राजेश कुमार पासी
प्रधानमंत्री मोदी ब्रिटेन की विदेश यात्रा पर हैं, जहां भारत ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने वाला है। 2022 से इसके लिए भारत सरकार और ब्रिटिश सरकार के बीच बातचीत चल रही थी और अब इस समझौते पर हस्ताक्षर होने जा रहे हैं। बेशक ये समझौता भारत और ब्रिटेन के बीच होने जा रहा है लेकिन इस समझौते से मोदी पूरी दुनिया को एक संदेश देने जा रहे हैं। विशेष तौर पर मोदी इस समझौते के जरिये अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक बड़ा संदेश देने जा रहे हैं। जब से भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम हुआ है तब से डोनाल्ड ट्रंप यह राग अलाप रहे हैं कि उन्होंने दोनों देशों के युद्ध विराम करवाया था । भारत सरकार द्वारा अधिकारिक रूप से नकार दिये जाने के बावजूद उनका राग अलापना बंद नहीं हुआ है ।
उनका कहना है कि उन्होंने दोनों देशों को ट्रेड डील करने की बात कहकर मनाया था । सवाल यह है कि पाकिस्तान ऐसा क्या बनाता है जिससे वो अमेरिका के साथ व्यापार करने जा रहा है ।
दूसरा सवाल यह है कि अमेरिका की कई धमकियों के बावजूद भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की तरफ कदम नहीं बढ़ाए हैं । जो समझौता हुआ ही नहीं, उसके कारण कैसे भारत पाकिस्तान अमेरिकी प्रभाव में युद्ध रोकने के लिए सहमत हो गए । जहां भारत का अमेरिका के साथ अभी तक व्यापार समझौता नहीं हो पाया है तो वहीं दूसरी तरफ तीन वर्षों की मेहनत के बाद ब्रिटेन के साथ भारत का समझौता होने जा रहा है । भारत इस समझौते के जरिये अमेरिका को संदेश दे रहा है कि वो अपने हितों के साथ कोई समझौता नहीं करने वाला है । इस समझौते के जरिये भारत ने सुनिश्चित किया है कि उसके 99 प्रतिशत निर्यात उत्पादों को ब्रिटेन में जीरो डयूटी श्रेणी में रखा जाएगा । भारत पर अमेरिका द्वारा लगातार डेडलाइन देकर समझौता करने का दबाव बनाया जा रहा है लेकिन भारत ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि वो किसी डेडलाइन के डर से समझौता नहीं करने वाला है । भारत अपने हितों को देखते हुए ही अमेरिका के साथ समझौता करेगा ।
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अमेरिका को कहा था कि हम समझौता जरूर करेंगे लेकिन बिना किसी डेडलाइन के करेंगे । उन्होंने कहा था कि इस तरीके से बातचीत की जाएगी तो हमें कोई ट्रेड डील नहीं करनी है । पहले अमेरिका ने 9 जुलाई की डेडलाइन दी थी और अब इसे बढ़ाकर 31 जुलाई कर दिया गया है । अमेरिकी दबाव का नतीजा ये निकला है कि भारत सरकार ने अन्य देशों के साथ व्यापार करने के लिए जो शर्ते तय की थी, उनके अनुसार अमेरिका के साथ बातचीत नहीं होने जा रही है बल्कि भारत का कहना है कि जैसे अमेरिका बात करेगा, उससे वैसे ही बात की जाएगी । भारत का अमेरिका को सीधा संदेश है कि वो किसी दबाव में व्यापार समझौता करने वाला नहीं है । भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड डील की बातचीत के दौरान ब्रिटेन के तीन प्रधानमंत्री बदल गए लेकिन बातचीत चलती रही । इससे यह भी संदेश जाता है कि ट्रेड डील किन्हीं दो लोगों के बीच नहीं होती बल्कि दो देशों के बीच होती है । बिट्रिश प्रधानमंत्री स्ट्रार्मर ने कहा है कि ब्रेग्जिट के बाद ये उनके देश की सबसे बड़ी ट्रेड डील होने वाली है । उनका कहना है कि इससे दोनों देशों को बड़ा फायदा होने वाला है । इस समझौते से भारत में 50 लाख नौकरियां पैदा होने की संभावना है और मेक इन इंडिया को इससे फायदा होने की संभावना जताई जा रही है ।
भारत इससे यह संदेश दे रहा है कि अमेरिका भारत को कमजोर देश न समझे. हो सकता है कि उसकी दबाव बनाकर समझौता करने की रणनीति कुछ देशों के साथ सफल हो गई हो लेकिन भारत के मामले में ऐसा होने वाला नहीं है । अमेरिका को समझना होगा कि उसकी भारत के साथ इस मामले की कई बैठकें हो चुकी हैं लेकिन अभी तक कोई परिणाम नहीं निकला है । यहां तक कि कोई छोटी डील भी नहीं हो सकी है । अमेरिका की दबाव बनाने की रणनीति का ये परिणाम निकला है कि भारत ने कई ऐसे क्षेत्रों को बातचीत से बाहर निकाल दिया है जिन्हें पहले वो अमेरिका के लिए खोलने की बात करने वाला था । भारत दूसरे देशों को उन क्षेत्रों में आने के लिए बात करने के लिए तैयार है लेकिन अमेरिका से अब उन क्षेत्रों के बारे में कोई बात नहीं होगी । भारत ने अमेरिका को बता दिया है कि बिना किसी दबाव के भी दूसरे देशों के साथ समझौता किया जा सकता है ।
