रहस्य लंबी उम्र का

– हरिकृष्ण निगम

इधर कुछ वर्षों से चाहे चिकित्सक हों या दूसरे स्वास्थ्य विशेषज्ञ या चुस्त-दुरूस्त रखने वाली दवाओं या टॉनिकों के निर्माताओं के सम्मोहक विज्ञापन अथवा वड़ी-बड़ी बीमा कम्पनियों के बीमांक या ‘एक्चुअरी’ जो विभिन्न आयु समूहों की औसत मृत्यु दर पर शोध के लिए मशहूर होते हैं, लगता है सिर्फ एक ही चर्चा में लीन है- दीर्घायु कैसे बनें?

यौवन, स्वास्थ्य, सौन्दर्य, लंबी आयु और अमरत्व- सदियों से मानव जाति इन प्रश्नों का उत्तर खोज रही है। पर आज तो स्वास्थ्य और सौन्दर्य की देशी-विदेशी पत्रिकाओं में तो नियमित रूप से सिर्फ इसी विषयवस्तु पर अधिक ध्यान दिया जाता है जिसमें लम्बी उम्र के लोगों के साक्षात्कारों द्वारा उनके स्वास्थ्य का रहस्य उजागर किया जाता है। एक रोचक बात यह है कि इस विषय पर समय-समय पर वयोवृध्द लोगों से जब साक्षात्कार में उनकी लम्बी आयु का रहस्य पूछा जाता है तो उनके उत्तर भी मजेदार होते हैं क्योंकि लम्बी आयु पाने का कोई एक नुस्खा नहीं होता। उनके उत्तर बहुधा असमंजस में डाल देते हैं।

बोस्टन में रहने वाली 104 वर्षीय एन्जेजीन स्ट्रैन्डल से हाल में पूछा गया तो उन्हाेंने कहा- मैं शाकाहारी हूं, शराब और सिगरेट छूती तक नहीं। वे पिछली बार सन 1925 में बीमार पड़ी थी। हवार्ड मेडिसिन स्कूल के शोधकर्ताओं का कहना है कि 110 वर्ष से उपर के अनेक लोगों ने कहा कि वे कॉफी नहीं पीते क्योंकि वे इसे नुकसानदायक मानते थे। पर एक दूसरे वर्ग के अनुसार वे पिछले अनेक वर्षों से काफी पीते आ रहे हैं क्याेंकि उनके डाक्टरों का कहना है कि इससे कैंसर की कोई संभावना नहीं होती। इसी तरह एक ओर कहा गया कि शराब त्याज्य है क्योंकि यह जहर है पर दूसरों का अनुभव यह है कि संयमित मात्रा में एक दो पेग लेने में कोई नुकसान नहीं बल्कि ‘लाल वाइन’ लेना स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। डाक्टरों का एक वर्ग सलाह देता है कि चाकलेट खाना हानिकारक है, दूसरा वर्ग कहता है कि कोको या काफी की काली चाकलेट का नियमित सेवन हृदय रोगों से दूर रखता है।

एक वयोवृध्द से जब अच्छे स्वास्थ्य का रहस्य पूछा गया तब उसने कहा कि मक्खन, नमक, तले भोजन व सिगरेट से बहुत दूर रहता है। रूस के काकेशस क्षेत्र जहां 100 से 125 वर्ष तक की आयु के 10,000 से अधिक लोग हैं, अधिकांश लोगों के साक्षात्कारों में यह तथ्य सामने आया कि वे दूध, अण्डे, व सब्जियों और फलों का बहुत उपयोग करते हैं और ‘प्रोसेस्ड’ टिन के भोजन, बोतलों से भरे टमाटर सॉस और जंक फूड का कभी सेवन नहीं करतेहैं। दूसरी महत्वपूर्ण बात उनका रोज का कड़ा शारीरिक श्रम है।

