हिंदुस्तान का मुसलमान क्यों डरा है ?

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                     प्रभुनाथ शुक्ल

कैब पर भड़की हिंसा ने राजधानी दिल्ली के साथ दूसरे राज्यों को भी अपनी चपेट में ले लिया है। यह कानून-व्यस्था के लिए बेहद चिंता का सवाल है। नागरिका बिल पर देश क्यों जल रहा है। मुसलमान क्यों डरे हैं। हिंसा की आग क्यों भड़काई  जा रही है ? वोट बैंक की राजनीति देश से भी बड़ी क्यों हो गई है ? नागरिता संशोधन बिल के बाद जामिया मीलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से फैली आग किसकी साजिश है ? आसाम में भड़की हिंसा, पश्चिम बंगाल, यूपी और दूसरे राज्यों तक क्यों फैल चुकी है। दिल्ली के हालात इतने संवेदनशील क्यों बने हैं। देश की जाने माने उच्चशिक्षा संस्थान जामिया, अलीगढ़, डीयू के साथ 22 विश्वविद्यालयों के छात्र सड़क पर क्यों हैं। देश इसका जबाब चाहता है। देश के नागरिक हिंसा में मारे जा रहे हैं। सरकारी और गैर सरकारी संपत्ति को आग के हवाले किया जा रहा है। पुलिस कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए अपने ही नागरिकों पर लाठियां बरसा रही है। छात्रों और भीड़ पर आंसूगैस के गोले फेंके जा रहे हैं। बसों और वाहनों को खुलेआम आग लगाई जा रही है। जबकि भारत में रहने वाले शरणार्थी खुशियां मना रहे हैं और मिठाईयां बांट रहे हैं। हमारे लिए कितनी बिंड़बना है।

दिल्ली में हिंसा का हाल यह है कि सीलमपुर में पुलिस को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया। हिंसा पर उतारु भीड़ को कानून-व्यवस्था हाथ में लेने का अधिकार किसने दिया है। क्या इस हिंसा से मान लिया जाय कि देश का मुसलमान डरा हुआ हैं। यह भय और डर के हालात है। जिसे डर लगता है वह पुलिस पर पत्थर फेंकता है  और बसों में आग लगाता है। नागरिकता बिल में आखिर ऐसा कुछ क्या है जिस पर इतना विरोध हो रहा है। इस अलगाव की साजिश के पीछे वह चेहरे कौन हैं। विरोध करने वालों को खुद मालूम नहीं है कि एनआरसी और कैब में अंतर क्या है। हिंदू-मुुस्लिम के नाम पर देश को बांटने की साजिश क्यों की जा रही है।वोट बैंक की राजनीति देश को कहां ले जाएगी यह कहना मुश्किल है।

राजनीति मुसलमानों को क्यों डरा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमितशाह संसद के साथ मीडिया में बार-बार यह सफाई दे चुके हैं कि नागरिकता बिल पर किसी को डरने की जरुरत नहीं है। यह बिल भारत में रहने वाले किसी भी नागरिक के खिलाफ नहीं है और न ही इसका किसी प्रकार का देश की नागरिक से है। फिर देश में इस तरह की हिंसा की साजिश क्यों रची जा रही है। निश्चित रुप से कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल मुसलमानों को भय दिखा रहे हैं। सोनिया गांधी और दूसरे सहयोगी दल नागरिकता बिल पर राष्ट्रपति से मिलने जा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झारखंड की चुनावी सभा में साफ कर चुके हैं कि भारत के किसी भी नागरिक को डरने की आवश्यकता नहीं है। फिर मुसलमानों को क्यों डराया जा रहा है। मुस्लिम शैक्षणिक संस्थानों या उन्हीं इलाकों में आगजनी और हिंसा क्यों भड़क रही है। यूपी में हिंसा पर उतारु भीड़ ने थाना तक फूंक डाला। हालात दिन पर दिन बदतर हो रहे हैं। मुसलमान अपने को असुरक्षित महसूस कर रहा है जबकि जमींनी हकीकत ऐसी नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस को सीधी चुनौती देते हुए कहा है कि कांग्रेस में हिम्मत है तो वह पाकिस्तानी नागरिकों को भारत में बसाने का वादा करे। निश्चित रुप से विपक्ष मुस्लिम समुदाय को भड़का कर देश को हिंसा और आगजनी में धेकल रहा है। वह 2024 तक आने वाले एनआरसी का भय दिखा कर मुस्लिम समुदाय को डराया जा रहा है जिसकी वजह से ऐसी हिंसा भड़क रही है। जामिया हिंसा में जो लोग पकड़े गए उसमें तीन लोग आपराधिक रिकार्ड वाले हैं। इसके बाद सभी दस लोग वहां से छात्र नहीं है। फिर यह लोग जामिया हिंसा की साजिश क्यों रची।


