विविधा

यादव सिंह की चहेती फर्मों का नया ठिकाना एलडीए !

akhilesh-mainप्रणय विक्रम सिंह
अदब का शहर लखनऊ अब भ्रष्टाचार के राष्ट्रीय हस्ताक्षर बन चुके यादव सिंह की चहेती कंपनियों का ठिकाना बनने जा रहा है। बात यहां तक होती तो शायद इतना बड़ा सवाल न खड़ा होता किंतु चर्चा तो यह है कि सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अति महत्वाकांक्षी योजना चक गजरिया आईटी सिटी ही काली कमाई के कुबेर यादव सिंह की चहेती फर्मों नई ख्वाबगाह बनने जा रही है। चर्चा है कि मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट चक गजरिया आईटी सिटी को यादव सिंह की चहेती फर्में रोशन करेंगी। इन दिनों इस कंपनी से बिजली घर बनवाने की पटकथा लिखी जा रही है। बता दें कि नोयडा, ग्रेटर नोयडा और यमुना एक्सप्रेस-वे के निलंबित मुख्य अभियन्ता की काली कमाई की जांच में सीबीआई ने जिस जेएसपी कंस्ट्रक्शन लि० के कार्यालय और निदेशकों के आवास पर सघन छापेमारी कर यादव सिंह और जेएसपी ग्रुप के गठजोड़ को उजागर किया, उसी कंपनी की एक अन्य फर्म जेएसपी प्रोजेक्ट प्राइवेट लि० इन दिनों लखनऊ विकास प्राधिकरण में स्थापित होने की कोशिश कर रही है। बीते दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट चक गजरिया आईटी सिटी परियोजना में 33/11 केवी के प्रस्तावित छह सब-स्टेशन निर्माण की निविदा निकाली गई। चक गजरिया आईटी सिटी परियोजना के पार्ट-ए में प्रस्तावित बिजली घर निर्माण के लिए बीती 19 अगस्त को खोली गई निविदा में नोयडा की जेएसपी प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड, मोमेन्टम टेक्ना० प्रा० लि० और लखनऊ की ईगल इंटरप्राइजेज व अपना टेक कन्सलटेंसी सर्विस प्रा० लि० की निविदायें वैध पाई गई। इसके अलावा पार्ट-बी में प्रस्तावित बिजली घर निर्माण के लिए पांच फर्मों के नाम शामिल हैं। इन फर्मों में नोयडा की जेएसपी प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड, मोमेन्टम टेक्ना० प्रा० लि०, प्रशान्त बिल्डर्स, पुंड्रीकाक्ष्य डेवलपर्स प्रा० लि० और लखनऊ की ईगल इंटरप्राइजेज व प्राशान्त बिल्डर्स हैं। बता दें कि सीबीआई ने बीते दिनों नोयडा में जिस जेएसपी कंस्ट्रक्शन लि० के कार्यालय व निदेशक के आवास पर छापा मारा था, जेएसपी प्रोजेक्ट प्रा० लि० उसी ग्रुप की कंपनी है। जेएसपी कंस्ट्रक्शन लि० और जेएसपी प्रोजेक्ट प्रा० लि० के निदेशकों के नाम, पते और कंपनी का सम्पर्क नम्बर व पता एक ही हैं। जेएसपी कंस्ट्रक्शन लि० के तार सीधे तौर पर यादव सिंह से जुड़े होने की बात सीबीआई छापे में उजागर हो चुकी है। बावजूद इसके इन दिनों यादव सिंह की चहेते जेएसपी ग्रुप की कंपनियों पर मेहरबानी लुटाने को कुछ जिम्मेदार बेकरार हैं। इतना ही नहीं जानकारों का दावा है कि जेएसपी ग्रुप के अलावा इस निविदा में एनसीआर की जिन अन्य फर्में शामिल हैं वह भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से काली कमाई के कुबेर की कृपा के मजे ले चुकी हैं। फिलहाल, सीबीआई और ईडी के कसते शिंकजे और नोयडा अथॉरिटी में लागू ई-टेंडðरग व्यवस्था का तोड़ न निकाल पाने के चलते इन कंपनियों ने नये ठिकाने की तलाश शुरू कर दी थी। चर्चा यह भी है कि काली कमाई के कुबेर यादव सिंह की इन चहेती फर्मों को लखनऊ विकास प्राधिकरण में स्थापित करवाने के लिए एक आईएएस अधिकारी सक्रिय हैं। एनसीआर की इन फर्मों को एलडीए में स्थापित करने की पटकथा का अंतिम अध्याय लिखने से पहले मची सुगबुगाहट ने पटकथा में एक नये दृश्य की रचना कर दी है। मतलब कि मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाली इस परियोजना का यह टेण्डर दूसरी बार भी निरस्त करने की कवायद शुरू कर दी गई है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि जिस फर्म के कार्यालय और निदेशकों के आवास पर अभी हाल ही में सीबीआई ने सघन छापेमारी कर यादव सिंह से इस फर्म के गठजोड़ को उजागर किया है उस फर्म की सिफारिश आखिर किस आधार पर की जा रही है। शासन-प्रशासन ने यदि इस ओर ध्यान न दिया तो निकट भविष्य में काली कमाई के कुछ और कुबेरों के कारनामें लखनऊ विकास प्राधिकरण सहित सरकार की साख पर बट्टा लगायेगे, ऐसी प्रबल संभावना है।