इतिहासों में लिख जाती है

                             Phalgu-River

यदि डरे पानी से तो फिर,
कैसे नदी पार जाओगे|
खड़े रहे नदिया के तट पर,
सब कुछ यहीं हार जाओगे|

पार यदि करना है सरिता,
पानी में पग रखना होगा|
किसी तरह के संश‍य भय से,
मुक्त हर तरह रहना होगा|

डरने वाले पार नदी के,
कभी आज तक जा न पाये|
वहीं निडर दृढ़ इच्छा वाले,
अंबर से तारे ले आये|

दृढ़ इच्छा श्रद्धा तनमयता,
अक्सर मंजिल तक पहुंचाती|
मंजिल तक जाना पड़ता है,
मंजिल चलकर कभी न आती|

दृढ़ इच्छा, विश्वास अटल, से,
वीर शिवाजी कभी न हारे,
दुश्मन को चुन चुन कर मारा,
दिखा दिये दिन में ही तारे|

वीर धीर राणा प्रताप से,
त्यागी इसी देश में आये|
पराधीन न हुये कभी भी,
मुगलों से हरदम टकराये|

रानी लक्ष्मी बाई लड़ी तो,
उम्र तेईस में स्वर्ग सिधारी|
तन मन धन सब कुछ दे डाला,
अंतरमन से कभी न हारी|

वीर बहादुर बनकर रहना,
वीरों की दुनियाँ दीवानी|
इतिहासों में लिख जाती है,
बलिदानों की अमर कहानी|

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लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

2 COMMENTS

  1. हौसला बढ़ाने वाली कविता बहुत अच्छी लगी, शब्दों का जाल नहीं भाषा की सादगी का सौन्दर्य है।

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