“जिंदगी” क्या है

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आज “जिंदगी” संभल गई,
कल सब कुछ संभल जायेगा।
आज जिंदगी न संभली तो,
कल सब कुछ बिगड़ जायेगा।।

“जिंदगी” संवारने को तो,
सारी जिंदगी पड़ी है।
ये लम्हा संवार लो तुम,
जहा जिंदगी खड़ी है।।

“जिंदगी” है तो सब कुछ है,
जिंदगी नहीं तो कुछ नहीं।
अगर जिंदगी न रही तो,
सारा जहान कुछ नहीं।।

“जिंदगी” जिंदादिली का नाम है,
बाकी सब बेकार के नाम है।
अगर ये जिंदगी न रहीं तो,
समझ लो हम नाकाम है।।

ये बुरा वक़्त आया है,
कभी अच्छा भी आयेगा।
इस वक़्त जिंदगी संभाल,
ये बुरा वक़्त टल जायेगा।।

“जिंदगी” एक अनमोल पेड़ है,
इसमें फल जरूर आयेगे।
अगर ये पेड़ न रहा तो
फल कहां से हम खायेंगे।।

“जिंदगी” है तो जहान है,
वरना ये फूटा मकान है।
इसे संभाल कर तू रख,
वरना रहेगा तू वीरान है।।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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