मत करना मनमानी

हाथी दादा थे जंगल में सबसे वृद्ध सयाने,

डरे नहीं वे कभी किसी से किये काम मनमाने।

 

आया मन तो सूंड़ बढ़ाकर ऊँचा पेड़ गिराया,

जिस पर चढ़ा हुआ था बंदर नीचे गिरकर आया।

 

कभी सूंड़ में पानी भरकर दर्जी पर फुर्राते ,

मुझको देदो शर्ट पजामे हुक्म रोज फरमाते।

 

तब पशुओं ने शेर चचा से करदी लिखित शिकायत ,

शेर चचा ने आनन फानन बुलवाई पंचायत।

 

पंचायत ने किया फैसला करता जो मनमानी ,

बंद करेंगे पाँच साल तक उसका हुक्का पानी।

 

माफी मांगी तब हाथी ने लिखकर किया निवेदन ,

आगे अब न होगी ऐसी गलती करता हूँ ऐसा प्रण।

 

तुमसे भी कहते हैं बच्चों मत करना मनमानी ,

बंद तुम्हारा किया जायेगा वरना हुक्का पानी।

 

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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