कविता : रिश्तों की बुनियाद

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    मिलन  सिन्हा

old man

पहले खुद  पर ऊँगली उठा सको तो जानें

पहले गैर के आंसू पोंछ सको तो जानें .

 

जानना समझना तो अभी बहुत कुछ है यहाँ

कितने अज्ञानी है हम, पहले यही जान सको तो जानें .

 

भाई – भाई में झगड़ा, बाप-बेटे में मतान्तर

रिश्तों  की  बुनियाद अब क्या है बता सको तो जानें .

 

जिसे देखो वही पैसे  के पीछे भाग रहा है

पैसा में ऐसा क्या है  समझा  सको तो जानें .

 

आँख  होते हुए भी बहुत लोग अंधे हैं यहाँ

इन आंखवालों को नजर दे  सको तो जानें .

 

गोदाम भरे पड़े हैं, पर गरीब भूखा है यहाँ

इन गरीबों  के लिए कुछ कर  सको तो जानें .

 

सुनता हूँ गरीबी, बेकारी, बेबसी अब नहीं रहेगी यहाँ

हरियाली,खुशहाली से मिलन कब होगा बता सको तो जानें .

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