व्यग्र न हों – मोदी पर विश्वास रखें

संदर्भ: दो जवानों के सर कटे शव

चाणक्य ने कहा था कि _ “लक्ष्य साधनें के समय पर बुद्धिमान व्यक्ति को सारस की तरह अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण साधे रखना चाहिए और अपनें उद्देश्य को स्थान की जानकारी, समय व योग्यता के अनुसार प्राप्त करना चाहिए.”

चाणक्य का यह प्रेरक वाक्य मुझे उस समय याद आया जब पाकिस्तान द्वारा सीमा स्थित कृष्णा घाटी में हमारें सुरक्षा बलों के दो सैनिकों के सर बेहद क्रूरतापूर्वक काट डाले गए. प्रतिक्रिया में देश भर में तनावपूर्ण वातावरण बन गया. देशवासी अतीव आक्रोश में आ गए. समाचार पत्रों से, टीवी चैनलों से व विशेषतः सोशल मीडिया से सरकार पर यह दबाव बनने लगा है कि वह पाकिस्तान के विरुद्ध निर्णायक सैन्य कार्यवाही करे. सरकार पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनानें के लिए शहीद सैनिकों के व उनके बिलखते परिजनों के चित्र वीडियो देश भर में सब तरफ दिखाए जा रहे है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी वो वीडियो वायरल कराए जा रहे हैं जो 2014 के पूर्व के हैं और जिसमें नरेंद्र मोदी पाकिस्तान के विरुद्ध भारत की मनमोहन सरकार की अक्षमता व अकर्मण्यता का वर्णन करते हुए पाकिस्तान के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई की मांग कर रहें हैं. जाहिर है कि इन सब के पीछे एक ही कारण है – और वह है – नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाना. एक स्वस्थ लोकतंत्र में यह स्वाभाविक है, जिसे होते रहना चाहिए, किन्तु यहां कुछ मूल अंतर हैं जिन्हें प्रकारांतर से “तुम्हारी कमीज मेरी कमीज से अधिक सफ़ेद कैसे” की बड़ी ही बालसुलभ शैली से व्यक्त किया जा सकता है. किन्तु यहां यह उल्लेखनीय है कि दो पड़ोसी राष्ट्रों के मध्य और विशेषतः तनाव पूर्ण सम्बंधों के मध्य हम इतनी सहज बातों से नीति निर्धारण नहीं कर सकते हैं. ऐसी परिस्थितियों में मनमोहन नेतृत्व वाली सप्रंग सरकार व नरेंद्र मोदी नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के मध्य अंतर या भेद का जो मूल कारण है वह है पाकिस्तान पर, भारत का उच्च स्तर पर पहुंचा हुआ मानसिक दबाव. निस्संदेह आज भारत पाकिस्तान पर सैन्य, आर्थिक व सामरिक मोर्चों पर जिस प्रकार का मनोवैज्ञानिक दबाव बना चुका है वैसा पिछले दशकों में देखनें में नहीं आया था. एक कारगिल युद्ध के कालखंड को छोड़ देवें तो बाकी समय भारत पाकिस्त्तान को क्रिया की क्षीण प्रतिक्रया देता ही नजर आया है. हम भारत की जनता को इन परिस्थितियों में कुछ बातो को स्पष्ट अपनें मन में बैठाकर चलना चाहिए वह यह कि – एक, पाकिस्तान की सेना पर पाकिस्तान की सरकार का पूर्ण नियंत्रण नहीं है, वहां सेना व सरकार दो अलग अलग संस्थाएं हैं और इतिहास साक्षी है कि ये दोनों पाकिस्तानी संस्थाएं आपस में उलझी हुई ही अधिक रहीं हैं. वहां की सरकार का सेना पर पूर्ण नियंत्रण नहीं रहता है. अक्सर पाकिस्तान सरकार के शांति प्रयासों के समय वहां की सेना विपरीत व भड़काऊ कार्यवाही करती है और अबकी बार भी ऐसा ही हुआ है. दुसरा – नरेंद्र मोदी सरकार पाकिस्तान के विरुद्ध निर्णायक मनोवैज्ञानिक व सैन्य बढ़त बना चुकी है और सामरिक दृष्टि से भारत को कुछ ऐसा नहीं करना चाहिए जिससे इस बढ़त को हानि पहुंचे. तीसरे – भारतीय सेना के पाकिस्तान पर किये गए सर्जिकल अटैक के बाद पाकिस्तान स्वाभाविक रूप से कुछ अधिक चौकन्ना ही होगा. इन तीन परिस्थितियों में जो सर्वाधिक सुखद पक्ष है वह यह ही है कि आज भारत पाकिस्तान पर न केवल सैन्य अपितु वैश्विक दृष्टिकोण से भी दबाव बना या बनवा चुका है और सबसे दुखद पक्ष यह है कि पाकिस्तान अपनी बर्बरता पूर्ण शैली से भारत के दो जवानों के शीश कटे सर भेजकर हम पर लानत थोप चुका है. पाकिस्तान ने ऐसी बर्बर और पाशविक कार्यवाही कोई पहली बार नहीं की है, वह इसके पूर्व भी हमारें सैनिकों के साथ ऐसा ही सलूक कर चुका है.

