पीएम मोदी से वसुंधरा की मुलाकात- राजस्थान में चढता सियासी पारा

                       रामस्वरूप रावतसरे

 राजस्थान में इस कड़ाके की ठंड में भी सियासी गलियों में पारा चढ़ा हुआ है। पीएम नरेंद्र मोदी के हालिया जयपुर दौरे से सियासी हलचल तेज है। पीएम मोदी बीते 17 दिसंबर को जयपुर के दादिया गांव में ईआर सीपी के कार्यक्रम में शामिल होने आए थे. यहां उनकी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से मंच पर मुलाकात हुई। कहने को ये मुलाकात महज चंद मिनट की थी लेकिन इस मुलाकात के बाद बीते आठ दिनों से राजस्थान के सियासी गलियारों में जो हलचल मची है, उसकी वजह से कई तरह के कयास लगने भी शुरू हो गए हैं।

पीएम मोदी की दादिया की सभा वाले मंच पर वसुंधरा राजे एक कोने में बैठी थी। ये वही कोना था जिसके सामने लगे पोडियम से पीएम मोदी ने भाषण दिया था। पीएम मोदी जब भाषण देकर वापस अपनी कुर्सी तक लौटे, तब तक उनके और वसुंधरा राजे के बीच कोई संवाद नहीं हुआ लेकिन पीएम ने अपने भाषण में वसुंधरा राजे के शासन की तारीफ जरूर की। सियासी अटकलों ने जोर तब पकड़ा जब पीएम मोदी सभा खत्म होने के बाद लौट रहे थे। तब उन्हें विदाई देते समय वसुंधरा राजे भी मंच पर थी। पीएम मोदी ने वसुंधरा राजे का अभिवादन स्वीकार किया और दोनों के बीच लगभग दो से तीन मिनट की बातचीत हुई थी।

जानकार सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी ने वसुंधरा राजे को इस बातचीत में दिल्ली आकर मिलने को कहा था। पीएम के जयपुर दौरे के महज दो दिन बाद ही वसुंधरा राजे दिल्ली पहुंचीं। संसद के कक्ष में वसुंधरा राजे और पीएम मोदी के बीच करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई थी। जैसे ही अगले दिन पीएम के साथ वसुंधरा राजे की मुलाकात की तस्वीर सामने आई तो राजस्थान में सियासी भूचाल आ गया। नेताओं से लेकर आम कार्यकर्ता तक इस मुलाकात को वसुंधरा राजे के सियासी पुनर्वास से जोड़ा जाने लगा है।

    पीएम मोदी ने वसुंधरा राजे से राजस्थान की राजनीति और भजनलाल सरकार का फीड बैक लिया था और अब वसुंधरा समर्थक विधायकों में से कुछ को सरकार में जगह मिल सकती है। पीएम मोदी से वसुंधरा की मुलाकात के अगले कुछ दिनों में राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी दिल्ली गए और वहां वे पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मिले। सीएम भजन लाल की मुलाकात को भी वसुंधरा राजे और पीएम की मुलाकात से जोड़कर देखा जाने लगा और अटकलों का बाजार गर्म हो गया कि वसुंधरा राजे को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है। वसुंधरा राजे को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। वसुंधरा राजे को केंद्र में मंत्री पद मिल सकता है।

    इन मुलाकातों से उपजी सियासी हलचल पर गौर करें तो इससे यह बात निकलकर सामने आ रही है कि क्या वसुंधरा राजे फिर से राजस्थान की सीएम बन सकती है? इसका जवाब सीधा और बिल्कुल साफ है नहीं। ऐसा इसलिए क्योंकि पहली बात पीएम मोदी ने अभी जयपुर में ख़ुद सीएम भजनलाल शर्मा और उनकी टीम की जमकर तारीफ कर चुके हैं। दूसरी बात, सीएम भजनलाल शर्मा ने हाल में उपचुनाव में सात में से पांच सीट जीती हैं और तीसरी और सबसे अहम बात कि राजस्थान में अभी सीएम बदलने की कोई वजह नहीं दिखती। ऐसे में वसुंधरा राजे को सीएम बनाने की संभावना दूर दूर तक नहीं दिखती।

