टूट गयी सड़कें
बह गया पुल
आम जनता है पस्त
अधिकांश नेता – अधिकारी
अपने में मस्त
दिखने में सब भद्र
पर सवाल वही
कहाँ है पीड़ितों – गरीबों का
सही हमदर्द
बड़ा हादसा हो जाता है जब
आते है अपनी सुविधा से
सफेदपोश सारे
जहाज और गाड़ियों में
लदकर , लकदक
सहानुभूति जताने
घड़ियाली आंसू बहाने
अखबार और टीवी के लिए
फोटो खिचवाने
समाचार छपवाने
गहराता जा रहा है
राजनीति व प्रशासन में यह चलन
जनता का निरंतर
हो रहा दोहन व दमन
जागृत समाज सत्याग्रह का अस्त्र
फिर उठाएगा जब
आम जन की हालत
अच्छी होगी तब !
भाव भरी अभिब्यक्ति ,हार्दिक बधाई ,मिलन जी ………
कौन करे,यहाँ तो पूरे कुँए में ही भंग पड गयी है.गाँधी भी बेचारे बार बार क्यों आयेंगे,एक बार आ कर उन्होंने भी देख लिया,उनका भी राजनितिक व्यापार होने लगा,टेस्ट के लिए उन्होंने जॆ पी,अन्ना को भेज कर देखा ,उनकी दुर्गति होते देख वे भी आने से कतराते हैं सत्याग्रह कौन करेगा.