अनुबाद

जीवन  मृत्यु में अनुबाद होता है

धीरे-धीरे,  बेहद धीरे-धीरे l

पिता से  पुत्र का अनुवाद

पुत्र से पिता का,

माँ से  बेटी का अनुवाद

पुनः बेटी से मां का

बादल से वर्षा और बरसा से बादल

जल का सटिक अनुवाद असंभव है

जब तक प्यास  का अनुवाद न हो जाए

सभी अनुवाद पूरा पूरा असंभव हैं

अनुवाद में

कभी-कभी कई चीज़ें मर जाती हैं

कभी-कभी सब कुछ मर जाता है

जैसे  मानव का अनुबाद बंदर से

और  जीवन का अनुवाद मृत्यु से।

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माधब चंद्र जेना
माधब चंद्र जेना का जन्म 10 जून 1980 को ओडिशा के जाजपुर जिले के ईशानपुर में हुआ था। इस बहुमुखी लेखक की उल्लेखनीय कृतियों में "अlलोक" "बरशा," "खराबेल ओ फेरीबाला," उड़िया में और "गॉड एंड घोस्ट," "ब्लैक एंड ोथेर्स " और "लेट मी गो टू हेल" अंग्रेजी में शामिल हैं । उनके लेखन ने भाषाई सीमाओं को पार कर लंदन ग्रिप, म्यूज़ इंडिया, इंडियन रिव्यू, द चैलेंज, फेनोमेनल लिटरेचर और द वर्बल आर्ट जैसी प्रतिष्ठित अंग्रेजी पत्रिकाओं के साथ-साथ प्रजातंत्र सप्ताहिकी, आइना, समाज जैसी ओडिया पत्रिकाओं में जगह बनाई है। इसके अलावा उनके शोध पत्र वैश्विक ख्याति की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए, जिनमें स्प्रिंगर, विली और टेलर फ्रांसिस आदि शामिल हैं।

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