एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ता उत्तर प्रदेश

            उत्तर प्रदेश का होने के कारण यदि हम देश की राजधानी से दो हज़ार किलोमीटर दूर बैंगलुरु और डेढ़ हज़ार किलोमीटर दूर हैदराबाद के उद्योगों का विकास देखते हैं तो यह प्रश्न दिमाग में आना स्वाभाविक है की दिल्ली से मात्र 500 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्रदेश की राजधानी लखनऊ आखिर विकास की यात्रा में इतना पीछे कैसे छूट गई? संसाधनों की बात की जाए तो गंगा के विशाल मैदान की भौगोलिक स्थिति में बसे लखनऊ का अमौसी एयरपोर्ट 1986 से सेवा में है जबकि बैंगलुरु का एयरपोर्ट 2008 में प्रारम्भ हुआ। लखनऊ की रेल सेवाएं 108 वर्ष पुरानी हैं फिर भी हिमाचल प्रदेश के बद्दी में दवाओं के निर्माण के उद्योगों की सफलता यह बताती है की उत्तरप्रदेश आज़ादी के बाद से ही लगातार राजनैतिक षड्यंत्रों की भेंट चढ़ता गया और इतने गौरवशाली अतीत वाले प्रदेश के लोग देश भर में अपनी जीविका के लिए धक्के खाने को मजबूर थे।   

            आज़ाद भारत को 9 प्रधानमंत्री देने वाला उत्तरप्रदेश सदैव गलत वजहों से चर्चा में रहा है एवं इसका कारण है लम्बे समय तक राजनैतिक अस्थिरता की स्थितियां एवं प्रदेश की जनता में जातिगत राजनीति से ऊपर उठ पाने की जिजीविषा की कमी। परन्तु अब प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी जी के कुशल नेतृत्व में उत्तर प्रदेश इस दुर्भाग्य की कालिमा को छांट कर, अपने गौरव को पुनः प्राप्त करने हेतु तैयार प्रतीत होता है।

योगी जी ने अगस्त माह में उत्तर प्रदेश को 1 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 80 लाख करोड़ रुपये) अर्थव्यवस्था बनाने के संकल्प को अमली जामा पहनाने के लिए ने कुछ निर्णायक कदम उठाये हैं।सम्पूर्ण भारत में सबसे अधिक आर्थिक विकास की संभावनाएं रखने वाला उत्तरप्रदेश सामाजिक आर्थिकी में अभी तक विकास की मुख्य धारा में शामिल नहीं हो पाया था परन्तु अब योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के लघु एवं मध्यम उद्योगों की विविधता एक ऐसी क्रांति ला रही है जो सामाजिक, आर्थिक एवं प्रदेश के सॉफ्ट पावर को तेजी से बदल रही है। आइये जानते हैं उत्तर प्रदेश के इन्हीं विविध औद्योगिक सामर्थ्य एवं योगी सरकार के प्रयासों को जिसके आधार पर उत्तर प्रदेश 1 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनकर भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के लक्ष्य का प्रमुख सोपान बनेगा। 

            उत्तर प्रदेश का सकल घरेलु उत्पाद 2018-19 के 15.42 लाख करोड़ रुपये से औसतन 11.39% से लगातार बढ़ते हुए 2021-22 में 21.74 लाख करोड़ रुपये हो चुका है। प्रदेश के सम्पूर्ण औद्योगिक निर्गम में 60% अकेले सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों की हिस्सेदारी है। भारत सरकार के एक सर्वे के अनुसार देश के सबसे अधिक लघु एवं मध्यम उद्योग उत्तर प्रदेश में मौजूद हैं जिनकी संख्या 90 लाख है एवं यह पूरे देश का 14.2 प्रतिशत है। यही लघु एवं मध्यम उद्योग प्रदेश के 1 करोड़ 65 लाख लोगों को प्रदेश में जीविका का साधन उपलब्ध करवा रहा है जो देश के सभी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग द्वारा सृजित रोजगारों का 14.88 प्रतिशत है। प्रदेश के इन्हीं सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग की बदौलत आज उत्तर प्रदेश भारत का अग्रणी निर्यातक प्रदेश बन चुका है। इसमें हस्तशिल्प, अभियांत्रिकी, कालीन, कपड़े और चमड़े के उद्योग सर्वाधिक योगदान दे रहे हैं। इसमें कांच के सामान और चूड़ियां, सिले कपड़े, कालीन और मांस के निर्यात में बहुत अच्छा विकास हो रहा है। आज उत्तर प्रदेश, देश के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने में भारत की सर्वाधिक मदद करता दिख रहा है।

