– डॉ. प्रेरणा चतुर्वेदी
प्रज्ञा और प्रतिभा जन्मजात होती है, लेकिन यदि इसे उचित मार्गदर्शन और वातावरण मिल जाए, तो यह देश तथा विदेशों में महात्मा गांधी, आचार्य चाणक्य, चन्द्रगुप्त मौर्य, सम्राट हर्षवर्धन, गुरु नानकदेव, संत कबीर, डायोजेनीस, प्लेटो, अरस्तु, रूसो, बाल गंगाधर तिलक, विपिन चंद्रपाल, लाला लाजपत राय, श्री गुरू जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, महात्मा मार्क्स, योगी अरविंद और विवेकानंद भी पैदा करता है।
आज का युग प्रतिस्पर्धा प्रधान है। यहां हर कदम पर व्यक्ति को अपने आपको साबित करने के लिए प्रयत्न करना पड़ता है। स्कूल, काॅलेजों में विद्यार्थियों पर इतना दबाव बढ़ चुका है कि किसी कक्षा में, किसी विषय में कम अंक लाने पर बच्चें आत्महत्या तक कर ले रहे हैं। क्योंकि आज माता-पिता अपने बच्चे की योग्यता, रूचि, क्षमता को जाने बिना ही उसे ऊंचा पद, सम्मान पाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और सुविधाओं के ढेर पर बैठाकर बच्चे को मानसिक रूप से अप्रत्याशित दौड़ में शामिल कर देते हैं। लेकिन बाद में कुछ तो इस दौड़ में सफल होते हैं और जो असफल हो जाते हैं, उसमें अधिकांशतः डिप्रेशन के शिकार बनकर आत्मघाती कदम उठा लेते हैं।
बच्चे किस दिशा में आगे बढ़े, किस विषय को चुनें, कौन सा कॅरियर उनके व्यवहार के अनुसार है, क्या चयनित रोजगार के विषय में उन्हें पूरी जानकारी है अथवा आधी-अधूरी जानकारी और केवल दूसरों को देखकर ही भविष्य का निर्धारण किया गया है।
जैसे-पारुल को लोगों से मिलना, बातें करना, उनका ख्याल रखना पंसद था, इसलिए उसके पिता ने यह निर्णय कर लिया कि उनकी बेटी के लिए एच.आर. यानि मानव संसाधन विकास प्रबंधन बनना उचित होगा। जबकि उन्हें या उनकी बेटी को यह नहीं पता है कि एच. आर. का काम केवल पब्लिक रिलेशन बनाना ही नहीं, वरन् वेतन निर्धारण, प्रशासनिक, आॅफिस प्रबंधन, कंपनी की पॉलिसी निर्धारण का भी काम होता है।
यदि केवल एक ही गुण, विशेषता के कारण या आधार पर पारुल यह कार्यक्षेत्र चुनें, तो निश्चय ही वह अपना पूरा कार्य निस्पादन यानि परफॉर्मेन्स नहीं दे पाएंगी। परिणामतः उसे अपने कार्यक्षेत्र में कुंठा और तनाव का सामना करना पडे़गा किंतु यदि उसकी ब्रेन मैंपिग कराई जाए, तो उसका लोगों से बातचीत करने के अलावा, कितनी और किस क्षेत्र में अधिक झुकाव है, अथवा उसका मस्तिष्क किन बातों के लिए अतिरिक्त रुप से सक्रिय है, जो उसके भविष्य के लिए सहायक हो सकती हंै, तो उसकी ‘नीदलिंग बे्रन मैपिंग’ कराकर उसके मस्तिष्क की पूरी वैज्ञानिक तरीके से जानकारी कुछ ही पलों में मात्र 30 प्रश्नों के वरियताक्रम के अनुसार जवाब देकर पाया जा सकता है।
आप भारत में ही नहीं अमेरिका तथा भारत में यूरोपीयन देशों में- न्यूजीलैंड, साउथ अफ्रीका, स्वीडन आदि देशों में भी ब्रेन मैपिंग द्वारा किसी व्यक्ति के व्यवहार, रुचि, योग्यता, क्षमता का वैज्ञानिक कारण पता लगाया जा सकता है। जो किसी तरह से भी अमान्य अथवा अवैज्ञानिक आधार पर नहीं है बल्कि दक्षिण अफ्रीका के डाॅ. कोबस नीदलिंग के 20,000 संख्या से अधिक लोगों पर आजमाए वैज्ञानिक शोधों के आधार पर आधारित है।
पूरे भारत में आज कॅरियर के क्षेत्र में बे्रन मैपिंग एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला चुका है। भारत में इस पर कार्य करने वाले डॉ. शंकर गोयनका के अनुसार- ‘पिछले छः सालों में बे्रन मैपिंग के प्रति लोगों का रूझान बढ़ा है। आज लोग कॅरियर काउंसलिंग कराने से पहले बच्चे का बे्रन मैप कराना पसंद कर रहे हैं। क्योंकि यह सुविधाजनक और अत्यन्त कम खर्च की पद्धति है, जो सरलता से वैज्ञानिक परिणाम देकर व्यक्ति के प्रश्नों का जवाब देती है, कि किसी बच्चे की क्या खासियत है, और उसके मस्तिष्क की क्या स्थिति और रुझान है।
बच्चो पर लेख अच्चा है.पेरना जी को बधाई
अखिलेश अर्येंदु
बहुत ही ज्ञान वर्धक और सामयिक जानकारी दी है आपने. इस हेतु साधुवाद.
Excellent.
Carry on.
Way to teach humanity