मुस्लिम तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति देश बांटने की साजिश है। देश का मुस्लिम समुदाय हिंसा का रुख क्यों अख्तियार कर रहा है। छात्रों को क्यों भड़काया जा रहा है। जामिया में पुलिस हिरासत में लिए गए वह लोग कौन थे। उन्हें कैंपस में घूसने की अनुमति किसने दिया। जामिया हास्टल में पुलिस कैसे घूसी तमाम ऐसे सवाल हैं जो जांच का विषय है, लेकिन दिल्ली और देश के दूसरे हिस्सों के जो हालात हैं उसे शांत करना सरकार की पहली प्राथमिकता है।  फैलती हिंसा की आग मोदी सरकार के लिए मुसीबत बन गई है। विपक्ष अपने साजिश में कामयाब हो गया है जबकि सरकार नागरिता बिल के खिलाफ उतरे लोगों को यह समझाने में नाकामयाब रही है कि बिल उनके खिलाफ नहीं है। एनआरसी और नागरिकता बिल की नींव कांग्रेस सरकार में रखी गई थी। आसाम में एनआरसी राजीव गांधी की सरकार में लाया गया था। जबकि सोनिया गांधी आज बदली राजनीतिक परिस्थितियों में उसे मुस्लिमों के खिलाफ बता रही हैं। महात्मा गांधी, पंड़ित नेहरु, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, मनमोहन सिंह यह साफ कह चुके हैं कि पाकिस्तान, बंग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे इस्लामिक मुल्कों में अगर हिंदुओ, सिखों और दूसरे अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न किया जा रहा है तो उन्हें संरक्षण देना हमारा यानी भारत का दायित्व है। यह बात गृहमंत्री अमितशाह संसद में नागरिकता बिल संशोधन के दौरान रख चुके हैं। मुस्लिम समाज को क्यों भड़काया जा रहा है। मुस्लिम युवाओं को क्यों गुमराह किया जा रहा है। क्योें उन्हें डराया जा रहा है कि नागरिकता बिल के पास होने से भारतीय मुसलमानों का देश निकाला हो जाएगा। हमारा विपक्ष पाकिस्तान को जश्न मनाने का क्यों मौका दे रहा है। अपने आप में यह बड़ी बिड़बना है।
भारतीय मुसलमान आखिर पाकिस्तान, बंग्लादेशी और अफगानिस्तान के मुसलमानों कि चिंता क्यों करता है। सरकार जब साफ कर चुकी है कि भारतीय मुसलमानों का इसका कोई संबंध नहीं है फिर उसकी नाराजगी का कारण क्या है। मुसलमान क्यों डरा सहमा है। यह भ्रम क्यों फैलाया जा रहा है कि भाजपा सरकार भारत की धर्म निरपेक्ष छवि मिटा कर भारत को हिंदुत्व राष्ट्र  बनाना चाहती है। जबकि गृहमंत्री अमितशाह ने साफ कर दिया है कि भाजपा देश के संविधान के दायरे में रह कर काम करने में विश्वास रखती है।

देश में मची हिंसा पर पाकिस्तान की संसद में बहस हो रही है। पाकिस्तान की संसद में कहा जा रहा है कि मोदी सरकार भारत को हिंदुत्व  राष्ट्र घोषित करना चाहती है। पाकिस्तान भारतीय मुसलमानों के प्रति इतनी दरियादिली क्यों दिखा रहा है। वह बार-बार कश्मीर और भारतीय मुसलमानों की बात क्यों कर रहा है। पाकिस्तान अगर वास्तव में भारतीय मुसलमानों का हिमायती है तो वह घोषणा क्यों नहीं करता है कि भारत में प्रताड़ित मुसलमानों के दरवाजे पाकिस्तान में खुले हैं। अगर उसे भारतीय मुसलमानों की इतनी हमदर्दी है तो वह क्यों नहीं घोषणा करता है कि पाकिस्तान में रहने वाले जितने अल्पसंख्क हैं वह भारत चले जाएं और भारतीय मुसलमान पाकिस्तान चले आएं। पाकिस्तान में दम है तो ऐसी घोषण करे। उसने तो साफ कर दिया है कि भारतीय मुसलमानों को पाकिस्तानी नागरिकता नहीं देगा। पाकिस्तान में 30 फीसदी हिंदुओं की आबादी तीन फीसदी पर पहुंच गयी। जबकि बंग्लादेश में 23 फीसदी से अधिक हिंदू सात पर आ गए। सवाल उठता है कि बाकि लोग कहां गए। इसका जबाब क्या पाकिस्तान के पास है। बंग्लादेश की प्रधानमंत्री का वह बयान स्वागत योग्य है जिसमें उन्होंने कहा कि अगर भारत किसी भी बंग्लादेशी नागरिक का वैध प्रमाण सौंपता है तो हम ऐसे सभी नागरिकों को वापस बुला लूंगी। जबकि पाकिस्तान ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया है। मुसलमनों को नागरिता बिल को एनआसी बता कर बरगलाया जा रहा है।  सरकार को ऐसी हिंसा से शक्ति से निपटना चाहिए। क्योंकि यह देश को बांटने की बड़ी साजिश है। 

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