जाँत-पाँत पर,ऊँच-नीच पर तोड़-तोड़ कर,
परम्पराओं को,पुराणों को मोड़-मोड़ कर,
पश्चिमीकरण की अखिल भारतीय आंधी चला ,
स्वदेशी को गाँधी की सती बना, चिता जला,
नर-पिशाच वो खडे आज पहन खादी हो गये,
हम हिन्दु अब आतंकवादी हो गये …
जिसके प्रतिष्ठा को लड़े-भिड़े, हुएँ खेत शिवाजी,
जिसके लिए महाराणा हुएँ घास खाने को राजी,
जिस लिए पृथ्वीराज ने नृपता त्यागी,वैभव खोया,
उस सनातन धर्म के विनाश का गया आज विष-बीज बोया,
पटेल की कुर्सी पर काबिज कैसे जयचन्दवादी हो गये,
हम हिन्दु अब आतन्कवादी हो गये…
विश्व-शरणार्थी आतंकित पारसियों को दिया अभयदान,
तिब्बतियों ने पाया यहीं विश्व भर घूम जीवन स-सम्मान,
दे कोटि बलिदान विदेशी गुलामी को जैसे-तैसे रोका,
फिर एक विदेशी बहू को सत्ता सहर्ष-निशन्क सौपा,
उसी उदारता के हम अपराधी हो गये,
हम हिन्दु अब आतन्कवादी हो गये…
हिन्दुस्तान है देश तो हिन्दु इसकी कौम है,
शामिल सनातन वाले भी,इसाई औ’ मुसलमाँ है,
हिन्दु यदि आतन्कवादी तो फिर तुम कौन हो,
पूछता सारा भारत है, अब क्यो साधते मौन हो ,
कलंकित हम आज पुरे 125 करोड आबादी हो गये,
हम अब पुरे एक देश आतन्कवादी हो गये…
हम हिन्दु अब आतन्कवादी हो गये…
हम हिन्दु अब आतन्कवादी हो गये..
– अभिनव शंकर
आतँकवाद का नाम किसी भी धर्म से जुड़ना शर्मनाक है। मुठ्ठी भर लोगों के कुछ ग़लत करने से हिन्दू
आतंकवादी नहीं हो सकते।अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण करते करते सत्ताधारी बहुसंख्क समाज पर व्यर्थ
दोषारोपण करते रहेंगे तो हो सकता है उनकी सहनशीलता कभी जवाब दे जाय।अच्छी भावाभिव्यक्ति।