राकेश कुमार आर्य (संपादक उगता भारत)
एक जंगल में एक शेरसिंह नामक शेर रहता था जो कि जंगल का राजा भी था , पर था बड़ा मूर्ख। एक दिन शेर सिंह अपने मित्र बबलू चीते के साथ नदी के किनारे किनारे टहल रहा था । टहलते – टहलते शेर सिंह अचानक रुका और अपने मित्र बबलू से बोला — बबलू यह नदी कहां जाती है ? तब उसके मित्र बबलू ने जवाब दिया कि राजन यह नदी पूर्व के जंगल में जाती है । शेरसिंह ने पूछा कि वहां यह क्या करती है ?
तब बबलू ने अपने राजा को उत्तर दिया कि राजन पूरब के जंगल के जानवरों के लिए भी यह नदी पानी की व्यवस्था करती है। इस पर मूर्ख शेरसिंह बिगड़ गया। उसने क्रोध में आकर कहा कि हम अपनी नदी का पानी पूरब के लोगों को नहीं पीने देंगे। इसलिए अपने जंगल के चारों ओर एक दीवार खिंचवा दो। जिससे हमारी नदी का पानी पड़ोसी पूरब के जंगल में न जा सके। बबलू चीते ने अपने मित्र शेरसिंह को समझाने का बहुत प्रयास किया ।पर मूर्ख शेरसिंह ने एक न सुनी ।
अंत में बबलू को अपने जंगल की दीवार करवानी पड़ी। कुछ ही समय में नदी का पानी बढ़ते – बढ़ते सारे जंगल में फैलने लगा और सभी जंगली जानवर अपने -अपने घरों में से निकल कर इधर-उधर भागने लगे ।तब कुछ जानवरों ने साहस कर बबलू चीते से आकर कहा कि वह शेर सिंह को समझाए और इस नदी के पानी को यहां से निकलने दें ,जिससे कि हम आराम से रह सकें। शेरसिंह के स्वभाव को समझते हुए बबलू यह तो जानता था कि वह आराम से नहीं मानने वाला ,परंतु फिर भी उसने अपने साथी जंगली जानवरों से यह कह दिया कि आप जाओ और मैं शेरसिंह को समझाने का प्रयास करूंगा ।अब बबलू को यह चिंता हो रही थी कि वह कैसे अपने राजा शेरसिंह को समझाएं ? अंत में उसे एक युक्ति सूझ गई और उसने अपने राजा को समझाने का उपाय खोज लिया।
वह अपने पड़ोस में रहने वाले एक अन्य मित्र के यहां गया जो अपने मंदिर में प्रतिदिन सुबह सूर्योदय होने से पूर्व घंटा बजाता था। जिससे सभी जंगली जानवरों को जागने की सूचना मिल जाती थी ।आज बबलू चीते ने अपने उस मित्र से कहा कि –‘ मित्र आज आप रात को 12:00 बजे जंगल में घंटा बजा दें । उसके मित्र ने कहा कि बबलू तुम जानते तो हो कि राजा कितना मूर्ख है ? – मुझे मार डालेगा ।बबलू चीते ने कहा कि तुम इस बात की चिन्ता न करो। मैं स्वयं अपने राजा को समझा लूंगा और तुम्हारे प्राण नहीं जाने दूंगा ।
बबलू चीते की ऐसी बात सुनकर उसके मित्र ने रात में 12 घंटा बजा दिया ।घंटे की आवाज सुनकर सभी जानवर बाहर निकल पड़े । यहां तक कि जंगल का राजा शेरसिंह भी बाहर निकल आया । उसने देखा कि अभी तो बहुत गहरा अंधेरा है तो वह सीधे बबलू चीते के उस मित्र के घर की ओर चल दिया ,जिसने घंटा बजाया था ।उसने वहाँ जाकर उसको धमकाना आरंभ किया कि तुम मूर्ख हो जो तुमने इतनी रात में ही घंटा बजा दिया । तब बबलू चीता निकल कर बाहर आया और वह बोला कि महाराज गलती इसकी नहीं है । इससे घंटा बजाने के लिए मैंने कहा था और उसने घंटा प्रतिदिन की भान्ति सही समय पर ही बजाया है ।आज दूसरी बात हो गई है ।पूरब वाले लोगों ने हमारे यहां सूरज को आने से रोक लिया है। इस पर शेरसिंह बोला कि ऐसा उन्होंने क्यों किया ? बबलू चीते ने कहा कि पूर्व के जंगल वाले लोगों का कहना है कि यदि आप हमको पानी नहीं देंगे तो हम आपको सूरज का प्रकाश नहीं देंगे ।
