जीव ही जीव के जन्म मृत्यु का कारण होता

—विनय कुमार विनायक
तुम जिसे देखते हो
जरुरी नहीं कि वह वही हो
जिसे तुमने अभी-अभी देखा
एक नन्हे शिशु के रूप में
हो सकता है पिछली बार
जब तुमने उसे देखा होगा
तब वह कुछ और रहा होगा
अभी-अभी तुम देखते हो
किसी सांप बिच्छू के बच्चे को
हो सकता है कुछ दिन पूर्व
वे तुम्हें दिखे हों कहीं मरते हुए
बूढ़े जवान पुरुष स्त्री रूप में
यह तय है कि तुम हमेशा से
किसी न किसी जीव को देखते
पहलीबार किसी न किसी रुप में
फिर खास समयांतराल के बाद
वो हमारी दृष्टि से लुप्त हो जाता
हो सकता है वह मर गया हो
और उसका जन्म भी हो गया हो
किसी दूसरे जीवात्मा के रूप में
मगर तुमने उस जीव को उनके
मृत्यु के बाद जन्म के पहले नहीं देखा
तुम देखते हो किसी को मरते हुए
पर जरुरी नहीं उसे जन्म लेते भी देखो
अगर तुमने किसी को जन्म लेते देखा
पर जन्म के पूर्व वो किस रुप में था
यह तुम इन आंखों से नहीं जान पाते हो
हो सकता है जिसे तुम पुत्रादि रूप में
अभी इस काल में जन्म लेते देखते हो
वो पूर्व काल में तुम्हारा मृत्यु कारण रहा हो
इस तरह हरक्षण हर काल किसी न किसी
नए जीव जंतुओं को हम देखते रहते
जो पहली दृष्टि के पूर्व वो नहीं रहा होगा
जिसे तुमने अभी-अभी देखा है
या जो अभी तुम्हारा स्वजन बंधु बांधव है
वो पहले तुम्हारा प्राणघाती भी रहा हो
यही तो है जीवन और मृत्यु की गुत्थी
आत्मा के जन्म मृत्यु पुनर्जन्म का रहस्य
हर जीव जंतु दूसरे जीव जंतुओं के
जन्म मृत्यु का कारण होता रहा इस लोक में
छोटे बैक्टीरिया वाइरस बड़े जीवों को मारते
जो व्यक्ति लंबे काल से तुम्हारे अपने हैं
वे तत्काल किसी काल में शत्रु बन जा सकते
लेन देन या किसी और अन्य वजह से
एक जीव दूसरे जीव के लिए
किसी काल में काल महाकाल
यमराज मृत्यु का दूत होता है
हर काल पूरे जीवन काल में
जीव जंतुओं के बदलते रहते
अपने पराए रिश्ते नाते यहां!
—विनय कुमार विनायक

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