   अब बात वसुंधरा राजे को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने की करें तो यह बेहद दूर की कौड़ी लगती है क्योंकि पार्टी नेताओं के मन में मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा के बाद किसको अध्यक्ष बनाया जाना है उसका खाका साफ है। पार्टी अध्यक्ष के लिए भाजपा और संघ साझा नाम तय करेगा और वो नाम ऐसा तो जरूर होगा जिसकी वजह से आने वाले समय में उन राज्यों में पार्टी को फायदा मिले जहां विधानसभा चुनाव होने वाले हो। इसके अलावा पार्टी के नेता संभावित अध्यक्ष की जाति से संदेश भी देना चाहेंगे और वसुंधरा राजे इस कसौटी पर खरी नहीं उतरती दिख रहीं।

   अब चर्चा एक अन्य कयास की करें तो वसुंधरा राजे से पीएम ने राजस्थान की राजनीति का और सरकार के कामकाज का फीड बैक लिया। ये कयास काफ़ी हद तक सही साबित हो सकता है। इसकी वजह ये है कि भजनलाल सरकार का एक साल पूरा हो चुका है। सरकार में शामिल कुछ मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड गड़बड़ है इसलिए मंत्रिमंडल फेरबदल की चर्चा है। बताया जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार भी पूर्ण रूप से सोच समझकर होगा। सीएम भजनलाल शर्मा की दिल्ली में पीएम और गृह मंत्री से मुलाकात इसी अनुमान की एक कड़ी हो सकती है।

   वसुंधरा राजे से फीडबैक के आधार पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को दिल्ली बुलाकर उनसे इन्हीं मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। ऐसे में आने वाले दिनों में मंत्रिमंडल फेरबदल में वसुंधरा समर्थक अगर मंत्री पद हासिल कर लें तो कोई आश्चर्य नहीं लेकिन पीएम मोदी से वसुंधरा राजे की मुलाकात से कोई बड़ा बदलाव या फैसला होगा, फिलहाल ऐसी स्थिति नहीं नजर आती। यह अलग बात है कि उनके समर्थक उन्हें चर्चा में बनाए रखने के लिए कुछ भी कह सकते है। वैसे भी पीएम मोदी एवं अमित शाह के निर्णय हमेशा चौकाने वाले होते हैं। इनके यहां कौनसा नेता -कार्यकर्ता कितना उपयोगी है और उसका उपायोग कहां लिया जायेगा, समय से पहले उजागर नहीं होता।

     यदि मंत्रिमंडल में फेरबदल होता है तो राजस्थान में कुल 200 विधानसभा सीटें हैं। नियम के अनुसार प्रदेश में बनने वाली सरकार में कुल विधानसभा सीटों के मुकाबले 15 प्रतिशत तक विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है, यानी इस आंकड़े के अनुसार सरकार प्रदेश में 15 प्रतिशत मंत्री बना सकती है। वर्तमान मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री, दो डिप्टी सीएम सहित 24 मंत्री है, लिहाजा 30 के मुकाबले भजन लाल सरकार 6 और मंत्री बना सकती है। अब यह छह मंत्री किस खेमे के होंगे? इसको लेकर जमकर हलचल मची हुई है।

    पीएम मोदी से मुलाकात के बाद सियासत में चर्चाएं चल रही है कि इस बार वसुंधरा राजे अपने समर्थक विधायकों को मंत्रिमंडल में एंट्री दिलाने के लिए काफी एक्टिव है। राजनीति के जानकार लोग इनमें पूर्व मंत्री श्री चंद कृपलानी, कालीचरण सराफ, अनीता भदेल, पुष्पेंद्र सिंह राणावत, जयदीप बियानी, आदूराम मेघवाल, रामविलास मीणा, गोवर्धन वर्मा, हंसराज मीणा, शत्रुघ्न गौतम के नाम को चर्चा में मान रहे हैं। अब यह देखना होगा कि इनमें से कितने नामों को मंत्रिमंडल में एंट्री मिलती है?

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