इस पर मूर्ख शेरसिंह ने कहा कि अब हमको शीघ्र ही पूर्व के जानवरों पर चढ़ाई कर देनी चाहिए ।इस पर बबलू चीते ने कहा कि महाराज ऐसी अंधेरी रात में तो हम चढ़ाई भी नहीं कर सकते ।क्योंकि इस अन्धकार में तो युद्ध भी नहीं हो पाएगा। तब शेरसिंह ने बबलू से पूछा कि तो फिर क्या उपाय है ,सूरज निकलना तो आवश्यक है । इस पर बबलू चीते ने कहा कि महाराज हम उनसे एक सौदा कर लेते हैं अर्थात पानी के बदले उनसे प्रकाश ले लेते हैं । यह बात शेर सिंह को समझ आ गई और उसने कहा कि ठीक है , जाइए ! अपने यहां की दीवार तोड़ दो और उनके यहां पानी जाने दो । जब तक दीवार तोड़ी गई तब तक सुबह का सवेरा हो गया था ।
सभी जंगली जानवरों की जान बच गई थी ,अन्यथा मूर्ख शेर सिंह ने तो पूरे जंगल को ही नष्ट करने की मानो प्रतिज्ञा ही कर ली थी ।
अब आते हैं अपने देश की राजनीति पर । कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी जिस प्रकार की राजनीति कर रहे हैं वह राष्ट्रहित में नहीं कही जा सकती हैं । राहुल गांधी बोलने में मुखर तो अवश्य हुए हैं परंतु उनका यह मुखर पन नकारात्मक दिशा में जा रहा है और उनकी छवि सत्ता प्राप्ति के लिए अति आतुर ऐसे राजनीतिज्ञ की बन रही है जो झूठ पर झूठ बोलता जा रहा है और जिसे सत्ता प्राप्ति के लिए किसी भी प्रकार का हथकंडा अपनाने से कोई परहेज नहीं है ।
अब उन्होंने किसानों का ऋण माफ कराने का हथकंडा अपनाया है । यद्यपि राजस्थान के बारे में वह स्वयं भी जानते हैं कि वहां के 59लाख किसानों पर लगभग एक लाख करोड़ रुपए का जो ऋण है, उसे राजस्थान सरकार माफ नहीं कर सकती । वैसे भी राजस्थान का सरकारी खजाना खाली है । राजस्थान सरकार 28000 करोड का ही ऋण ले सकती हैं । भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे सिंधिया लगभग 25000 करोड का ऋण लेकर इस मियाद को पहले ही पूरा कर चुकी हैं । यदि फिर भी लेकर ऋण माफी की गई तो राजस्थान में विकास कार्यों का क्या होगा ? कोई है जो कांग्रेस के ‘राजा शेरसिंह ‘ को समझा सकता हो कि यदि पूर्व वालों ने सूरज को रोक लिया तो राजन ! कोहराम मच जाएगा ।
राजनीतिक मूर्खताएं कर करके हमने बड़ी भारी कीमत चुकायी है, पर हमारे राजनीतिज्ञ हैं कि नई-नई मूर्खताएं करते जाते हैं । वह इतिहास से कोई सबक लेना नहीं चाहते और उन्होंने अपनी निजी महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए सारे देश को ही प्रयोगशाला बनाकर रख दिया है । इनकी मूर्खताओं के अनेकों उदाहरण है ।
