बड़ी इच्छा थी की मेरे जीवनकाल में भी कोई देवता इस पृथ्वी पर अवतरित होते और गूढ़ विषयों का सार समझा देते तो ससुरा ये जीवन सफल हो जाता । बड़ा हर्षित हूँ की जे एन यु के क्रांतिकारियों ने यह इच्छा पूरी करवा ही दी, उन्होंने विश्वविद्यालय प्रांगण में खुर वाले देवता को अवतरित करवा दिया है ।
बस जैसे ही उनकी प्राण प्रतिष्ठा हो जाये और ‘सानी पानी’ के साथ भैसालय का स्थान नियत हो जाये तो खुर वाले देवता के चारो खुरों में प्रसाद चढ़ा कर मोक्ष की कामना करूँ । समझ सकता हूँ की खुर वाले देवता हिन्दुवाद के विरोध में अवतरित हुए हैं तो चढ़ावे में फूल, फल, माला और लड्डू कैसे स्वीकार करेंगे, पर आशा है भोग में हरी घास और गले को सुशोभित करने के लिए घंटी वाली मोटी रस्सी सहश्र स्वीकार करेंगे और प्रसन्न हो कर परम भक्तो को अपने विराट जुगालात्मक रूप के दुर्लभ दर्शन देंगे ।
ॐ हयी,… हुर्र हुर्र,… हुर्राय नमः
विकास तिवारी (बाबा बनारसी)
ई का ह ? तनी तफ़सील से बताइब, फेर न कमैँट लिखीं।
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सादर,
शिवेंद्र मोहन सिंह