नीतीश जी का योग दिवस का अनदेखी करना उनमें दूरदर्शिता के अभाव को दर्शाता हैं ।

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nitishविकास आनन्द

21 जुन को दुनिया के लगभग 192 देशों ने लगातार दुसरे साल योग दिवस मनाया, वही बिहार सरकार नीतीश कुमार के नेतृत्व ने इसका वहिष्कार किया । पटना गांधी मैदान में आयोजित योग शिविर में मुख्यमंत्री और मंत्रीयों ने आने की हामी भरी और फिर मना कर दिया । उनके प्रवक्ताओं ने तर्क दिया कि योग तो हम घर में करते हैं । बिहार के मुंगेर में बड़ा योग आश्रम हैं । आप घर में योग करते है इससे दुनिया और देश को क्या फायदा ! दूसरा आरोप नीतीश सरकार का है कि मोदी योग के ब्राडिंग पर करोड़ो खर्च कर रहे हैं इससे राष्ट्र को आर्थिक क्षति हो रही है। इस तरह के वक्तव्य पर हंसी आती हैं । योग के फैलने से भारतीय योग प्रशिक्षकों (इण्डियन ट्रेनर) की मांग बढ़ रही हैं । इससे भारतीयों को रोजगार और महत्व भी मिल रहे हैं । योग देश में डाॅलर लाने में सक्षम हो रहा हैं । देश के कोष को भी फायदा हो रहा हैं । आज हम भूमंडलीय (ळसवइंसप्रमक) विश्व में रह रहे हैं । हार्ड पाॅवर से अधिक साॅफ्ट पाॅवर का महत्व बढ़ रहा हैं । योग के फैलने से भारत की साॅफ्ट पाॅवर भी बढ़ रही हैं । जिस तरह से मोदी सरकार ने प्रवासी भारतीयों का उपयोग साॅफ्ट पाॅवर के रूप में भारत के हित को साधने में कर रहीं है उसी तरह योग के प्रचार-प्रसार से भारत का सम्मान विश्व भर में बढ़ रहा हैं । योग के प्रचार-प्रसार से भारत राजनीतिक और आर्थिक दोनो तरह से मजबूत होगा । इसको महसूस करने के लिए नीतिश सरकार को सूक्ष्मदृष्टी और दूरदर्शी होने की जरूरत हैं । पहली बार इसी योग के ब्रांडिग से दुनिया के 192 देश भारत के साथ खड़े नजर आएं । आज आप विदेश सेवा में कार्यरत भारतीय अधिकारीयों से बात कीजिये तो वे बताते हैं कि मोदी सरकार जिस तरह से दुनिया में भारत के खुबियों का ब्रांडिग कर रही हैं उससे विदेशों में हमें देखने का नजरिया बदल रहा हैं । अब हम अधिकारीयों को बड़ी सम्मान और महत्व की दृष्टी से देखा जाता हैं । अब जितना तव्वजू मिलता हैं पहले उतना नहीं मिलता था । आज भारत के न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एन.एस.जी) में प्रवेश पर इतने बड़े पैमाने पर समर्थन मिल रहा हैं । एम. टी. सी. आर में भारत का प्रवेश हो गया । बहुत ऐसे उदाहरण है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता को दर्शाता हैं । भारत के छोटी से छोटी खुबियों को उभार रहे है और उसे विश्व पटल पर रख रहे हैं जो भारत के राजनीतिक आर्थिक शक्तियों में इजाफा ला रहा हैं । प्रत्येक देशों में जाकर भारतीय प्रवासीयों को सम्बोधित करना और भारत की उन्नती में उनका सहयोग मांगना तथा उनकों अपने-अपने देशों में भारत के हित के ख्याल रखने की बातें कहना ये मोदी की दूरदर्शिता नहीं तो और क्या हैं ।

 

अभी हाल ही में मोदी की अमरीकी यात्रा के दौरान वहाँ के कांग्रेस के सम्बोधन की घटना को अमरीकी पत्र-पत्रिकाओं ने अपने सम्पादकीय में भारत के प्रधानमंत्री के इस तरह के सम्मान को वहाँ के चुनाव से जोड़कर लिखा । वहाँ समाचार पत्रों के सम्पादकीय में लिखा गया चूकि भारतीय प्रवासी अमेरीकी चुनाव को प्रभावित करते हैं और मोदी प्रवासीयों के चहेते हैं, इसलिए भारत के प्रधानमंत्री मोदी को बुलाकर सत्तासीन डेमोक्रेट ने इतने बड़े पैमाने पर मोदी को सम्मानीत किया । भारतीय प्रवासीयों की शक्तियों को अटल जी की सरकार के बाद इतने व्यापक रूप से किसी ने पहचाना तो वह नरेंद्र मोदी ने पहचाना, उनकी दूरदर्शिता ने इसे भाँपा ।

इसलिए किसी भी चीज को यह कह कर खारीज कर देना कि ‘इसमें खर्चे बहुत है हम तो घर में करते हैं’- ये बाते करना कुछ नहीं दृष्टि का अभाव हैं । योग के पीछे के मकसद,वर्तमान और भविष्य में इससे होने वाले भारत और विश्व के फायदे को भी देखना चाहिए । काश! नीतीश बाबू इस योग दिवस को एक ‘स्वास्थ के प्रति जागरूकता अभियान’ समझकर ही शामिल हो जाते तो इनके नेतृत्व पर अदूरदर्शी होने का आरोप तो नहीं लगता !

3 COMMENTS

  1. Nitish kumar itane sankuchit dristikon ke hain yah to tabhi pata chal gaya tha , jab dinner par bula kar bad me mana kar dena

  2. वैचारिक स्तर से हीन लोग ही ऐसा कर सकते हैं ,आज जब विश्व योग का महत्व समझ रहा है , भारत ने आगे बढ़कर योग को प्रचारित किया है व यू एन ओ में भी भारत के कहने से इसे विश्व योग दिवस मनाने का फैसला किया ऐसे में इसका विरोध ओछी मानसिकता को जाहिर करता है , योग किसी दल विशेष की चीज नहीं बल्कि हमारे ऋषि मुनियों द्वारा स्वास्थ्य के लिए दिया गया मंत्र है इसका बहिष्कार करना अपनी संस्कृति का अपमान करना है , लगता है बहिष्कार करने वाले नीतीश , केजरी, राहुल , संस्कृति से कोसों दूर हैं

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