राष्ट्रहित में बाधक काला धन

अमल कुमार श्रीवास्तव

आम जनता काले धन से जितना आर्थिक रूप से चिंतित है उससे कहीं अधिक सफेदपोशों द्वारा विदेशों में जमा किए जा रहें लाखों करोड़ों रूपए के काले धन के आकड़े सुनकर और इसे रोकने में नीति नियंताओं की लापरवाही देखकर मानसिक रूप से पीड़ीत हो रही है। दिनोंदिन काले धन पर जनता का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। हांलाकि विदेशों में जमा इस काले धन को देश में लाए जाने की लड़ाई में कई राजनीतिक दल और बुध्दिजीवी शामिल हो चुके हैं। अभी हाल ही में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने विदेशों में जमा देश के काले धन पर टिप्पणी करते हुए बताया कि अभी इसकी मात्रा पर अलग-अलग अनुमान लगाए जा रहें हैं परन्तु यह काला धन 25 लाख करोड़ रूपए से 75 लाख करोड़ रूपए होने की संभावना जताई जा रही है। इसमें मुख्य रूप से चिंताजनक बात वह है जो हर आम आदमी को सोचने पर विवश करता है कि आखिर इस काले धन की उत्पत्ति कैसे होती है? यह विदेशी बैंकों तक कैसे पहुँचता है? विदेशों में इसे किस व्यवस्था के अनुरूप व्यवस्थित रूप से जमा किया जाता है?

काले धन की उत्पत्ति कई प्रकार से होती है,जिनमें मुख्य रूप से आपराधिक स्त्रोतों से प्राप्त किया जाने वाला धन है। जैसे ड्रग्स,आतंकवाद,फिरौतीयों की रकम और तस्करी आदि से प्राप्त धन।एक मोटे अनुमान के अनुसार विदेशों में भेजे गए धन का 13 से 15 प्रतिशत काला धन आपराधिक जगत के माध्यम से पैदा होता है और इस आपराधिक जगत को कुछ सत्ताधारी राजनेताओं व भ्रष्ट नौकरशाहों का संरक्षण प्राप्त होता है,जिस कारण यह खुले सांड़ की तरह विचरण करते है और इनके खिलाफ पुलिस द्वारा कोई उचित कार्रवाई नहीं हो पाती है। इनके अतिरिक्त उन सफेदपोश अपराधियों द्वारा 60 से 65 प्रतिशत धन पैदा किया जाता है जो सत्ता में रहते हुए अपने पदों का दुरूपयोग करते हैं और इस काले धन की उत्पत्ति में अपना संपूर्ण योगदान करते हैं। एक अन्य प्रकार के काले धन को कुछ व्यावसायिक लोगों अथवा उनकी कम्पनियों द्वारा कर की चोरी करके एकत्र किया जाता है। यह धन विशुद्ध रूप से नकदी होने के कारण बेनामी जमीनें, प्रापर्टी खरीदने में प्रयोग होता है।इस धन का कुछ भाग देश के बाहर हवाला के माध्यम से भी भेजा जाता है।

यदि हम आंकलन मात्र के लिए भारत का विदेशों में जमा काले धन काले धन का निचला स्तर देखें अर्थात् 25 लाख करोड़ रूपए को भी लें तो 4 से 5 लाख करोड़ रूपए का काला धन आपराधिक जगत से संबंधित है जबकि 15 लाख करोड़ रूपए भ्रष्टाचार और रिश्वत के माध्यम से देश के बाहर भेजे गए हैं।चूंकि कुल काले धन का 80 प्रतिशत से अधिक का हिस्सा आपराधिक और अवैध स्त्रोतों से आता है। इसलिए यह देश के लिए सर्वाधिक घातक है।

आखिर क्या है काला धन?

कर सुधारों के लिए बनायी गई राजा चेलैया समिति के अनुसार किसी अर्थव्यवस्था में काला धन वह रकम है जिसका लेन-देन परिवारों और कारोबारियों द्वारा जानबूझकर खाताबहियों से दूर रखा जाता है। जिससे सरकार को इस लेन देन की जानकारी नहीं मिल पाती है।इससे राजस्व को भारी क्षति पहुॅचता है।

436 अरब डॉलर : ग्लोबल फाइनेंसियल इंटीग्रिटी के अनुसार वर्तमान में देश से बाहर जाने वाला गैरकानूनी अर्थात काला धन.

500-1400 अरब डॉलर : भाजपा द्वारा गठित टास्कफोर्स के अनुसार कुल काला धन.

13 गुना : देश पर कुल विदेशी कर्ज से काले धन की अधिकता.

इस सम्पूर्ण काले धन में 11.5 प्रतिशत की सालाना वृध्दि हो रही है.

