—विनय कुमार विनायक
नहीं हिन्दू बनो ना हीं मुसलमान बनो,
ना किसी अनदेखे परखे को खुदा कहो!
न राम को खोजो मंदिर के भगवान में,
तुमसे अच्छा कोई राम हो सकता नहीं!
खुदा अगर कोई है, तो खुद तुम ही हो,
तुमसे अच्छा कोई खुदा हो सकता नहीं!
अगर कोई राम हो सकता है तो बंधुओं,
तुमसे अच्छा राम बन सकता कोई नहीं!
क्यों पचड़े में हो राम के होने न होने पे,
तुम्हीं चुनौती स्वीकारो राम बन जाने के!
खुदा की खासियत है ऐसी जो होता नहीं,
हुआ नहीं है कभी कोई खुदा जैसी हस्ती!
शख्सियत में कोई खुदा हुआ नहीं कभी,
खुदा का बनना पूरी तरह से बांकी अभी!
तुम खुदा बनकर पूराकर खुदा की कमी,
कि खुदा का अस्तित्व पूर्णतः आसमानी!
खुदा को देखने वाला अबतक हुआ नहीं,
खुदा को खोजो खुदा कहां बाहर खुद से!
बाहरी खुदा खुदगर्ज,खुशामद पसंद होते,
एक नेक खुदा तुम्हारे सिवा कौन होंगे?
सच में एक सौ नाम रखे गए खुदा के,
उसमें निन्यानबे नाम है सिर्फ नाम के!
सौवां नाम खुदा का खोजना संभव नहीं,
सौवां नाम खुदा का अबतक मिला नहीं!
खोजना है तो खोजकर देखो सौवां नाम,
एंजिल, बाइबल, कुरान, हदीस में खुदा के!
खुदा का असली नाम जो अबतक किसी
धर्मग्रंथ आसमानी किताब में दिखा नहीं!
उस खुदा के लिए फसाद कहां तक सही?
खुदा का असली नाम खाली है शून्य ही!
चाहे कहो राम या कि अल्लाह हू अकबर,
खुदा की सेहत पे पड़ता नहीं कोई असर!
खुदा के नाम के पीछे नाहक क्यों पड़े हो?
खुदा को छोड़ दो खुद की जगह इंसान हो!
सच में खुदा का सौवां नाम है नेक इंसान,
जो लिखे वेद की हर ऋचा आयत कुरान में!
—विनय कुमार विनायक