1000 टन सोने की तलाश मे खुदाई शुरू की गई थी और हाथ लगीं कुछ काँच की चूड़ियाँ, लोहे की कीलें पत्थर के छोटे से शेर,मिट्टी चीज़े और कुछ बीड़्स। अब पुरातत्व विभाग ने इतना खोज लिया काफी है, अब होता रहेगा इन पर शोध पर सोना तो एक ग्राम भी नहीं मिला जिसका सपना शोभन सरकार ने देखा था और देश को दिखाया था। 18 अक्तूबर से शुरू हुई खुदाई बन्द करदी गई है, पर अब भराई होगी या नहीं कौन जाने ये गड्ढाअगली बरसात मे तलाब बन जाये।
हमारे केन्द्र की यू.पी.ए. सरकार और उत्तर प्रदेश की सपा सरकार साधु संतो के सपनो पर भरोसा करने लगी हैं साथ ही कर दाताओं का पैसा ऐसे काम पर ख़र्च कर रहीं थी जिससे कुछ हासिल होने की संभावना लगभग शून्य ही थी । साधु महाराज पहले ही कह चुके थे कि यदि उनके गुरु की अनुमति के बिना किसी ने सोने को हाथ लगाया तो सोना वहाँ से ग़ायब हो जायेगा। ये भी कहा जा रहा था कि जिस राजा का सोना वहां दबा हुआ होने की बात की जा रही है वह इतना अमीर था ही नहीं जो इतनी बड़ी मात्रा मे सोना ख़रीदकर रखता। इस खुदाई मे ASI और GSI दोनो भाग ले रहे थे । TV चैनलों की OB वैनो का जमावड़ा भी लग गया था । स्थानीय लोग भी तमाशा देखने पंहुच रहे थे, पुलिस सुरक्षाकर्मी हैं, और देशी विदेशी पत्रकार हैं, तो खाने पीने की चीज़ें बेचने भी ठेलेवाले पंहुच चुके थे । एक और अंधविश्वास… एक और अफवाह… एक और पीपली लाइव……..
वैसे ये तो आप सब जानते ही हैं खोदना भारत की ‘नैशनल हौबी’ या ‘नैशनल टाइमपास’ है।हमारे देश मे खोदने काम बड़े शौक से किया जाता है। कभी टैलीफोन के केबल डालना फिर भरना फिर सीवर लाइन वालों का खोदना, खुदा पड़ा रहना महीनो तक फिर भरना चलता रहता है । सड़कों पर खुदाई का नज़ारा बना रहेगा, यातायात मे असुविधा होती है तो हो, बहुतों को काम मिलता है बहुतों की जेब भरती है, फिर ये तो ‘नैशनल हौबी’ है। ख़ुदा और खुदा मे बस एक नन्ही सी बिन्दी का ही तो अन्तर है, इसलियें ये तो पूजा है, इबादत है। थोड़ा कष्ट लोग उठा लेंगे तो क्या हुआ….
एक जगह बोरिंग करो, पानी न मिले तो गड़ढ़ा खुला छोड़कर कंही और चल दो। कुछ बच्चे गिरेंगे, कुछ मरेंगे, एक दो को बचा लेंगे हमारा मीडिया हर दौड़ मे सबसे आगे रहता है, सबको सबसे पहले ख़बर देनी है फिर एक और पीपली लाइव……
एक जमावड़ा TV चैनलों पर लगता है रात मे बहस के लियें । बहस के लियें नया मुद्दा भी मिल जाता है, बोलने और देखने वालों का समय कट जाता था ये सब चैनल बहस तो सब मुद्दों पर करवाती पर नतीजा कुछ नहीं निकलता। अपनी अपनी ढ़पली अपना अपना राग, सब बोलते है सुनता कोई नहीं बस ये भी एक टाइम पास…….. फिर इस बार तो ख़ज़ाने का सवाल था, मिलना कुछ था नहीं हिस्सेदारी बात होने लगी थी। विदेशी मीडिया भी मज़े लेने पंहुच गया था, अब दुनिया को भारत की यही तस्वीर देखने का शौक है तो वो क्यों न दिखायें !हम पीपली लाइव सजाते रहें, अपना मज़ाक उड़वाते रहने मे ख़ुश हैं, तो वो ख़ुश क्यों न हो …हम सबको ख़ुश करें चाहें अपना मज़ाक उडवाकर इससे अच्छी बात क्या होगी…. इसलियें यहाँ पीपली लाइव सजते रहेंगे…. हमेशा इसी तरह !