-विनोद बंसल-
एक ओर जहां कुछ राज्य सरकारें देश की ऊर्जा के मुख्य श्रोत भारतीय गौ-वंश को बचाने में लगी हैं वहीं कुछ विकृत मानसिकता के हिन्दू द्रोही लोग तरह-तरह के कुतर्क देकर उसके दूध व पंचगव्य के सेवन से ऊर्जा ग्रहण करने की बजाय गौ-वंश के ही भक्षण को आतुर हैं। देश के केन्द्रीय मंत्री द्वारा हाल ही में यह बोला जाना कि “जो लोग गौ मांस खाए बगैर मर रहे हैं वे बेशक पाकिस्तान या अरब देश चले जाएं” उन सभी गौ भक्षकों और उसकी वकालत करने वाले लोगों के मुंह पर एक करारा तमाचा है। एक ओर जहां इस तरह के लोग हैं जो गौ मांस खाने की वकालत कर रहे हैं वहीं ऐसे युवक भी समाज में हैं जो गौ-वंश रक्षण के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
देखिए राकेश कुमार नामक एक युवक की गौ भक्ति को। उत्तरी दिल्ली के सुल्तान पुरी के पास सुलेमान नगर में रहने वाले इस 28 वर्षीय युवक ने एक बछड़े को कई घण्टों से एक ही स्थान पर एकांत बैठा देखा तो रात्रि होते-होते उसका मन अधीर हो उठा। एक तरफ़ यह सोच कर कि आखिर इसकी मां या मालिक इसे लेने क्यों नहीं आए और यह यहां बैठा-बैठा क्या खाएगा, तो दूसरा यह कि यदि इसी तरह यह गौ-वंशज कुछ देर और अकेला बैठा रहा तो जल्दी ही किसी निर्दयी कसाई द्वारा इस दुनिया से विदा कर दिया जाएगा। किन्तु मन में अनेक प्रश्न थे कि इस अवस्था में कैसे मैं इसे बचाऊँ? मेरे पास न चारा है और न ही इसे रखने की जगह्। इसके मालिक या मां का पता भी लगाऊं तो कैसे? और कुछ न सूझ इंटरनेट से नम्बर देखा और लगा दी विश्व हिन्दू परिषद् के केंद्रीय कार्यालय को फोन पर मदद की गुहार। उस समय रात्रि के लगभग 10 बज चुके थे। विहिप मुख्यालय से प्रकाशित होने वाली “गौ सम्पदा” मासिक पत्रिका के सम्पादक श्री देवेन्द्र नाइक जी ने तुरंत राकेश जी से सम्पर्क कर सिर्फ़ रात भर के लिए बछड़े को अपने साथ ही किसी तरह घर में रखने का आग्रहकिया जिसे राकेश जी ने मान लिया। उन्होंने उस बछड़े को एक रात और एक दिन उसकी रक्षार्थ अपने घर में ही रखा तथा उसकी खूब सेवा सुश्रुषा की। उचित व्यवस्थाओं के अभाव के कारण परिजनों में से कुछ ने उनके इस कदम को ठीक तो कुछ ने विरोध किया। सुबह होने पर देवेन्द्र जी ने पहले तो क्षेत्रीय गौ रक्षा प्रमुख श्री राष्ट्र प्रकाश शर्मा जी को और बाद में मुझे फोन कर बछड़े को उचित स्थान पर पहुंचाने के लिए निवेदन किया। मैंने विहिप के उत्तरी विभाग मंत्री श्री मेवा राम जी के माध्यम से बछड़े को एक गौपालक कार्यकर्ता के यहॉं पहुंचाया। अंततोगत्वा वह गौ-वंश किसी तरह कसाई द्वारा हलाल होने से बच गया तो सभी परिजनों ने राकेश जी की प्रशंसा की। दिल्ली जैसे व्यस्त शहर में राकेश जी की यह गौ भक्ति सर्वथा अनुकरणीय है। गऊ माता युवक का कल्याण करें।
जय गौ-माता की।
अति प्रेरणादायी घटना, ऐसा सात्विक काम करने पर मन भी प्रसन्न होता है।
राकेश कुमार को साधुवाद, और लेखक विनोद जी बंसल को धन्यवाद।
मधुसूदन