कोई गांधी की दुहाई देता कोई अम्बेडकर की ,
कोई लोहिया का फालोवर है कोई सरियत की।
पर इन्सान में इन्सानिसत ढ़ूढ़े नहीं मिलती ,
अपने मन की सभी करते न फिकर औरों की।।
शायद ही कोई कांग्रेसी गांधी को दिल से माने ,
शायद ही कोई मुस्लिम नारी को अपने सा जाने।
शायद कोई बसपाई अम्बेडकर का मूल भाव समझे,
शायद ही कोई सपाई लोहिया को अमल में लावे।।
खुद की कुर्सी डगमगाती आरोप दूसरो पर जड़ते ,
तुष्टि की नीति अपनाकर खुद को सेकुलर कहते ।
सरहद के उसपार के दुश्मनों से उतना खतरा नहीं,
राजनेता छुट्टे साड़ हैं अमन की फसलें रौंदते।।
लीक से हट दूर मनमानी नेतागण करते ,
स्वार्थी तराजू में संकीर्णता को वे तौलते ।
जनता को जानते ना भेड़ बकरी समझते ,
डंके की चोट पे विधान की व्याख्या करते।।
आज आसमां में पुच्छल कई देखे जाते ,
केजरी को देख हार्दिक भी खूब उछलते।
अवैसी विहार में नफरत के बीज हैं बोते,
भावना भड़का के अपना उल्लू सीधा करते ।।
आज का पूरा परिवेश दूषित हो गया है.इसे तुरंत सुधारने की ज़रूरत है.इसे कवि ही ठीक कर सकता है जनता में चेतन जगाकर के, Dr.SaurabhDwivedi.RIMS&R Safai