बाल हुये जब बड़े बड़े,बूढ़े भालू चाचा के|
गुस्से के मारे चाची ,उनको बोलीं चिल्लाके||
बाल कटाने सियारनाई के ,घर क्यों न जाते हो?
बागड़ बिल्ला बने घूमते, ,फिरते इतराते हो||
भालू बोला सियार नाई ने, भाव कर दिये दूने|
साठ रुपये देने में बेगम,जाते छूट पसीने||
इतनी ज्यादा मंहगाई है ,रुपये कहां से लाऊं?
इससे सोचा है जीवन भर ,कभी न बाल कटाऊं||
नहीं हज़ामत भालू ने, जब से अब तक बनवाई|
बड़े बड़े बालों में ही, रहते हैं भालू भाई||