इस काले धन को देश में लाकर अगर जनकल्याण योजनाओं में प्रयोग किया जाये तो देश का जो कायाकल्प परिवर्तित होगा वह इस प्रकार से है-

. इस पैसे से हमारा रक्षा बजट 14 गुना बढ़ सकता है।

. काले धन के उपयोग से देश में 2.8 लाख किमी. लंबे राजमार्गों का निर्माण किया जा सकता है।

. काले धन को देश में लाने से 1500 मेगावॉट के 280 पावर प्लांट लगाए जा सकते हैं।

. सालाना 40,100 करोड़ रूपए खर्च किए जाने वाले मनरेगा कार्यक्रम को अगले 50 वर्षों तक चलाया जा सकता है।

. कुछ ही घंटों के अन्दर देश का सारा कर्ज चुकता किया जा सकता है।इसके अतिरिक्त जो धन बचेगा उस पर मिलने वाले ब्याज का पैसा ही देश के कुल बजट से अधिक होगा।

ऐसी स्थिति में अगर देशवासियों पर लगाए गए सभी कर हटा लिए जाएंगे तो भी सरकार बड़े आराम से अपने सारे कार्य कर सकती है।सरकार को किसी वितीय संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।

इस मामले पर आम जन की चुप्पी तो समझ में आती हैं किन्तु सरकार और प्रशासन की खामोशी समझ से परे है,जबकि अर्थव्यवस्था को दीमक की तरह खोखली करने वाली इस गैर संपदा को जब्त करने के मामले पर देश की सर्वोच्च न्यायपालिका ने भी सरकार को कई बार फटकार लगाया है। अब हर आम आदमी सरकार की ओर अपनी पैनी नजरें गढ़ाए बैठा है कि कब जागेगी यह सरकार ? और कब बदलेगा देश का कायाकल्प ?

1 COMMENT

  1. काला धन पर चर्चा तो बहुत होती है और लोग कहने में नहीं थकते की काला धन का श्रोत अपराधिक कारोवार स्मगलिंग इत्यादि हैं,पर मैं कहता हूँ की काला धन तो भारत बनाम इंडिया के हर कोने में हर वक्त पनपता है.जब भी आप कोई चीज खरीदते हैं और उसका रसीद नहीं लेते आप काला धन की श्रृष्टि में जाने या अनजाने भागीदार हो जाते हैं.है तो यह छोटी सी बात, पर जब भारत बनाम इंडिया की करोडो जनता इस तरह का व्योहार अपने रोजमर्रा की जिंदगी में करती है तो यह गिनती अरबों में हो जाती है.यह तो हुई छोटी छोटी बाते जो अरबों तक काला धन सृजन करने में सहायक है.अब थोडा ऊपर आइये.बड़े शहरों में जमीन या मकान खरीद फरोख्त में एक सर्कल रेट होता है यह वह नयूनतम मूल्य है जिस पर मकान या जमीन की रजिस्टरी होती है.कभी आप लोगों ने इस पर ध्यान दिया है की इसमे एक एक खरीद फरोख्त में कितने काला धन का आदान प्रदान होता है?आपको एक उदाहरण देता हूँ हरयाणा के गुडगाँव ,फरीदाबाद इत्यादि शहरों के लिए सर्कल रेट है ७५०० रुपये प्रति वर्ग गज और जमीन की रजिस्टरी वहां इसी रेट पर होती है,पर वास्तविक मूल्य सेक्टर अनुसार २००००रुपये प्रति गज से लेकर ८००००रुपये प्रति गज तक है.अगर आप बैंक से कर्ज लेकर इस तरह की जमीन खरीदना चाहते हैं तो आप ऐसा नहीं कर सकते.आप अनुमान लगाइए की इस तरह देश में प्रति दिन कितना काला धन पैदा होता है? टाइम्स आफ इंडिया के दिल्ली एडिसन में प्रत्येक शनिवार को एक सप्लीमेंट होता है प्रोपर्टी पर. उसके पहले पृष्ठ के दाहिनी और दिल्ली के उच्चवर्गीय आवादी वाले इलाकों के प्रचलित दर लिखे होते हैं.उससे और दिल्ली के सर्कल रेट की तुलना करके देखिये,पता चल जायेगा की वहां एक लेन देन में कितना कालाधन पैदा होता है. मैं नहीं जानता की इसके बारे में विशेषज्ञों की राय क्या है पर मुझे तो यह साफ़ साफ़ दिखता है की भारत बनाम इंडिया में अरबों रुपये का काला धन रोज पैदा होता है तो इसको छिपाने का कोई न कोई जरिया तो लोग खोज ही लेंगे.चाहे वह अपनी तिजोरियां हो या अपने देश के बैंकों के लॉकर हो या विदेशी बैंक हो.जिसकी जहां तक पहुच है वह वहां तक जाएगा. ये तो केवल दो उदाहरण हैं ऐसे सैकड़ों श्रोत होंगे जहाँ काला धन पैदा होता है.पहले सरकार या क़ानून इन श्रोतों को बंद करे और फिर लग जाए कालाधन निकालने में और विदेशों में गए हुए काला धन को वापस लाने में.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here