विश्व शाकाहार दिवस

vegडा. राधेश्याम द्विवेदी
विश्व भर के शाकाहारियों को एक स्थान पर लाने और खुरपका-मुँहपका तथा मैड काओ जैसे रोगों से लोगों को बचाने के लिए उत्तरी अमेरिका के कुछ लोगों ने 70 के दशक में नॉर्थ अमेरिकन वेजिटेरियन सोसाइटी का गठन किया। सोसाइटी ने 1977 से अमेरिका में विश्व शाकाहार दिवस मनाने की शुरूआत की। सोसाइटी मुख्य तौर पर शाकाहारी जीवन के सकारात्मक पहलुओं को दुनिया के सामने लाती है। इसके लिए सोसाइटी ने शाकाहार से जुड़े कई अध्ययन भी कराए हैं। दिलचस्प बात यह है कि सोसाइटी के इस अभियान के शुरू होने के बाद से अकेले अमेरिका में लगभग 10 लाख से ज्यादा लोगों ने माँसाहार को पूरी तरह त्याग दिया है।
भारतीय संस्कृति में शाकाहार पर जोर:- हमारी भारतीय संस्कृति में हमेशा से ही शाकाहार की ओर जोर दिया गया है, लेकिन वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के कई अध्ययनों के बाद शाकाहार का डंका अब विश्व भर में बजने लगा है।शरीर पर शाकाहार के सकारात्मक परिणामों को देखते हुए दुनिया भर में लोगों ने अब माँसाहार से किनारा करना शुरू कर दिया है। आज इसीलिये पूरे विश्वभर में विश्व शाकाहार दिवस मनाया जा रहा है। दुग्ध उत्पाद,फल,सब्जी, अनाज,बादाम आदि, बीज सहित वनस्पति-आधारित भोजन के अभ्यास को शाकाहार कहते हैं। एक शाकाहारी मांस नहीं खाता है, इसमें रेड मीट अर्थात पशुओं के मांस, शिकार मांस, मुर्गे-मुर्गियां, मछली, क्रस्टेशिया या कठिनी अर्थात केंकड़ा-झींगा आदि और घोंघा आदि सीपदार प्राणी शामिल हैं; और शाकाहारी चीज़ (पाश्चात्य पनीर), पनीर और जिलेटिन में पाए जाने वाले प्राणी-व्युत्पन्न जामन जैसे मारे गये पशुओं के उपोत्पाद से बने खाद्य से भी दूर रह सकते हैं। नैतिक, स्वास्थ्य, पर्यावरण, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, सौंदर्य, आर्थिक, या अन्य कारणों से शाकाहार को अपनाया जा सकता है; और अनेक शाकाहारी आहार हैं। एक लैक्टो-शाकाहारी आहार में दुग्ध उत्पाद शामिल हैं लेकिन अंडे नहीं, एक ओवो-शाकाहारी के आहार में अंडे शामिल होते हैं लेकिन गोशाला उत्पाद नहीं और एक ओवो-लैक्टो शाकाहारी के आहार में अंडे और दुग्ध उत्पाद दोनों शामिल हैं। एक वेगन अर्थात अतिशुद्ध शाकाहारी आहार में कोई भी प्राणी उत्पाद शामिल नहीं हैं, जैसे कि दुग्ध उत्पाद, अंडे और सामान्यतः शहद. अनेक वेगन प्राणी-व्युत्पन्न किसी अन्य उत्पादों से भी दूर रहने की चेष्टा करते हैं, जैसे कि कपड़े और सौंदर्य प्रसाधन.अर्द्ध-शाकाहारी भोजन में बड़े पैमाने पर शाकाहारी खाद्य पदार्थ हुआ करते हैं, लेकिन उनमें मछली या अंडे शामिल हो सकते हैं, या यदा-कदा कोई अन्य मांस भी हो सकता है। एक पेसेटेरियन आहार में मछली होती है, मगर मांस नहीं. जिनके भोजन में मछली और अंडे-मुर्गे होते हैं वे “मांस” को स्तनपायी के गोश्त के रूप में परिभाषित कर सकते हैं और खुद की पहचान शाकाहार के रूप में कर सकते हैं। शाकाहारी सोसाइटी जैसे शाकाहारी समूह का कहना है कि जिस भोजन में मछली और पोल्ट्री उत्पाद शामिल हों, वो शाकाहारी नहीं है, क्योंकि मछली और पक्षी भी प्राणी हैं।
शाकाहार सेहत के लिए लाभकारी :- शाकाहार फेफड़े और कोलोरेक्टल कैंसर के रिस्क को कम करता है। शाकाहारी आहार जिसमें फल, सब्जियां और रेशे शामिल हों वह फेफड़े तथा उससे जुडी़ अन्य बीमारियों को दूर करता है। आजकल टाइप 2 मधुमेह अधिक आम होता जा रहा है क्योंकि दुनिया में कई लोग मोटापे से ग्रस्त हैं। लेकिन शाकाहार भोजन इसे रोकने के लिए काफी प्रभावी है। इसमें जटिल कार्ब्स और फाइबर होते हैं जो कि शरीर में इंसुलिन का प्रबंधन करने में मदद करता है। ऐसे आहार जिसमें पानी की मात्रा अधिक होती है, उसको खाने से एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन प्राप्त होता है जिससे हमारी स्किन हमेशा चमकदार बनी रहती है। शाकाहार भोजन को पचाने में शरीर की कम ऊर्जा खर्च लगती है, वरना जो लोग मांसाहार खाते हैं उन्हें पशु की चर्बी में जमे प्रोटीन को पचाने में अधिक ऊर्जा खर्च करना पड़ता है। शाकाहार फैट और सोडियम में लो रहते हैं जिससे ब्लड़ प्रेशर कम होता है और खून का सर्कुलेशन सही रहता है। पाचन सुधार- साबुत अनाज और सब्जियों में फाइबर पाया जाता है जो कि पेट की सभी समस्याएं ठीक करता है और तो और कैंसर से भी मुक्ती दिलाता है।
सब्जियों और मसालों का सेवन करने से ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है। पौधों में प्रोटीन, जैसे कि सोया आदि में अच्छी मात्रा में अमीनो एसिड होता है जो कि शरीर के मैटाबॉलिज़्शम में सहायक होता है। ज्यादातर भारतीय भोजन को बनाने के लिये हम हमेशा ही प्राकृतिक तेल का प्रयोग करते हैं। यह जमी हुई चर्बी से मुक्त होते हैं इसलिये हार्ट की समस्याएं और मधुमेह आदि नहीं होता। वे लोग जो शाकाहार खाते हैं उनका शरीर तरह तरह के विषैले पदार्थों से मुक्त रहता है। रिसर्च के मुताबिक वेजिटेरियन लोग नॉन वेजिटेरियन के मुकाबले कम से कम 3-6 साल अधिकाजिंदा रहते हैं। अनहेल्दी मीट और चर्बी युक्त भोजन ना खाने की वजह से शाकाहारी व्यक्तियों का कोलेस्ट्रॉल बिल्कुल नार्मल होता है और वह हमेशा स्वस्थ्य रेंज में रहते हैं।ऐसी डाइट जिसमें एंटीऑक्सीडेंट औ विटामिन्स हो को खाने से अपने आप ही कैंसर और अन्य बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। वे लोग जो मीट खासकर चर्बी वाला मीट खाते हैं, उन्हें कैंसर का रिस्क ज्यादा होता है।

 

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