हाथी दादा थे जंगल में सबसे वृद्ध सयाने,
डरे नहीं वे कभी किसी से किये काम मनमाने।
आया मन तो सूंड़ बढ़ाकर ऊँचा पेड़ गिराया,
जिस पर चढ़ा हुआ था बंदर नीचे गिरकर आया।
कभी सूंड़ में पानी भरकर दर्जी पर फुर्राते ,
मुझको देदो शर्ट पजामे हुक्म रोज फरमाते।
तब पशुओं ने शेर चचा से करदी लिखित शिकायत ,
शेर चचा ने आनन फानन बुलवाई पंचायत।
पंचायत ने किया फैसला करता जो मनमानी ,
बंद करेंगे पाँच साल तक उसका हुक्का पानी।
माफी मांगी तब हाथी ने लिखकर किया निवेदन ,
आगे अब न होगी ऐसी गलती करता हूँ ऐसा प्रण।
तुमसे भी कहते हैं बच्चों मत करना मनमानी ,
बंद तुम्हारा किया जायेगा वरना हुक्का पानी।