प्रकृति क्यों बदला लेती है ?

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घनघोर घटायें घिर रही,घन भी घडघडाहट कर रहे |
दामिनी दम दम दमक रही,ये दिन को रात कर रहे ||

ओलावृष्टि भी हो रही,धरती भी सफेद चादर ओढ़ रही |
चारो और हाहाकार मचा,कैसी भू पर अनावृष्टि हो रही ||

चारो तरफ जीवन अस्त-वयस्त है,बिजली भी चली गयी |
चारो तरफ अँधेरा छा गया ये कैसी हालत हमारी हो गयी ||

कभी किसी ने क्या सोचा है,हम पर संकट क्यों आता है ?
जब अनाचार बढ़ जाता है,दुनिया में तब ऐसा होता है ||

मत काटो तुम पेड़ पोधो को, न प्रकृति का तुम दोहन करो |
प्रकृति भी अपना बदला लेती है,न उस पर कभी वार करो ||

यह रस्तोगी का संदेश नहीं,यह प्रकृति का कड़ा आदेश है |
इसको मानो या न मानो तुम,ये केवल प्रकृति का निर्देश है ||

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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