सम्पूर्ण भारत में सबसे अधिक आर्थिक विकास की संभावनाएं रखने वाला उत्तरप्रदेश सामाजिक आर्थिकी में अभी तक विकास की मुख्य धारा में शामिल नहीं हो पाया था परन्तु अब योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के लघु एवं मध्यम उद्योगों की विविधता एक ऐसी क्रांति ला रही है जो सामाजिक, आर्थिक एवं प्रदेश के सॉफ्ट पावर को तेजी से बदल रही है।

            यह विकास ऐसे ही संभव नहीं हुआ है बल्कि योगी सरकार के द्वारा इन सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को भरपूर मदद भी की जा रही है तथा केंद्र सरकार की योजनाओं के सही क्रियान्वयन से इन उद्योगों में और अधिक विकास की चाह बढ़ी है। उत्तर प्रदेश में आज सुशासन के कारण बैंकों से कर्ज लेने के मामले में इन उद्योगों ने अत्यधिक उद्योगीकृत राज्यों महाराष्ट्र और गुजरात को भी पीछे छोड़ दिया है इसे तकनीकी भाषा में क्रेडिट ग्रोथ कहते हैं एवं इसका सीधा अर्थ है की ये उद्योग अब अपने नए प्रोजेक्ट्स के विकास के लिए तैयार हैं और राज्य को इसका प्रतिफल अधिक व्यापार के रूप में थोड़े दिनों में दिखाई देगा। उत्तर प्रदेश की जनता के बीच व्यापर हेतु निवेश के लिए उद्योगों में दिखने वाला जो उत्साह आज दिखाई दे रहा है यह योगी सरकार के पिछले 5 वर्षों से लगातार सुशासन हेतु किये जा रहे श्रम के कारण संभव हुआ।   

            उत्तरप्रदेश के पास प्राकृतिक संसाधनों की भी प्रचुरता है जिसका लाभ अब औद्योगिक विकास हेतु उठाने का सही समय है। प्रदेश में 22 करोड़ की जनसँख्या के साथ ही 20 वर्षीय माध्य औसत आयु के साथ उत्तर प्रदेश और बिहार देश के सबसे युवा प्रदेश हैं जो यहाँ के लिए एक तैयार वर्कफोर्स है। ग्रामीण आबादी के परिवारों में अपने पारम्परिक कार्यों के कारण यह वर्कफोर्स आंशिक रूप से कौशलयुक्त भी है। 1 देश और 9 प्रदेशों के साथ लगती सीमा भी उत्तर प्रदेश को व्यापार हेतु एक अच्छा मौका देती है क्यों की प्रदेश के पास 48 राजमार्गों, 3 निर्मित और कई निर्माणाधीन महामार्गों के द्वारा सम्पूर्ण देश से जुड़ा है। रेलवे के परंपरागत मार्गों के जाल के अलावा समर्पित मालवाहक गलियारे के विकास के केंद्र में उत्तर प्रदेश की मौजूदगी इसे भविष्य में विनिर्माण का अगुवा बनाने में मदद करेगा।

