विश्व हिंदी दिवस और हिंदी भाषा

किसी भी समाज के समुदाय ,वर्ग ,राष्ट्र की एक अपनी भाषा और बोली होती हैं ।भाषा और बोली से मानव  के समाज और संस्कृति  की पहचान होती हैं ।भाषा और बोली में छुपे मानव विकास के अनेक रहस्य होते है । भाषा का कोई अपना धर्म ,मजहव नही होता है, ये प्रेम सूचक सन्देश देती है मानव समाज को । भाषा या बोली एक व्यक्ति द्वारा अपनी बात को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाने का एक माध्यम है। इस धरती पर मानव सभ्यताओं के फलने-फूलने के साथ ही साथ असंख्य भाषाएँ व बोलियाँ आस्तित्व में आयीं। इनमें से कई भाषाएँ सभ्यताओं के पतन के साथ ही खत्म हो गई लेकिन कई सभ्यताएं और भाषाएँ आज भी खूब फल-फूल रही हैं।

यूएन (संयुक्त राष्ट्र) के अनुसार दुनिया भर में बोली जाने वाली कुल भाषाएँ 6809 है और इनमें से सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा मंडारिन है जोकि चीन की राजकीय भाषा भी है। इसके बाद हिंदी है भारत और विदेश में लगभग 50 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं और इस भाषा को समझने वाले लोगों की कुल संख्या लगभग 90 करोड़ है। हिंदी भाषा का मूल प्राचीन संस्कृत भाषा में है। इस भाषा ने अपना वर्तमान स्वरूप कई शताब्दियों के पश्चात हासिल किया है और बड़ी संख्या में बोलीगत विभिन्नताएं अब भी मौजूद हैं। हिंदी की लिपि देवनागरी है, जो कि कई अन्य भारतीय भाषाओं के लिए संयुक्त है। हिंदी के अधिकतम शब्द संस्कृत से आए हैं। इसकी व्याकरण की भी संस्कृत भाषा के साथ समानता है।भारत के संविधान में देवनागरी लिपि में हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया है (अनुच्छेद 343 (1))। हिंदी की गिनती भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में  सबसे पहले की जाती है।

भारतीय संविधान में व्यवस्था है कि केंद्र सरकार की पत्राचार की भाषा हिंदी और अंग्रेजी होगी। यह विचार किया गया था कि 1965 तक हिंदी पूर्ण केंद्र सरकार के कामकाज की भाषा बन जाएगी (अनुच्छेद 344 (2)) और अनुच्छेद 351 में विवरण निदेशों के अनुसार), साथ में राज्य सरकार अपनी पंसद की भाषा में कामकाज संचालित करने के लिए स्वतंत्र रूप से होंगी। लेकिन राजभाषा अधिनियम (1963)को पारित करके यह व्यवस्था की गई कि सभी सरकारी उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी का प्रयोग भी अनिश्चित काल के लिए जारी रखा जाए तो अतः अब भी सरकारी दस्तावेजों, आदि में अंग्रेजी का उपयोग होता है। हालांकि, हिंदी के विस्तार के संबंध में संवैधानिक निदेशक बनाए रखा गया था। भारत में 1961 में 1652 भाषा थी। 
भारत विभिन्न संस्कृति, नस्ल, भाषा और धर्म का देश है। ये “विविधता में एकता” की भूमि है जहाँ अलग-अलग जीवन-शैली और तरीकों के लोग एकसाथ रहते हैं। … अपने हित और विश्वास के आधार पर विभिन्न जीवन-शैली को अलग-अलग संस्कृति के लोग बढ़ावा देते हैं।इस तरह भारत में भाषा भी कई तरह की बोली जाती जैसे कहा गया है कि कोस कोस पर बदले पानी सात कोस पर बानी ।

हालांकि बात की जाए जनजातियों की तो कुछ बोलिए और भाषाएं किसी विशेष या क्षेत्र विशेष तक सीमित रहती हैं । फिर भी उनका अपना महत्व होता है ।उस कास जनजातीय के महत्व इतिहास क्रम व संस्कृति को जानने और समझने के लिए एक अच्छा भविष्य के लिए इतिहास से सबक लेना चाहिए और उसके अनुसार प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के   सामंजस  बनाने में ये बोलियां भाषाएं महत्वपूर्ण हो सकती हैं ।इस पर किसी को कोई संदेह नहीं है।राज्य स्तर पर हिंदी भारत के निम्नलिखित राज्यों की राजभाषा है: बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली ये प्रत्येक राज्य अपनी सह-राजभाषा भी बना सकते हैं। उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश में यह भाषा उर्दू है। इसी प्रकार कई राज्यों में हिंदी को भी सह-राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया  है ! हम अगर हिंदी को वैश्विक भाषा के रूप में निर्दिष्ट करे तो विश्व हिन्दी संस्थान कनाडा की एक हिन्दीसेवी संस्था है। यह ‘प्रयास’ नामक एक हिंदी ई-पत्रिका प्रकाशित करती है। इसके अतिरिक्त यह संस्था लंबे समय से हिंदी सेवा में संलग्न हिंदी कवियों तथा साहित्यकारों को “आजीवन हिंदी सेवा सम्मान” द्वारा सम्मानित करती है। 

