कविता

जब रावण ब्राह्मण था तो उनका भांजा शंबूक शूद्र कैसे?

—विनय कुमार विनायक

बहुजन सवर्ण की राजनीति करनेवाले जातिवादियों कहो

जब रावण ब्राह्मण था तो उनका भांजा शंबूक शूद्र कैसे?

पेड़ से उलटा लटककर भला कौन महामानव तप करते?

भला ऐसे ऊट-पटांग तप से किसी विप्र के बालक मरते?

सच्चाई यह है कि राम के समय में जाति नहीं बनी थी

सूर्य चन्द्र जड़ चेतन प्रकृतिपूजक टोटमवादी संस्कृति थी!

ऋक्ष कपि वानर पक्षी गिद्ध गरुड़ नाग यक्ष राक्षस ऋषि 

आर्य किन्नर मानव; कुछ कंदमूल फलाहारी कुछ नरभक्षी!

जब ऋषियों की संतान करने लगी ब्राह्मण याजक कर्म

तब स्मृतिकारों ने सृजन किया विप्र श्रेष्ठतावादी चतुर्वर्ण!  

इसी श्रेष्ठतावाद के कारण रावण का हुआ ब्राह्मणीकरण

इसके पूर्व राक्षस रावण का हो चुका राम के हाथों मरण!

ब्राह्मणी लेखन में राम का चरित्र हनन ऐसा किया गया

कि विप्र रावण के भांजा शंबूक शूद्र हंता बना दिया गया!

रामकथा ब्रह्मा पौत्र प्रचेता पुत्र ऋषि वाल्मीकि ने लिखी?

जो मादा क्रौंच की पीड़ा से द्रवित हो बन गए आदि कवि!

रामकथा सृजन के पूर्व महर्षि वाल्मीकि रत्नाकर डाकू थे

मरा-मरा रटकर रामकथा कह गए,राम वंशधर इक्ष्वाकु के!

राम दशरथ सुत सगुण रुप विष्णु अवतारी परम तत्व थे

रामकथा बुद्ध ने कही दशरथ जातक में जो बोधिसत्व थे!

राम की जीवनी जैन धर्मग्रंथ पउमचरिउ में भी है वर्णित

राम  का चरित्र विश्व के तमाम भाषा साहित्य में लिखित!

राम के वंशधर सारे सिख गुरु राम का गुणगान गुरुग्रंथ में

राम ही कृष्ण थे राम रमे गुरुनानक से गुरुगोविंद पंथ में!

सबने राम की पितृभक्ति भातृप्रेम मानवता की कथा कही

राम का मर्यादित चरित्र दलित प्रीति मैत्री की तुलना नहीं!

राम मानवता की मूर्ति राम से मानवता का गुण धर्म चला

राम आदमियत की पहचान राम पुरुषोत्तम करे सबका भला!

राम ने आजीवन हर रिश्ते के साथ न्याय किया दुख सहके

वे प्रजावत्सल थे,धोबी के आक्षेप सहे स्त्री वियोग में रहके!

राम ने सदाचार सिखलाया राम ने अहंकार का शमन किया

राम का युग तीर्थंकर व बोधिसत्व का,ना कोई ब्राह्मण था!

राम का अपमान करे जो वो पिता का सम्मान क्या करेंगे?

जो सीता को माँ नहीं माने वे अपनी माँ को मान क्या देंगे?

जो राम सा अनुज को ताज देंगे वे जन-मन में राज करेंगे

जो हर जीव जंतु से प्रेम करेंगे वे धरा पे रामराज्य लाएंगे! —विनय कुमार विनायक