जहां तक भारत और ब्रिटेन के बीच होने वाले समझौते की बात है तो दोनों देशों ने इसके लिए चौदह दौर की बातचीत की है और इसके बाद ही दोनों देशों के बीच सहमति बनी है । मोदी जी की उपस्थिति में इस पर हस्ताक्षर होने वाले हैं । इस समझौते का लक्ष्य है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक दोगुना करके 120 अरब डॉलर तक पहुंचा दिया जाए । इस समझौते से भारत के वस्त्र उद्योग, इंजीनियरिंग उत्पाद, दवाएं और अन्य कई प्रमुख क्षेत्रों के लिए ब्रिटेन का बाजार शून्य शुल्क या कम शुल्क में उपलब्ध हो जाएगा । इसके अलावा भारत के कामगारों और प्रोफेशनल को ब्रिटेन में काम करने में आसानी होगी और उनको सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाएगी और उन्हें ब्रिटेन की पेंशन योजना के लिए कोई पैसा नहीं देना होगा।
ब्रिटेन को भी इस समझौते से बड़ा फायदा होने जा रहा है। ब्रिटेन के अल्कोहल और यात्री कारों को भारत के बाजार में जगह मिलेगी. इन्हें शुल्कमुक्त नहीं किया जा रहा है लेकिन दूसरे देशों के मुकाबले बहुत कम शुल्क पर भारत में इनकी बिक्री हो सकेगी। इसके अलावा कई अन्य क्षेत्रों में ब्रिटिश सामानों को भारत में सस्ते में बेचा जा सकेगा। इससे ब्रिटिश सामान दूसरे देशों की तुलना में भारत में काफी सस्ते हो जाएंगे। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ब्रिटेन की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए यूरोपियन यूनियन के साथ दोबारा जुड़ना चाहते हैं लेकिन ब्रिटेन को यह भी समझ आ रहा है कि यूरोपियन यूनियन की अर्थव्यवस्था खुद ही डूब रही है तो उसके साथ जुड़कर ब्रिटिश अर्थव्यवस्था कैसे ऊपर उठ सकती है। यही कारण है कि ब्रिटेन दूसरे देशों की तरफ देख रहा है। ब्रिटेन को चीन से भी बड़ी उम्मीद है लेकिन चीन की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है और चीन की अर्थव्यवस्था भी नीचे की ओर जा रही है। ऐसे हालात में ब्रिटेन भारत की अनदेखी नहीं कर सका है और उसका भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता होने जा रहा है। भारत के लिए अब यूरोपियन यूनियन का रास्ता भी खुलने जा रहा है।
पीएम मोदी इस समझौते के जरिये दुनिया को संदेश दे रहे हैं कि अब भारत की अनदेखी कोई देश नहीं कर सकता हालांकि यह भी सच है कि अमेरिका के साथ भारत के व्यापार को देखते हुए ब्रिटेन के साथ हुआ समझौता ज्यादा महत्वपूर्ण नजर नहीं आता है। लेकिन सच यह भी है कि ऐसे कई समझौते मिलकर बड़ा असर दिखा सकते हैं। अमेरिका को समझना होगा कि जैसे भारत को अमेरिका की जरूरत है वैसे ही अमेरिका को भारत की जरूरत है। अमेरिका भारत को धमकी देना बंद करके आपसी समझ के साथ आगे बढ़े ताकि दोनों देशों के बीच सहमति से व्यापार समझौता हो जाये । इससे दोनों देशों को ही फायदा होगा। डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और बयानों के कारण भारत और अमेरिका के बीच अविश्वास बढ़ता जा रहा है और दूसरी तरफ रूस और चीन भारत को अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रहे हैं। अमेरिका की गलती के कारण रूस पहले ही चीन के साथ जुड़ चुका है, अगर अमेरिका नहीं संभला तो भारत का रूस और चीन के साथ ऐसा गठजोड़ बन सकता है जो अमेरिका के वैश्विक प्रभाव को बहुत कम कर देगा । अमेरिका की खुशकिस्मती यह है कि भारत चीन पर भरोसा नहीं करता है इसलिए इस संभावित गठजोड़ से दूरी बनाए हुए है । मोदी इस समझौते के जरिये देश को भी संदेश दे रहे हैं कि वो किसी के दबाव में नहीं आते हैं । मोदी के लिए देशहित से ऊपर कुछ भी नहीं है और अमेरिका के सामने भी वो झुकने वाले नहीं हैं ।
राजेश कुमार पासी