ऐसा नहीं है कि इस स्थिति के लिए केवल राजनीतिज्ञ ही उत्तरदायी हैं । दोष हम लोगों का भी है । जनता भी समझने को तैयार नहीं है । हमारा मानना है कि राजाओं की इस प्रकार की सोच के लिए जनता भी बराबर की दोषी है। हमारी सोच भी ऐसी बन चुकी है कि कानून तो कठोर हो , पर वह लागू पड़ोसी पर हो । टैक्स तो लिया जाये ,पर मुझसे ना लेकर पड़ोसी से लिया जाए। हर वर्ग टैक्स देने से बचता है । बसों और रेलों में किराया देने तक से बचता है ।फिर भी देश के लिए सोचता है कि देश विकास के मामलों में सारे संसार के देशों को पीछे छोड़ जाए। हमारी सोच का लाभ ‘शेरसिंह ‘ उठाते हैं और हमें चुनावों के समय खरीद लेते हैं । हम बिके हुए लोकतंत्र के बिके हुए मतदाता हैं । हमारी सोच संकीर्ण है और इसके उपरांत भी हम कह रहे हैं कि हम महान भारत के महान भविष्यदृष्टा हैं । जबकि ऐसा कभी नहीं हो सकता।
हमारे देश के राजनीतिज्ञ गद्दी पाने के लिए देश के खजाने की नीलामी करते हैं और हम नीलामी होने देते हैं । हम ऐसा केवल इसलिए होने देते हैं कि ये राजनीतिज्ञ हमें जो झूठे आश्वासन देते हुए दिखाई देते हैं ,या हमें खरीदने के लिए जो कीमत लगाते हैं , हम उस कीमत को अपनी जमीर को बेचने के लिए पर्याप्त मान लेते हैं । जब भी किसी देश के मतदाताओं की, लोगों की या निवासियों की ऐसी स्थिति हो जाती है कि वह सुविधा भोगी हो जाते हैं और कर्तव्य से भाग जाते हैं या कहिए कि जब जब अधिकारों के लिए किसी वर्ग , समाज और राष्ट्र में अधिक से अधिक पाने की प्रवृत्ति उत्पन्न हो जाती है, तो उस समय उस देश का विनाश निकट होता है । ‘ शेरसिंह ‘ यदि आज हमें मिटाने की योजना बना रहा है या ऐसी मूर्खता कर रहा है तो समझ लें कि ‘ शेरसिंह ‘ को ऐसा करने के लिए हमने ही अवसर दिया है । यह ध्यान भी रखने की आवश्यकता है कि यदि ‘शेरसिंह ‘ इस बार सफल हो गया तो परिणाम बहुत भयंकर आएंगे ।
हमारे देश के राजनीतिज्ञ इसी लोकतंत्र के नीचे फल-फूल रहे हैं ।जिसमें वह देश के लोगों को परिपक्व सोच का नागरिक न बनने देने के लिए कृतसंकल्प हैं । इन सब का एक ही कॉमन मिनिमम एजेंडा है कि देश के लोगों की आंखों पर जादू की पट्टी बांधे रखो और सम्मोहन की क्रिया के माध्यम से इन्हें सच मत देखने दो। यदि देश का नागरिक या मतदाता सच देखने, समझने व सुनने में सक्षम हो गया तो फिर जितने राजनीतिक जादूगर देश में घूम रहे हैं इन सब की दुकानें बंद हो जाएंगी । तब शेरसिंह कोई मूर्खतापूर्ण राजाज्ञा नहीं दे पाएगा ।अत: आवश्यकता देश के लोगों के परिपक्व होने की है, अन्यथा कोई भी ‘ शेरसिंह’ किसी भी समय जंगल की नदी का पानी रोकने का आदेश दे सकता है, जिसमें सारा देश डूब कर मर जाएगा ,क्योंकि इन ‘ शेरसिंहों ‘ के पास कोई ऐसा बबलू चीता मित्र नहीं है जो उन्हें सही परामर्श दे सके ।जिनके परामर्शदाता ही ‘शेरसिंह के बाप’ हों,उन ‘शेरसिंहों ‘ से आप कैसे निर्णयों की अपेक्षा कर सकते हैं? तनिक सोचिए ,विचारिये और सोच विचार कर ही 2019 में अपना वास्तविक ‘शेरसिंह ‘ चुनिए। ऐसा ‘शेरसिंह’ जो इस राष्ट्र का कल्याण कर सके और इस राष्ट्र को विश्वगुरु के पद पर विराजमान कर सके । इसी समय सोशल मीडिया पर एक विचार बहुत बेहतरीन ढंग से फैल रहा है । जिसमें कहा गया है कि भाजपा हो चाहे कांग्रेस हो – अपने चुनावी वायदों को पूरा करने के लिए देश के नागरिकों से वसूले गए टैक्स को वह ऐसे फिजूल वायदों को पूरा करने में खर्च नहीं कर सकते जो देश के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता हो ।