दूसरे और कुछ लोगों का मानना है कि अपरान्ह में कुछ घंटे भोजन के बाद आराम करना, संध्या को एक दो पैग शराब पीना, मांसाहार व तनाव मुक्त रहने के कारण वे लम्बे वर्षों तक स्वस्थ रह सके। लम्बी आयु के संबंध में चिकित्सा-विशेषज्ञों के एक दूसरे के काटने वाले परस्पर विरोधी तर्कों के सामने एक साधारण व्यक्ति क्या समझे, यह भी एक भ्रमपूर्ण स्थिति है।

फिर भी विशेषज्ञों में एक बात पर आम सहमति है और वे मानते हैं कि लंबी उम्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्व सदा प्रसन्नचित रहना है। इससे अधिकर और कोई फार्मूला कारगर नहीं हो सकता। दूसरी शर्त आपकी महत्वाकांक्षा है जिसकी वजह से जीवित रहने की अदम्य इच्छा कभी मंद नहीं पड़तीहै।

इंग्लैण्ड में हाल ही में एक अध्ययन द्वारा यह सिध्द किया गया है कि जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण और सुखद वैवाहिक जीवन जिन्दगी के सालों सको स्वतः बढ़ा देता है। दिन प्रतिदिन के संतुष्ट जीवन में छोटी-छोटी खुशियां, दोस्तों से मेल-मिलाप, छोटे शहर या गांव में रहना- इस तरह की जिन्दगी आपकी औसत आयु में 20 वर्ष जोड़ सकती है।

इन छोटी-छोटी बातों का स्वास्थ्य पर इतना गहरा प्रभाव पड़ता है कि कनाडा के कुछ विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि यदि कोई ट्रेफिक से भरपूर मुख्य मार्ग पर रहता है तब निरन्तर तनाव की वजह से उसकी आयु ढ़ाई वर्ष घट जाती है। जीवन शैली में कुछ छोटे बदलाव लाने से जीवन अवधि को आगे बढ़ाया जा सकता है। उदाहरण के लिए चाय पीने की आदत कुल आयु में चार साल जोड़ सकती है। एक दूसरी चिकित्सा पत्रिका के अनुसार अमेरिकी सब्जी ब्रोकोली, जो अब भारत के महानगरों में भी मिलती है फटेगोगी के फूल जैसी हरे रंग की होती है किसी की भी औसत आयु में 8 वर्ष बढ़ा सकती है।

हमारे जीवन के कुछ सामान्य पक्ष भी, जिन पर हमारा बस नहीं है, आयु निर्धारित करने में महत्वपूर्ण सिध्द होते हैं। महिला होना संभावित आयु के निर्धारण में फायदेमंद है। औरतों की औसत आयु पुरुषों से पांच साल अधिक है। मातृत्व तो और भी लाभकारी सिध्द हो सकता है। वे लड़कियां जो 30 वर्ष की आयु के भीतर परिवार बसा लेती है उनको स्तन कैंसर होने की संभावना न के बराबर होती है।

अब तो बीमा कंपनियों के शोध के आंकड़ों के आधार पर आप अपनी जीवन अवधि का अंदाज स्वयं भी लगा सकते हैं। यदि आपके दादा-दादी 80 साल या अधिक आयु तक जीवित रहे तो आपकी अपनी संभावित आयु में 5 वर्ष जुड़ जाते हैं। यदि आपके माता-पिता या सगे भाई-बहन में कोई 50 वर्ष से कम आयु में हृदय रोग या कैंसर से मरता है तो अपनी आयु में चार साल घटा दीजिए।

जीवन शैली और कुछ निजी आदतें भी आपकी जीवन-अवधि का निर्धारण करती हैं। आयरलैण्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार समृध्द और खुशहाल परिवार में जन्म लेना और किसी का शिक्षित होना या स्नातक होना भी आयु को प्रभावित करता है- इससे आयु में चार वर्ष अधिक बढ़ते हैं। इसी तरह यदि कोई साठ साल का है और फिर भी काम करता है तब उसकी सामान्य आयु में तीन वर्ष बढ़ जाते हैं। इसी तरह आज सभी डाक्टर कहते हैं कि दिन में दो कप चाय पीने की आदत में चमत्कारिक गुण छिपे हैं। पत्तियों के रसायन में कैंसर से लड़ने की क्षमता होती है और इसे चिकित्सक की शब्दावली में ‘एंटी-आक्सीडेंट’ माना जाता है।