            प्राकृतिक संसाधनों की बात करें तो खनिज, वन सम्पदा, पारिस्थितिकी आदि से समृद्ध गंगा के विशाल मैदान और सदानीरा हिमालयी नदियां इस प्रदेश को कृषि उद्योगों, फ़ूड प्रोसेसिंग उद्योगों के लिए स्वर्ग है। कानपुर, कन्नौज फर्रुखाबाद के आलू उत्पादन के क्षेत्र पोटैटो इकॉनमी के लिए आदर्श हैं और गुजरात से भी अच्छी संभावनाएं उत्तर प्रदेश में निवेशकों को मिल रही हैं। डेयरी उत्पादन में अगुवा उत्तर प्रदेश गेंहूं, गन्ना, आम आदि के उत्पादन में अग्रणी होने के कारण उद्यमियों के निवेश को आकर्षित करना प्रारंभ कर चुका है। ऊर्जा उत्पादन में आज उत्तर प्रदेश हाइड्रो पावर में दूसरा और थर्मल पावर में तीसरा उत्पादक है साथ ही विद्युत् गुणवत्ता में सरकार द्वारा सुधार एवं आपूर्ति घंटे बढ़ने से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को नए निवेश हेतु शक्ति मिल रही है। उद्योगों के लिए वर्कफोर्स हेतु 72 विश्वविद्यालय, 4000 कॉलेज और 168 पोलटेक्निक के द्वारा कौशल विकास के मोदी सरकार की मुहीम का लाभ प्रत्यक्ष रूप से उत्तर प्रदेश के उद्योगों को मिला है।

            ऑटोमोबाइल, इलक्ट्रोनिक तथा इलेक्ट्रिकल उपकरणों के मामले में यूपी का लघु व मध्यम उद्योग बहुत मजबूत है। नॉएडा और गाज़ियाबाद में फैले इन उद्योगों की धाक विदेशों तक है। वहीँ दूसरी ओर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में देश की बायोटेक राजधानी बनने का सामर्थ्य है।  यहाँ देश का पहला बायोटेक पार्क बनाया गया है जिसमें 3000 से भी अधिक वैज्ञानिक और शोधकर्ता कार्यरत हैं साथ ही दुनिया की नामी कंपनियों द्वारा निवेश कर माइक्रोबायोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, पर्यावरणीय परिक्षण और फार्मा शोध हेतु केंद्र खोले गए हैं। खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में तो प्रदेश के लघु उद्योग दुनिया भर में नाम कमा रहे हैं इसका कारण है की देश के सम्पूर्ण खाद्यान्न उत्पादन में यूपी 18 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है। चंदौली का काला चावल, प्रतापगढ़ का आंवला, गोंडा के मक्के व दाल, औरैय्या का घी, हाथरस की हींग, मुजफ्फरनगर का गुड़ प्रदेश के खाद्य प्रसंस्करण लघु उद्योगों की शान हैं। चमड़े के उद्योग में यूपी देश का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।

            दिल्ली से सटे होने का लाभ उत्तर प्रदेश को मिला है एवं नॉएडा में सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक डिज़ाइन से सम्बंधित उद्योगों ने काफी प्रगति किया है। उत्तर प्रदेश में 15 विशेष आर्थिक क्षेत्र के अलावा 40 आईटी एवं आईटीईएस पार्क हैं जो सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्रों से सम्बंधित सेवाओं के निर्यात में बहुत ही अधिक सहयोग करते हैं तथा नॉएडा देश के मुख्य आईटी-मीडिया हब के रूप में पहचाना जाता है। योगी सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना में फिल्मसिटी बनने के बाद इससे जुड़े लघु उद्यमों को मानों पंख लगने वाले हैं। साथ ही आगरा, मेरठ और गोरखपुर में आईटी पार्क की स्थापना से छोटे शहरों में भी निवेशकों को बड़े शहरों जैसे सरकारी लाभ के सस्ते वर्कफोर्स उपलब्ध होंगे। इन्हीं कारणों से आज यूपी आज भारत का सॉफ्टवेयर सेवाओं का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक बन चुका है।