इसके विपरीत उन्हें अपने पार्टी फंड से अपने चुनावी वायदों को पूरा करना चाहिए । यह बात बिल्कुल सही है । देश के खजाने को अपने चुनावी वायदों को पूरा करने में लगाने का अभिप्राय है कि यह राजनीतिक दल सत्ता को हमारे द्वारा दिए गए टैक्स से अपने लिए खरीदते हैं और फिर उसका दुरुपयोग करते हैं।
ऐसे में आपका मत ही मूल्यवान नहीं है ,अपितु समय भी बहुत मूल्यवान है ।ऐसा ध्यान करके देश को बचाने के लिए अपने मत का प्रयोग करना आप और हम सबकी जिम्मेदारी है।
सचमुच भारतीय मतदाता इतना सरलमति है कि शेरसिंह और बबलू की कहानी ही देश हित कुछ समझदार बना उसे सोचने को विवश कर सकती है| लेकिन मुझे शेरसिंह और उसके सभी बबलू पूर्व में नहीं पश्चिम में बैठे शेरसिंह के बाप के नियंत्रण में दिखाई देते रहे हैं जो उलटा हमें बोतलों में पानी दे हमारे सूर्य की किरणें ही हमसे चुराते रहे हैं! तिस पर मेरी चिंता बनी रहेगी कि केवल सरलमति ही नहीं बल्कि पश्चिम में शेरसिंह के बाप से पूरी तरह प्रभावित हमारे पूर्व में तथाकथित बुद्धिजीवी बबलू अपने शेरसिंह को समर्थन दे कभी भी कांग्रेस-मुक्त भारत को पनपने नहीं देंगे|
युगपुरुष मोदी जी ने अधिकारी-तंत्र व देश में एक सो पच्चीस करोड़ भारतीयों और उनमें शेरसिंह के बबलू बने गीदड़ों को कांग्रेस-मुक्त भारत के विकास हेतु सब मिल काम करने को कहा था| ऐसा लगता है कि २०१९ के आते आते स्थिति कुछ ऐसी बन गयी है कि अँधेरी रात को खाने की खोज में एक भूखा बबलू गीदड़ गाँव में रंगरेज के नीले रंग से भरे कठरे में जा गिरा| जंगल में रहते सभी जानवर नीले गीदड़ को देख अचंभित रह गए और उसे जंगल का राजा मान लिया| उसके गले में “मैं जंगल का राजा हूँ” का लेबुल भी टांग दिया| आकार और आकृति के अनुसार उसका ब्याह गीदड़नी से होने पर वह मजे मजे जंगल में रहने लगा| नीले गीदड़ ने अकस्मात जंगल के उस हिस्से में शेरसिंह के बाप को आता देख स्वयं भागने की तैयारी में सभी जानवरों को भी भागने को कहा| गीदड़नी बोली महाराज आप तो राजा हैं और आपके गले में लेबुल भी टंगा है| “सो तो ठीक है, लेकिन कमबख्त शेरसिंह के बाप को पढ़ना—पढ़ने से तात्पर्य उसके राष्ट्रवादी होने से है—नहीं आता!” कह नीला गीदड़ भाग लिया|
पिछले सात दशकों में चुनावी वायदों ने हमें मूर्ख बना रखा है| युगपुरुष मोदी के नेतृत्व व दिशा-निर्देशन के अंतर्गत अब सभी अच्छे पुराने और नए वायदों को शनैः शनैः कार्यान्वित करती केवल भाजपा ही मूर्ख शेरसिंह और उसके सभी बब्लुओं से देश को मुक्त करा सकती है| अति आवश्यक है कि “ऐसा ध्यान करके देश को बचाने के लिए अपने मत का प्रयोग करना आप और हम सबकी जिम्मेदारी है।”