विरहणी का सन्देश वाहक बादल

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नन्ही नन्ही जल की बूँदे,जब बरसाता है बादल
धरती भी लहरा देती है, उसे अपना सूखा आँचल

जीव-जन्तु भी खुश हो जाते है,जब लाता बूँदे बादल
विरहणी भी लगा लेती है ,अपनी आँखों में काजल

घन-घोर घटाये घुमड़ती है,और शोर मचाता है बादल
दामिनी भी खूब दमकती है प्रेमिका हो जाती है पागल

आसमान में जब छा जाते है ,जब कारे कारे बादर
पनिहारिन भी नहीं जाती है पनघट पर भरने गागर

पनिहारिन भी डर जाती है,जब डराते है उसे कारे बादर
मटकी अपनी फोड़ देती है,याद करती है अपना नागर

आंधी भी रुक जाती है,जब गर्जन करता है बादर
मुसाफिर भी रुक जाता है,ओढ़ता है अपनी चादर

विरहनी बोली सुनो ऐ बादल संदेश ले जाओ तुम बादल
ढूंढो मेरे प्रेमी को,सुनाओ उनको मेरा संदेशा बादल

“प्रेमिका तुम्हारी तड़फ रही है” सुनाओ संदेशा बादल
तुम बिन मर जाएगी इस मौसम में ऐसा कहो बादल

विरहणी बोली बादल से,रुक जाओ अब तुम बादल
प्रियतम मेरे आ जाये तब जोर से बरसों तुम बादल

सभी हंस रहे है तू क्यों रो रहा है ऐ पागल बादल
प्यास बुझाने के चक्कर में मै रह गया प्यासा बादल

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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