पर जो लोग सादगी भरा कड़ा जीवन बीताते हैं, जिसमें शारीरिक श्रम या पैदल चलना भी शामिल है, उन्हें हताश होने की जरूरत नहीं है। अनेक डाक्टर मानते हैं कि यदि आपको जबर्दस्त भूख लगती है और कड़े परिश्रम के आप आदि हैं और रात में यदि आप घोड़े बेच कर सोते हैं तब इससे अच्छे स्वास्थ्य की आप कल्पना भी नहीं कर सकते। जिस तरह खुशनुमा वैवाहिक जीवन से आयु के पांच वर्ष बढ़ सकते हैं, जो लोग शहर की तनाव ग्रस्त जिंदगी छोड़कर गांव में बस जाते हैं उनकी सामान्य आयु में आठ वर्षों का इजाफा हो जाता है। विशेषज्ञ इस बात पर एक मत हैं कि आज विभिन्न वर्ग के मेहनतकशों के अधिक स्वस्थ रहने की संभावना हैं क्यांकि प्रकृति आज भी उनके साथ है। सम्पन्न परिवार के कुटैव, मानसिकता, जीवन शैली, रूझानों ने शारीरिक दोषों के अलावा दर्जनों प्रकार के मनोरोगों को जन्म दिया है जिसके लिए चिकित्सा क्षेत्र में नई चिंता व्याप्त है। उनके लिए प्रसन्नता, जिसे लंबी आयु की कुंजी कहा गया है, उस छोटी सी गौरय्या जैसी है जो आपकी खिड़की पर बैठी तो है पर आपको दिखती नहीं है।

7 COMMENTS

  1. अगर ज्योतिष में ही उम्र कम बता दी जाए,
    तो क्या तब भी उम्र को बढ़ाया जा सकता है ?

    • आपने अच्छा किया कि इस पुराने आलेख पर पुनः चर्चा आरम्भ कर दिया.पहले तो आप ज्योतिषी और हस्त रेखा विशेषज्ञ को भूल जाइये. अब मैं पहले एक प्रश्न करूंगा.क्या भारत में कोई ऐसा स्थान है ,जहाँ के लोगों की औसतन आयु दूसरे स्थान के लोगों से अधिक हो? अगर ऐसा है तो क्या यह शोध का प्रश्न नहीं है? मेरे विचार से अगर ऐसा कोई इलाका होगा,तो वह हिमालय की गोद में ही होगा.
      डॉक्टर राजेश कपूर ने लिखा है कि मेगास्थनीज के अनुसार उस समय के भारतीय लम्बी आयु के साथ बीमारी मुक्त जीवन भी बीताते थे.इसकी सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता,क्योंकि मेरे विचार से उस समय के भारतीयों का जीवन प्राकृतिक कृषि और गाय पर आधारित था. गाय को शायद उस समय राजनैतिक पशु न मानकर एक लाभकारी पशु माना जाता था.
      इस आलेख पर टिप्पणियों में एक अन्य महत्त्व पूर्ण बात पर भी ध्यान नहीं दिया गया है.वह है,पर्यावरण.भारत का कोई भी हिस्सा हवा और पानी के जहर से अक्षुण नहीं है.हो सकता है कि दिल्ली में हवा में प्रदूषण सबसे ज्यादा हो,पर अन्य जगहों पर भी यह कम नहीं है.इसके अतिरिक्त जल प्रदूषण ,जिससे दूर दराज के गाँव भी अछूते नहीं हैं. इससे ऊपर है,मिलावट.

  2. निगम जी, अति सुन्दर, सार्थक लेख हेतु आपको साधुवाद देना तो रह ही गया है. मौलिक चिंतन, मनन से ही इतने सार्थक लेख का अविर्भाव होता है. आपके लेखन ने मुझे भी कुछ कहने ,लिखने को प्रेरित,उत्साहित करदिया. पुनः साधुवाद और धन्यवाद !