जैसा कि इस आलेख के प्रथम पक्ष में ही मैंने चाणक्य का उद्धरण देकर बताया कि हमें स्वयं को साधकर सटीक समय पर अपना सर्वोत्तम करना होगा. आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता यही है. और आज के समय की सबसे दुखद परिस्थिति यही है कि हमारी पीढ़ी कुछ अधिक व्यग्र है, वह कुछ अधिक ही हावी होनें के प्रयास में भी रहती है किंतु इस क्रम में आगे बढ़ते हुए वह स्वनियंत्रण को ही खो बैठती है जो इस समय की मूल ही नहीं अपितु परम आवश्यक आवश्यता रहती है. हम देख रहें हैं कि पाकिस्तान द्वारा हमारें सैनिकों के साथ पाशविक आचरण के बाद मीडिया पर और विशेषतः सोशल मीडिया द्वारा नरेंद्र मोदी नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर जिस तरह का बदला लेनें का मानसिक दबाव बना दिया गया है. लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित किसी भी सरकार के लिए ऐसा जनदबाव खतरनाक साबित हो सकता है, वो तो अच्छा है कि मोदी सरकार और उसके विभिन्न भाग व अंग इस जनदबाव के समक्ष भी अपनें विवेक व दायित्वबोध को यथा स्थान, यथा समय व यथा संतुलन समायोजित किये हुए है.

ऐसा नहीं है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने दो सर काटनें के दुष्कृत्य के बाद पाकिस्तान के विरुद्ध कोई सार्थक कार्यवाही नहीं की है. भारत पाक के मध्य शांतिपूर्ण सम्बंधों को लक्ष्य बनाये भारतीय विदेश सचिव ने पाकिस्तान के भारत स्थित उच्चायुक्त अब्दुल बासित को बुलाकर उससे अपनी नाराजगी को कड़े शब्दों में व्यक्त कर दिया है. अब्दुल बासित से मोदी सरकार ने कहा है कि वह अतिशीघ्र इन सैनिकों पर कड़ी कार्यवाही करे जिन्होनें यह घृणित कार्य किया है. उधर रक्षा मंत्री अरुण जेटली इस विषय पर चर्चा हेतु परापर मिलें हैं. गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आंतरिक सुरक्षा को लेकर एक उच्चस्तरीय बैठक हो चुकी है. अर्थात स्पष्ट है कि पाकिस्तान के विरुद्ध नरेंद्र मोदी सरकार अपनी इन्द्रियों को साधनें की स्थिति में आ गई है. उचित समय व स्थान देखते से ही बड़ा ही सटीक हमला होगा. इस समय देश में जो वातावरण है उसमें सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि विपक्षी राजनैतिक दलों के लाख प्रयासों के बावजूद भी भारतीय नागरिकों के मन पाकिस्तान के प्रति क्रोध व आक्रोश तो पनपा है किन्तु मोदी सरकार के प्रति उपेक्षा भाव नहीं बढ़ा अपितु  अपेक्षा भाव आकार ले रहा है. पाकिस्तान पर तुरंत हमला करने का परामर्श देनें वाले, एक सर के बदले पचास सर काटनें का परामर्श देनें वाले, मोदी पर व्यंग्य करनें वाले व मारो काटो युद्ध का नारा लगाने वालो द्वारा लाख वातावरण बनानें के बाद भी एक आम भारतीय नागरिक इस बात से निश्चिन्त है कि मोदी सरकार पाकिस्तान से इस बर्बर कार्यवाही का समयोचित हिसाब कड़ाई से लेगी. मोदी सरकार के प्रति यह भारत देश का ये जो अपेक्षा भाव है वह मनमोहन सरकार के समय कहीं दूर दूर तक नहीं दिखाई देता था. यह अपेक्षा भाव ही नरेंद्र मोदी सरकार को मिला वह प्रमाणपत्र है जिसे उसनें प्रतियोगिता को विजय करनें से पूर्व ही प्राप्त कर लिया है. स्वाभाविक ही अब मोदी सरकार पर अपेक्षाओं पर खरा उतरनें व परिणाम पूर्व ही मिले प्रमाणपत्र को सिद्ध करनें का समय है.

आवश्यकता है तो इस बात की कि हमारी चंचल, व्यग्र, द्रुतगामी पीढ़ी अपनें इन तीनों समयोचित लक्षणों के साथ साथ अपनी स्वाभाविक आशावादी छवि को भी बनाये रखे. नरेंद्र मोदी सरकार ने पाकिस्तान के साथ जो दुस्साहसिक प्रयोग कियें हैं वे कल्पनातीत हैं. नरेंद्र मोदी पाकिस्तान की सीमा में सर्जिकल अटैक भी कर आयें हैं और बिना बुलाये नवाज शरीफ के घरद्वार जाकर उन्हें शाल भी भेंट कर आयें हैं. भारत की सरकार हावी रहते हुए परस्पर शांति के प्रत्येक अवसर को परख रही है और हमले भी कर रही है. अब रही बात सूबेदार परमजीत सिंग और नायक प्रेम सागर के कटे सर आयें शवों की तो प्रत्येक नागरिक को विश्वास है अपने सेनाध्यक्ष की इस बात पर कि कटे सरों का हिसाब अवश्य होगा.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress