भारत आर्य अनार्य द्रविडों का है मगर आक्रांताओं का नहीं है

—विनय कुमार विनायक
सुनो संतों! भारत आर्य अनार्य द्रविडों का देश है,
मगर इस्लामी आक्रांता महमूद गजनवी, गोरी के
गुलाम, खिलजी, तुगलक, सैयद, लोदी, मुगलवंशी
बर्बर तुर्क बाबर,औरंगजेब और अंग्रेजों का नहीं है!

भारत में आर्य अनार्य अलग कोई जाति नहीं थी,
बल्कि आर्य एक उपाधि रही है श्रेष्ठ महाजनों की,
ब्राह्मण रावण अनार्य,पर अनुज विभीषण आर्य थे,
क्षत्रिय कृष्ण आर्य,पर मामा कंश असुर अनार्य थे!

भारत में नस्लभेद नहीं,भारत में नस्लीय लड़ाई नहीं,
सभी लड़ाई अपनों के बीच अच्छाई बुराई की हुई थी!

देवासुर संग्राम देव-दानव-दैत्य दायाद बांधवों में था,
कश्यप अदिति से आदित्य देव,कश्यप दिति से दैत्य,
कश्यप दनु से दानव, कश्यप कद्रू से नाग जन्मे थे,
सभी एक पिता और तेरह बहन माताओं के मौसीपुत्र
आपस में देव दानव दैत्य नाग आदि दायाद भाई थे!

परशुराम सहस्त्रार्जुन संघर्ष ब्राह्मण क्षत्रिय अमर्ष था,
आर्य आदिवासी नहीं,ब्राह्मण क्षत्रिय द्विपक्ष आर्य का!
राम रावण युद्ध में वनवासी,आर्य राम के संगी-साथी,
इसलिए मत कहो भारत अनार्य भूमि, आर्यों की नहीं!
महाभारत की लड़ाई भाई-भाई के बीच में लड़ी गई थी,
आर्यों को बाहरी व द्रविडों को भीतरी कहना ठीक नहीं!

भारत में आर्य द्रविड़ अलग कुल कुन्वा नहीं,
बल्कि द्रविड़ हैं आर्य ययातिपुत्र द्रहयु संतति,
जिन्हें दक्षिण भारत की हिस्सेदारी मिली थी,
उत्तरी आर्य, दक्षिणी द्रविड़ में कोई भेद नहीं!

आर्य ययाति जम्बूद्वीप के चक्रवर्ती सम्राट हुए,
चंद्रवंश के ययाति ने अपने पांच पुत्रों में से चार
यदु द्रहयु अनु पुरु को आर्यावर्त व द्राविड़ दिए!

यदु से यादव हैहय,द्रहयु से द्रविड़,अनु से आनव,
पुरु से पौरव कौरव,तुरु तुरुष्क से तुर्क वंश चला!
पांचवें तुरुष्क को भारत बाह्य तुर्किस्तान मिला,
लेकिन तुरुष्क वंशी तुर्क बने भारत का आक्रांता!

परन्तु उत्तर और दक्षिण में नहीं कोई संघर्ष हुआ,
द्रविड़ से आई भक्ति उत्तर को स्वीकार्य सहर्ष था,
द्रविड़ शंकराचार्य रामानुजाचार्य थे आर्य; वेदज्ञाता!

ययाति थे दानवगुरु भार्गव और्व शुक्राचार्य जमाता,
और्व से अरब बना और्व का एक नाम था काव्या,
काव्या मंदिर मकेश्वर महादेव अब बना मक्का!

दैत्य दानव गुरु शुक्राचार्य के सम्मान में अरबी
इस्लामी शुक्रवार को जुमा मनाते कहते शुक्रिया,
जमाई चंद्रवंशी ययाति की शान में चांद पताका,
ये वसुधैव कुटुंबकम्, पर समझते नहीं आक्रांता!

भारत का एकमात्र नारा ‘कृण्वंतो विश्वम् आर्यम’,
पूरी वसुंधरा सभ्य शिक्षित श्रेष्ठ मानव ‘मनुर्भव:’
राम आर्य, कृष्ण बुद्ध महावीर दसगुरु आर्य थे,
शुद्र तो क्षुद्र आचरण वश लोग स्वयं बन जाते!

सुनो शान्तिदूतों! बाबा आदम के सपूतो! आदमी हो,
तो आदित्य सूर्यपुत्र वैवस्वतमनु के वंशज मानव हो,
आद का अर्थ सूर्य,आद से आदम यानि सूर्यपुत्र मनु,
अरबी जुबान में जिसे पैगम्बर नूह,अब्राहम या ब्रह्म
आदम-मनु-नूह, अब्राहम-ब्रह्मा को अलग ना समझो!

भारतवंशी हो पर अरबी फारसी तुर्की में गुफ्तगू करते,
भारत की मिट्टी से बने खुद को अरबी तुर्की समझते,
भारत है उनका जो भारत को अपनी मातृभूमि मानते,
जो आक्रांताओं के समर्थक वे भारतीय कैसे हो सकते?
—-विनय कुमार विनायक

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