क्यो होता है श्रमिको का शोषण ?
क्यो नहीं मिलता उनको पूरा पोषण ?
सारे दिन रात करते वे मजदूरी |
फिर भी न मिलती पूरी मजदूरी ||
छेनी हथोड़े सारे दिन वे चलाते |
हाथो मे उनके छाले पड जाते |
तभी पत्थरो को वे रूप दे पाते ||
और भगवान का रूप दे पाते |
फिर भी मंदिर के बाहर रह जाते ||
कैसा हो रहा यह उनका शोषण ?
मिलता नहीं दो वक्त का भोजन
क्यो होता है श्रमिको का शोषण ||
काम के लिए दूसरे प्रदेश जाते |
कभी कभी लौट कर घर आते ||
अगर दुनिया मे मजदूर न होता |
हवा महल व ताजमहल न होता ||
फिर इनको कौन देखने आता |
आठवाँ आश्चर्य कैसे बन पाता ||
फिर भी करते है मजदूरो का शोषण |
नहीं देते उनको दो वक्त का भोजन ||
श्रमिको बिन उत्पादन नही हो पाता |
उनके बिन कोई उधोग न चल पाता ||
बस एक दिन उनका दिवस मनाते |
बाकी दिनो मे उनको हम भूल जाते ||
क्यो हम ऐसा दिखावा करते रहते |
क्यो नहीं उनका जीवन स्तर उठाते ||
करते रहते है जीवन पर्यन्त शोषण |
रोको अब मजदूरो का यह शोषण ||
ये हमारे लिए मकान बनाते |
बड़ी मेहनत से ईट सीमेंट लगाते
पर उसमे कभी ये रह न पाते |
हमे सुख देकर खुद दुख उठाते ||
ये देखो उनकी मेहनत का अर्पण |
कर देते है अपना जीवन समर्पण ||
फिर भी हम करते उनका शोषण |
नहीं दे पाते उनके बच्चो को भोजन ||
आर के रस्तोगी