राजनीति

यस, वी कैन

10 सालों में पिछड़ेपन का दाग मिटाकर विकसित रायों के समकक्ष खड़ा हो गया छत्तीसगढ़

दानसिंह देवांगन

यस, वी कैन। बेशक यह नारा अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2008 के आम चुनाव में दिया था, लेकिन पिछले 10 सालों में छत्तीसगढ़ ने विकास की जिन बुलंदियों को छुआ है उससे इस नारे की सार्थकता साबित हो गई है। हां, हम कर सकते हैं- यही वह जज्‍बा था जिसने हमें एक वनवासी, पिछड़े और अशिक्षित छत्तीसगढ़ से फास्टेस्ट ग्रोविंग स्टेट की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है। आज स्थिति ये है कि हमारे पीडीएस सिस्टम को पूरे देश के जनप्रतिनिधि और अफसर सैल्यूट करते हैं। जहां सुप्रीम कोर्ट की सलाह के बावजूद प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने सरप्लस अनाज गरीबों में बांटने में असमर्थता जता दी वहीं छत्तीसगढ़ में 36 लाख गरीब परिवारों को एक व दो रुपए किलो चावल व निशुल्क नमक देने में कोई परेशानी नहीं हो रही है। इस साल जुलाई से एपीएल परिवारों को भी सस्ती दरों पर अनाज दिया जाने लगा है। करीब 10 हजार 547 राशन दुकानों से एक साथ अनाज वितरित कराना आसान नहीं है पर छत्तीसगढ़ की किस दुकान में कितना अनाज भेजा गया है, कितने लोगों को कितना अनाज मिला, इसकी जानकारी दुनिया के किसी भी कोने में कभी भी इंटरनेट से देखी जा सकती है। इसे कहते हैं, अपनों के लिए कुछ भी कर गुजरने का जबा जो सौभाग्य से राय के मुख्यमंत्री डा. रमनसिंह में कूट-कूट कर भरा हुआ है।

ये उनकी दूरदर्शी सोच का ही नतीजा है कि उन्होंने सबसे पहले प्रदेश के गरीबों का पेट भरा, फिर अनुसूचित जनजाति समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए 2 लाख 15 हजार आदिवासी परिवारों को वनाधिकार पट्टे बांटे। उन्हें शिक्षित और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने के लिए 800 से अधिक नए आश्रम स्कूल एवं छात्रावास, 9 आईआईटी, 6 पालिटेक्निक की स्थापना की और बस्तर व सरगुजा जैसे सुदूर वनवासी क्षेत्र में दो नए विश्वविद्यालयों की शुरुआत की।

दूसरे चरण में किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए केवल 3 प्रतिशत ब्याज की दर पर उन्हें ऋण उपलब्ध कराया गया और पांच हार्सपावर तक के सिंचाई पंपों के लिए सालाना 6 हजार यूनिट बिजली निशुल्क दी गयी। जब धान पक गया, सरकार ने उन्हें बिचौलियों से बचाकर समर्थन मूल्य पर खरीदना शुरू किया। आज स्थिति ये है कि प्रदेश में करीब 50 लाख मीटरिक टन धान की खरीदी की जा रही है,जो पूरे देश में एक मिसाल है।

यह पहला प्रदेश है, जहां गरीब और किसानों के लिए न सिर्फ रोटी, कपड़ा और मकान की व्यवस्था की जा रही है, बल्कि उनके बच्चों की पढ़ाई के लिए निशुल्क पुस्तक, गणवेश, छात्राओं को निशुल्क साइकिल भी दी जा रही है। वहीं उनके स्वास्थ्य की भी पूरी चिंता की जा रही है। बड़े लोगों के लिए निशुल्क इलाज की व्यवस्था तो है ही, अब दुधमुंहे बच्चों का हार्ट ट्रांसप्लांट हो या नया वाल्व लगाना, मूक-बधिर बच्चों का आपरेशन हो या मुंबई के किसी बडे अस्पताल में कोई जटिल इलाज, सबकुछ निशुल्क है।

जहां एक ओर गरीब, किसान और वनवासी समाज को आर्थिक और शैक्षणिक रूप से सक्षम बनाने का प्रयास किया जा रहा है वहीं छत्तीसगढ़ तेजी से औद्योगिक क्रांति की ओर भी बढ़ रहा है। संभवत: यह पहला राय है जहां मुख्यमंत्री को नए उद्योगों के लिए एमओयू बंद करने का ऐलान करना पड़ा। महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा जैसे रायों की जनता दो से पांच घंटों तक बिजली कटौती की समस्या से जूझती है वहीं छत्तीसगढ़ की डिक्शनरी से बिजली कटौती शब्द को ही मिटा दिया गया है। अगले 20 सालों में प्रदेश में इतनी बिजली पैदा होगी जितनी देश के 10 विकसित राय मिलकर नहीं बना सकते। वर्ष 2010 में प्रदेश का जीडीपी देश में सर्वाधिक 11.49 प्रतिशत होना, प्रमाणित करता है कि छत्तीसगढ़ वास्तव में फास्टेस्ट ग्रोविंग स्टेट है।

राय गठन के एक दशक बाद छत्तीसगढ़ का सुनहरा भविष्य दिखने लगा है, लेकिन कुछ लोग नक्सलवाद के नाम पर प्रदेश की तरक्की को बाधित करने की निरंतर कोशिश भी कर रहे हैं। हालांकि केंद्र और राय सरकार उन्हें खत्म करने की पूरी कोशिश में लगी है, लेकिन कुछ असामाजिक तत्व इसे निजी व अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की सरकार से सांठगांठ की साजिश करार देकर स्थानीय लोगों को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं। उन्हें यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि छत्तीसगढ़ में 86.16 प्रतिशत कोयला खनन एसीसीएल और 98.71 प्रतिशत लौह अयस्क का खनन एनएमडीसी और सेल द्वारा किया जा रहा है जो भारत सरकार का उपक्रम है। फिर निजी और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को जमीन देने का सवाल ही कहां पैदा होता है।

छत्तीसगढ़ राज्‍य जिस गति से तरक्की कर रहा है, लगता नहीं कि प्रदेश में नक्सलवाद का आतंक यादा दिन तक टिक पाएगा। फिर भी हम सब को सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर प्रदेश की तरक्की के लिए हर संभव प्रयत्न करना चाहिए, ताकि प्रदेश में अमन कायम हो सके और समृद्ध, सक्षम व खुशहाल छत्तीसगढ़ का सपना साकार हो सके।