  3. अधिक देर तक जीने के रहस्य को जानने की मानव की एक स्वाभाविक और प्रबल इच्छा है. पर सार्थक जीवन जीना, जीवन के रहस्य और मानव जीवन के उद्देश्य को जानने-समझने के जितने गंभीर और गहन प्रयास भारतीय मनीषा ने किये, और किसी ने नहीं .
    कमाल की बात देखें कि परलोक की सबसे अधिक चिंता, चिंतन व मनन करने वाले भारत के लोगों ने ही सबसे अधिक लम्बी आयु जीने के रहस्य भी खोजे. पौराणिक काल के पूर्वजों की हज़ारों वर्ष लम्बी आयु की बात तो आधुनिक अविश्वासी मानेंगे नहीं, महाभारत काल के लोगों की लम्बी आयु भी शायद ही हमें विश्वसनीय लगे. किन्तु युनानी राजदूत मेगास्थनीज़ के कथनों पर तो हम विश्वास करलेंगे न?
    मेगास्थनीज़ लिखता है कि भारत के लोगों के कभी सर दर्द नहीं होती, कभी पेट दर्द नहीं होती, कभी दांत दर्द नहीं होती, कभी ये लोग बीमार नहीं पड़ते. *ये लोग १२०, १३० और कई लोग तो १५० साल से भी अधिक तक जीवत रहते हैं*
    कहने की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए कि वह भारत के लोगों को देख कर हैरान तभी था क्योंकि उसके अपने देश में लोग दन्त-रोगों, सर दर्द, उदर रोग आदी बीमारियों से पीड़ित रहते होंगे. जल्दी मरते होंगे. तो अगर लम्बी आयु का रहस्य जानना है तो भारत की उसी संस्कृती, उसी परम्परा की शरण में आना होगा जिसकी जड़ें खोदने का काम सैंकड़ों साल से करते करते इस मुकाम पर पहुँच गए हैं कि इस संस्कृती की संताने ही भूल चुकी हैं कि वे सारे संसार का दिशा निर्देश कर सकते हैं, सारे संसार के लिए सुख, समृद्धी, शांती का तंत्र दे सकते हैं; कभी देचुके हैं.
    खैर करना तो ये हम ही को है. सारी दुनिया के मानवों ही नहीं, प्राणी मात्र के सुख, समृद्धी का तंत्र,मन्त्र व दर्शन केवल और केवल भारत के पास ही तो है. बस ज़रा हमारे इन हनुमानों को अपनी भुला दी गयी शक्ती और सामर्थ्य का स्मरण हो जाए. और भारत की सत्ता मैकाले के मानस पुत्रों,विदेशी ताकतों के एजेंटों के हाथ से छीनकर भारत भक्तों के हाथ में जागृत होकर जनता सौंप दे .
    विदेशी और स्वदेशी विद्वानों के लिखे दर्जनों प्रमाण हैं कि कभी सारे संसार को हमने ही सभ्य, सुसंस्कृत बनाया था. बस वही तो फिर से करना है.

  4. Findings of British study referred to in the article on secrets of long life are stated to be:
    – Positive attitude towards life,
    – Happily married life,
    – Satisfaction in daily life enjoying its small, small joys,
    – Cordial relationship with friends,
    – Habitation in country side or small towns.
    Canadian study recommends:
    – Don’t live on busy main roads having heavy traffic and save 2 1/2 years of your life span,
    – Have habit of taking tea and add 4 years to life.
    Following advice in above British study grants addition of average of 20 years to life and the Canadian study further 6 1/2 years.

    Let us follow the advice and live an additional quarter of a century.

    Let me add : Read PRAVAKTA four times a day and get busy on your computer. Amen !

  5. भई वाह शानदार आलेख अंत में प्रसन्नता वह गौरैया जो खिड़की पर मुफ्त में बैठी है .वाकई सार्थक आलेख का शानदार समापन .

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