा पर सवाल उठाया । यहाँ तक कि आपको एक कमजोर प्रधानमंत्री की संज्ञा दे डाली । वैसे आप जैसे स्थितप्रज्ञ और सूक्ष्म कूट नीतिज्ञ थे जिन्होंने बड़ी आसानी से हिंसा रहित होकर मामले को संसार के समक्ष उठाया । आख़िर पाकिस्तान ने भी ४-५ महीनों में मान लिया कि कसाब उन्हीं का कबाब है ! तमाम दबावों के बावजूद आपने मानवता को नहीं खोया । आख़िर यही तो भारतीयता की निशानी है ! कुछ लोग इसे हमारी कमजोरी कहने की भूल किया करते हैं । क्या करें , अपनी डफली अपना राग !
हाल में गुटनिरपेक्ष देशों की बैठक के दौरान भारत-पाक संयुक्त बयान् में बलूचिस्तान का ज़िक्र करके आपने वहां की जनता को धन्य कर दिया । स्वायत्त होने को आकुल बलूचियों की आवाज़ को संसार के समक्ष ला कर आपने वाकई पुण्य का काम किया है । आपने बलूच जनता के साथ चली आ रही कृतघ्नता के पापों को धो दिया ! मानवता और विश्बंधुत्व के धर्म का पालन आपने बखूबी किया है । लोग इस पर भी कीचड़ उछल रहे हैं । राष्ट्रीयता के साथ समझौता बता रहे हैं । भारत -पाक मामलों में अब तक भारी चल रहे भारतीय पलड़े को कमजोर करने का आरोप लगा रहे हैं । पर , इनको कौन समझाए ? गोया , इन्हे क्या मालूम कि मानवता से समझौता करने से कहीं बेहतर है राष्ट्रीयता के साथ समझौता !
आशा है कि आप आगे भी अपने कार्यकाल में ऐसे समझौते करते रहेंगे ! इन समझौतों से आपकी वैश्विक छवि और निखरेगी । आख़िर आपको अपनी विनम्रता के सहारे विश्वपिता जो बनना है ! अंत में आपको ढेरों शुभकामनायें ! इसी तरह भारत को समझौते के सहारे आगे बढाते रहें !

जय हिंद ! जय हिंद !