            पर्यटन में उत्तरप्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए एक बहुत बड़ा अवसर है। भारत में यूपी विदेशी पर्यटकों की तीसरी एवं देसी पर्यटकों की दूसरी पसंद है। कोविड के समय को छोड़ दें तो हर साल 35 करोड़ विदेशी एवं 23 करोड़ देसी पर्यटक यूपी के छोटे उद्योगों के लिए बड़ा अवसर पैदा करते हैं। वाराणसी, अयोध्या एवं मथुरा जैसे शहरों का कायाकल्प होना पर्यटन में एक क्रांतिक उछाल लाएगा एवं इसका सीधा लाभ छोटे उद्योगों को मिलेगा।

            उपरोक्त के द्वारा यह स्पस्ट है की क्यों प्रदेश के विकास में योगी जी की महत्वकांक्षी योजना एक जनपद-एक उत्पाद को इतना महत्व मिल रहा है क्यों की इसी से प्रदेश के विकास को गति मिलेगी। हर जिले को एक निर्यात केंद्र बनाकर 5 ट्रिलियन रुपये के निर्यात के लक्ष्य को सुनिश्चित किया जा रहा है। कार्यों के तेजी से क्रियान्वयन के लिए निवेश मित्र एकल विंडो पोर्टल बनाकर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को प्रमाणित किया जा रहा है। इस कार्य का अंदाज़ा आप इस तरह से लगा सकते हैं की 29 अलग अलग विभागों के 80 प्रकार के अनापत्ति प्रमाण पत्रों को एकल विंडो से हल किया जा रहा है। कोई भी स्वरोजगार कर्मी एक फॉर्म भरकर लगभग सभी विभागों की स्वीकृति एक तय समय में ले सकता है।

            निवेशकों के लिए इन्वेस्टयूपी एवं ओडीओपी वेबसाइट के द्वारा सभी सूचनाएं एवं सहयोग को एक ही प्लेटफार्म से दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के साथ प्रदेश सरकार की विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना एवं मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना में पारम्परिक उद्यमियों एवं नए लोगों को व्याज सब्सिडी देकर आर्थिक सहयोग किया जा रहा है। लखनऊ में स्वरोजगार विकास संसथान का निर्माण कर एक योजनाबद्ध तरीके से युवाओं को इन उद्योगों से जोड़ने की कवायद भी हो रही है। डिज़ाइन, निर्माण एवं मार्केटिंग के पूरे चक्र का प्रशिक्षण देने हेतु 6 हस्तशिल्प केंद्र भी खोले जा रहे हैं। राजधानी में पूरे प्रदेश के उद्योगों को पहचान देने और बाजार पैदा करने के उद्देश्य से एक स्थायी प्रदर्शनी केंद्र खोला गया है।

            यूपी निर्यात प्रोत्साहन समिति को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों में सम्मिलित होने और क्रेता-विक्रेता सम्मलेन का भी कार्य सौंपा गया है। भूमि अधिग्रहण हेतु प्रदेश ने एक तय समय में अधिग्रहण को पूर्ण करने वाली कार्य योजना को भी बना दिया है। प्रवासी राहत मित्र मोबाइल एप्लीकेशन के जरिये कोविड में घर लौटे वर्कफोर्स के कौशल को पहचान कर सेवा प्रदाताओं से जोड़ा जा रहा है। पेमेंट एवं कर सम्बंधित समस्याओं हेतु MSME मित्र, सक्षम, समाधान मोबाइल एप्लीकेशन के द्वारा घर बैठे हल की व्यवस्था की गई है। कुल मिलाकर योगी जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश पूरी ईमानदारी के साथ भ्रस्टाचारियों, माफियाओं पर नकेल कसकर ऐसे ठोस तैयारियों के साथ आगे बढ़ रहा है जिससे प्रदेश के 1 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य दूर की कौड़ी नहीं लगती है। 

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