हिंदी को लेकर  विदेशियों में भी भारत की धनी संस्कृति को समझने की रुचि बढ़ी है। यही कारण है कि कई देशों ने अपने यहाँ भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षण केंद्रों की स्थापना की है।भारतीय धर्म, इतिहास और संस्कृति पर विभिन्न पाठ्यक्रम संचालित करने के अलावा इन केंद्रों में हिंदी, उर्दू और संस्कृत जैसी कई भारतीय भाषाओं में भी पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। वैश्वीकरण और निजीकरण के इस परिदृश्य में अन्य देशों के साथ भारत के बढ़ते व्यापारिक संबंधों को देखते हुए संबंधित व्यापारिक साझेदार देशों की भाषाओं की अन्तर – शिक्षा की जरूरत महसूस की जाने लगी है।इस विवरण ने अन्य देशों में हिंदी को लोकप्रिय और सरलता से सीखने योग्य भारतीय भाषा बनाने में काफी योगदान किया है। अमरीका में कुछ स्कूलों में फ्रेंच, स्पेनिश और जर्मन के साथ-साथ हिंदी को भी विदेशी भाषा के रूप में शुरू करने का फैसला किया गया है। हिंदी ने भाषा-विषयक कार्य-क्षेत्र में स्वयं के लिए एक वैश्विक मान्यता अर्जित कर ली है। हिंदी को हम तकनीकी भाषा  के रूप में देखे तो   हिंदी में भाषा प्रौद्योगिकी में विकास की शुरूआत 1991 में इलेक्ट्रॉनिकी विभाग के अधीन भारतीय भाषा प्रौद्योगिकी विकास मिशन (टीडीआईएल) की स्थापना के साथ हुई।

भारतीय भाषाओं की स्मृद्धि को ध्यान में रखते हुए 1991 में हिंदी सहित संवैधानिक रूप से व्यावहारिक प्रत्येक भाषा में तीन लाख शब्दों का संग्रह विकसित करने का फैसला किया गया। अधिक हिंदी शब्द संग्रह विकसित करने का काम आईआईटी दिल्ली को सौंपा गया। हिंदी भाषा एक रोजगार परख भाषा है, हिंदी भाषा में रोजगार के अवसर भी काफी है हमारी राष्ट्रीय भाषा की अत्यधिक लोकप्रियता और बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय महत्व के साथ-साथ, हिंदी भाषा के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में भी जबर्दस्त प्रगति हुई है। केंद्र सरकार, राज्य सरकारों (हिंदी भाषी राज्यों में) के विभिन्न विभागों में, हिंदी भाषा में काम करना अनिवार्य है। अतः केंद्र / राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों और इकाइयों में हिंदी अधिकारी, हिंदी शब्दकोश, हिंदी सहायक, प्रबंधक (राजभाषा) जैसे विभिन्न पदों की कामार है।इसमें प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन के कार्यों का हिंदी में और हिंदी अनुवाद की कृतियों का अंग्रेजी और अन्य विदेशी भाषाओं में कार्य करना भी सम्मिलित होता है। फिल्मों की स्क्रिप्टों / कोड को हिंदी / अंग्रेजी में करने का भी कार्य होता है। हिंदी के  सम्मान में 10 जनवरी को  विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।  इस अवसर पर सरकारी, वित्तीय और निजी संस्थाओं में कहीं हिंदी सप्ताह तो कही पखवाड़ा मनाया जाएगा। सभी जगह जो कार्यक्रम आयोजित होते है उसमें निबंध, कहानी और कविता लेखन के साथ ही वादविवाद प्रतियोगिता होती है तो कहीं परिचर्चा आयोजित  होती है।  सृजन एवं अभिव्यक्त की दृष्टि से हिंदी दुनिया की अग्रणी भाषाओं में से एक है, हिंदी सिर्फ एक भाषा ही नहीं बल्कि हम सब की पहचान है ।

यह हर हिंदुस्तानी का ह्रदय है है ,हिंदी को राष्ट्रभाषा किसी सत्ता ने नहीं बल्कि भारतीय भाषाओं और बोलियों के बीच संपर्क भाषा के रूप में जनता ने इसे चुना है। हिंदी सभी भाषाओं का पूर्ण आदर करते हुए इस विशाल बहुभाषी इस विशाल बहुभाषी राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने में भी हिंदी का अहम  महत्वपूर्ण योगदान है । हिंदी एकता की जान है, हिंदी देश की शान हैl देश का सम्मान है।हमारा हिदी दिवस मनाना जब सफल होगा जब भारत में हर कागज़ पर जब हिंदी लिखी जाएगी, तो हिंदी दिवस का पावन लक्ष्य पूरा होगा।

अजय प्रताप तिवारी चंचल।

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