हाँ , एक पुत्र आज गावँ छोड़ रहा था,
भविष्य की तलाश में शहर की ओर दौड़ रहा था ,
और पिता पुत्र की आँखों में भाग्योदय देख रहा था ,
हाँ ! एक पुत्र आज गावँ छोड़ रहा था ।
माँ का आशीर्वाद, पिता का प्यार
अपनो का अरमान, छोटो का सम्मान
सब उसको प्राप्त हो रहा था,
हाँ एक पुत्र आज गाँव छोड़ रहा था ।
गाँव की पगडंडिया, वह आम का वृक्ष,
वह नदी, वह खेत -खलिहान,
सब उससे बोल रहे थे,
अपनी यादो की तस्वीरे उसके दिल में छोड़ रहे थे।
अपनो की अरमानो , आशीर्वादो को ले वह पुत्र चल रहा था,
वह चलता …..
स्वपनों की बराते चलती, दिल की जज्बाते चलती,
यादो की तलवारे चलती ,
गाँव की गालियाँ चलती,
फुलो की बगियाँ चलती ,
वह विक्षोभ वह व्याकुल मन,
सब कुछ संग चल रहा था भविष्य और वर्तमान में एक
अजीब दव्न्द चल रहा था,
हाँ एक पुत्र
आज गाँव छोड़ रहा था ……