—विनय कुमार विनायक
भारत में वर्ण व्यवस्था बंद घेरा,
बंद घेरे से निकल पाने में फेरा!
वर्ण और वर्ग में बहुत हीं अंतर,
वर्ग में वर्ग परिवर्तन के अवसर!
आज का गरीब कल होता अमीर
अमीरी गरीबी में बदलाव निरंतर!
प्रयत्न कर्म सश्रम के बलबूते पर,
वर्ग बदलना,नहीं भाग्य पे निर्भर!
वर्ण में कोई बदलाव चुनाव नहीं,
वर्ण व्यवस्था में ब्राह्मण, क्षत्रिय,
वैश्य, शूद्र जैसे चार बंद घेरे बने
एक घर से दूजे में जाना मनाही!
शूद्र को बताए गए तुम शूद्र हो
पिछले जन्म के पापकर्म से ही,
तुम ब्राह्मण में जन्म ले सकते
इस जन्म में पुण्य कर्म कर के!
भंगी का भाग्य भंग हो गया है,
शूद्र को शुद्ध कर दिया गया है,
भंगी भाग नहीं सकते भाग्य से
शूद्र मिल नहीं सकते द्विज से!
भारत में भाग्यवाद का चलन है,
भारत में जातिवाद का जलन है,
भंगी को भांग पिला दिया गया,
शूद्र के मन में जहर भरा गया!
तुम पूर्व जन्म के पाप कर्म से,
तुम पापयोनि में जन्म लिए हो
कर्म करो अच्छा, इस जन्म में
अगले जन्म में ब्राह्मण बनोगे!
भारत में ब्राह्मण बनने की होड़,
बांकी तीन वर्णो में नहीं गठजोड़,
भारत की गुलामी का कारण था,
क्षत्रिय के सिवा सभी थे रणछोड़!
ब्राह्मण विराट पुरुष के सिर थे
धड़ से अलग थलग दूर पड़े थे,
क्षत्रिय सीमा पर अकेले लड़े थे
पचहत्तर प्रतिशत बेदम खड़े थे!
—विनय कुमार विनायक