लालू यादव के कारण बिहार को जो कुख्याति मिली, उसके कारण पूरे देश में बिहार का मज़ाक उड़ाया जाने लगा। लालू यादव के मसखरेपन के कारण बिहार के बाहर लगभग हर बिहारी उपहास का पात्र बन गया। अगर किसी बिहारी से काम करते समय कोई गलती हो गई, तो बास झट से कह देता कि तुम बिहारियों को काम करने नहीं आता और अगर बिहारी ने कोई उल्लेखनीय कार्य कर दिया तो बास का यह कथन होता कि यार तुम तो कहीं से भी बिहारी नहीं लग रहे हो। मैंने लगभग ३७ साल की अपनी पूरी नौकरी यूपी में की है और इस दंश से कई बार रू-बरू हुआ हूँ। कल्पना कीजिए कि बुलन्दशहर वाली गैंग रेप की घटना अगर बिहार में हुई होती, तो देश में बिहारियों की स्थिति कितनी शर्मनाक हुई होती। लेकिन यूपी वाले अब भी मूंछ पर ताव देते हुए घूम रहे हैं। लगता है पीड़ित परिवार न तो दलित वर्ग से है और ना ही अल्पसंख्यक वर्ग से।यह घटना अगर किसी भाजपा शासित राज्य में हुई रहती, तो नरेन्द्र मोदी से इस्तीफा मांगनेवालों की लाईन लग गई होती, संसद ठप्प हो गई होती।
मैंने यूपी में गुजारे गए ज़िन्दगी के अधिकांश हिस्से में यह महसूस किया है कि यूपी में नैतिकता पर जोर कम दिया जाता है। बिहार में तो ले-देकर एक लालू यादव ही हैं जो परोक्ष रूप से चोरी-डकैती, छिनैती और फिरौती का समर्थन करते हैं, परन्तु यूपी में तो लगभग हर पार्टी के नेता ऐसे अनैतिक कामों में लिप्त रहते हैं। विशेष रूप से समाजवादी पार्टी के आते ही गुंडों और असामाजिक कार्य में लिप्त मुस्लिमों का आतंक भयंकर ढंग से बढ़ जाता है। इन लोगों के लिए कानून-व्यवस्था पाकेट की चीज होती है। गुजरात में गोधरा के बाद एक भी सांप्रदायिक घटना नहीं हुई, लेकिन यूपी में ऐसा कोई महीना नहीं बीतता जब ऐसी घटनायें न हों। अब तो पश्चिमी यूपी के कई जिलों से कश्मीर की तरह हिन्दुओं का पलायन भी शुरु हो गया है। इस प्रदेश को संभालना अखिलेश या मुलायम के वश में नहीं है। समाजवादी पार्टी इस प्रदेश के शान्ति चाहने वाले नगरिकों के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में उभर चुकी है। समाजवादी पार्टी लगातार दूसरी बार कभी सत्ता में नहीं आई है। अगले चुनाव में इसका जाना तय है। लेकिन तबतक पता नहीं इस प्रदेश में कितने कैराना, कितने मुज़फ़्फ़रनगर और कितने बुलन्दशहर की घटनायें होंगी। नागरिकों और विशेषरूप से महिलाओं से आग्रह है कि सिर्फ सूर्य के प्रकाश में ही घर से बाहर निकलें। बिहार में गुंडों का शिकार पुरुष वर्ग होता है, यूपी में शिकारी कुत्ते औरतों की तलाश में ज्यादा रहते हैं।
Hindus Must organize in the problem areas and answer goondaism in kind. Shiv sena did the same Maharashtra.
अगले पंद्रह वर्षों में उत्तर प्रदेश के आधे जिले मुस्लिम बहुल हो जायेंगे! तब उत्तर प्रदेश का मुख्य मंत्री अखिल क्लेश या मायावती नहीं होंगे बल्कि आज़म खान या नसीमुद्दीन या मुनकाद अली होंगे!ब्राह्भणों को अपना ब्राह्मणत्व, यादवों को यादवत्व,जाटवों को जाटवत्व, ठाकुरों को ठकुराई , और अन्य जातियों को भी अपनी अपनी बिरादरी चाहिए! लेकिन इन सबको अपने आँचल में समेटने वाला हिंदुत्व कहाँ जाये? अगर आज़म, नसीम या मुनकाद ही चाहियें तो ठीक है! फिर बचा लेना अपनी बहु बेटियों को!