डॉ ब्रजेश कुमार मिश्र
पिछले वर्ष 5 अगस्त को बांग्लादेश में एक नाटकीय घटना क्रम में शेख हसीना को सत्ता छोड़नी पड़ी और उन्होंने भारत में शरण ली। इस घटना के तीन दिनों बाद नोबेल पुरस्कार से सम्मानित प्रोफ़ेसर डॉ. मोहम्मद यूनुस ने देश में अंतरिम सरकार के मुखिया के रूप में शपथ ली थी। बांग्लादेश में इस परिवर्तन का तात्कालिक कारण ‘जुलाई क्रांति’ थी। इस क्रांति में छात्रों आंदोलित हुए और लाखों की संख्या में युवा सड़कों पर उतरे थे। ये छात्र नेता तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटाने के लिए एकजुट हुए थे। सत्ता परिवर्तन के बाद भी हिंसा का दौर जारी रहा। इसमें विशेष तौर पर बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। साथ ही शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के नेता भी कट्टरपंथियों के निशाने पर थे।
भारत में हसीना के शरण लेने के बाद से ही भारत के साथ बांग्लादेश ने अपने रिश्ते तल्ख कर लिए हैं। 2025 के जनवरी के आरम्भ में ही दोनों देश बाड़ लगाने के मुद्दे पर अपनी-अपनी आपत्ति दर्ज कर चुके हैं। प्रारंभ से ही मौजूदा मोहम्मद यूनुस की सरकार भारत विरोधी रुख अपनाए हुए है लेकिन खुद अब अपने ही देश में घिरते नजर आ रहे हैं। बांग्लादेश में 31 दिसंबर को छात्रों ने बड़े प्रदर्शन का ऐलान किया। इसके लिए ढाका में बड़ी संख्या में शहीद मीनार पर बड़ा प्रदर्शन करने के उद्देश्य से छात्र जमा हुए हालांकि, इस बार प्रदर्शनकारी छात्रों का नेतृत्व करने वाले स्टूडेंट्स लीडर्स की मांग अलग है। इस बार छात्रों का प्रदर्शन देश के संविधान को बदलने के लिए हुआ। मोहम्मद यूनुस की सरकार को भी छात्रों के प्रदर्शन के सामने मुश्किलों का सामना करना पड़ा। छात्रों के इस जुलूस को कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी ने पूरा सहयोग दिया । पुलिस और छात्रों के बीच हिंसक झड़पें भी हुईं । छात्र नेताओं के बयानों को सोशल मीडिया पर वायरल किया गया । दूसरी ओर मोहम्मद यूनुस ने छात्रों की मांग पर विचार करने का आश्वासन भी दिया है। इस प्रदर्शन में लगभग 30 लाख से ज्यादा लोग जुटे। प्रदर्शनकारियों की संख्या बल को देखते हुए अंदेशा लगाया जा रहा है कि देश में कहीं एक बार फिर सत्ता परिवर्तन की स्थिति तो नहीं बन सकती है।
इसके साथ ही अवामी लीग ने भी सरकार के विरुद्ध आंदोलन करने की घोषणा कर दी है। अब प्रश्न यह उठता है कि अचानक बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन कैसे शुरू हो गए। इसका उत्तर है ‘ट्रम्प फैक्टर’. वास्तव में जब जनवरी 24 में आम चुनाव हुए तो अमेरिका ने वहाँ के चुनाव को स्वतंत्र चुनाव मानने से इनकार कर दिया था। डोनाल्ड लू को दक्षिण एशिया का सहायक सचिव नियुक्त किया गया। लू ने हसीना से मुलाकात की और सेंट मार्टिन आइलैंड को देने को कहा लेकिन शेख हसीना ने मोहम्मद यूनुस को इसे देने से मना कर दिया। ठीक इसी समय बांग्लादेश में आरक्षण के विरुद्ध एक आंदोलन आरम्भ हुआ और इसे अमेरिका का साथ भी मिल गया और बाइडेन प्रशासन ने मोहम्मद यूनुस को अंतरिम प्रशासन का प्रमुख बनवा दिया। इस परिवर्तन में अमेरिका के साथ ही पाकिस्तान का भी हाथ था। लेकिन ट्रम्प के सत्ता में आने के बाद बांग्लादेश में माहौल बदल चुका है। शेख हसीना और ट्रम्प के रिश्ते पहले से ही बेहतर थे। उन्होंने ट्रम्प को जीत की बधाई भी दी। अतः अवामी लीग यूनुस सरकार को अवैध बताते हुए एक माह के अंदर इस्तीफा देने की मांग की है। 29 जनवरी को अवामी लीग ने 1 फरवरी से 18 फरवरी तक अपने विरोध प्रदर्शन का कार्यक्रम जारी कर दिया है। इसमें बांग्लादेश अन्सार (पैरा मिलिट्री फोर्स ) जो आज भी हसीना की समर्थक हैं, को बहाल करने,मोहम्मद यूनुस के इस्तीफा देने और साथ ही झूठे मुकदमों को वापस लेने जैसे विषयों को सम्मिलित किया गया है लेकिन अंतरिम सरकार ने इस आंदोलन को असफल करने क लिए प्रतिबद्ध है । इधर हाल ही में ट्रम्प ने सत्ता में आने के बाद बांग्लादेश को प्रदान की जाने वाली आर्थिक मदद रोक दी है । अतः अब यूनुस सरकार के लिए यह मुश्किल का दौर है लेकिन जार्ज सोरोस के पुत्र की 30 जनवरी को यूनुस से हुई मुलाकात और उन्होंने अपनी तरफ से फंडिंग को जारी रखने के आश्वासन ने बांग्लादेश कि राजनीति को और भी रोचक बना दिया है । यह वही सोरोस हैं जिन्हे बाइडेन ने जाते जाते अपने देश का सबसे बड़ा पदक दिया था। यह पूर्व विदित है कि ट्रम्प और सोरोस के रिश्ते ठीक नहीं रहे हैं।
इसका अर्थ है बांग्लादेश में ट्रम्प का हस्तक्षेप बढ़ेगा और आने वाले कुछ महीनों में बांग्लादेश में प्रोटेस्ट और तेज होंगे । यह भी हो सकता है कि बांग्लादेश में आम चुनाव की घोषणा यथा शीघ्र हो। निःसंदेह बांग्लादेश में एक पूर्ण लोकतान्त्रिक सरकार की आवश्यकता है ,यह भारत सरकार के साथ ही बांग्लादेशी आवाम के लिए जरूरी है। यह सब इस बात पर निर्भर करेगा कि ट्रम्प बांग्लादेश को आने वाले दिनों में कितना तवज्जो देते हैं।
डॉ ब्रजेश कुमार मिश्र
सहायक आचार्य
श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय