इक़बाल हिंदुस्तानी
मुसलमानों के खिलाफ़ हिंदू ध्रुवीकरण के लिये सियासी हथियार?
‘‘लव जेहाद** वो शब्द है जो पहले भी कभी कभी सुनने में आता था लेकिन पिछले दिनों यह तब ज़्यादा चर्चा में आया जब यूपी में उपचुनाव होने थे। भाजपा चाहे जितना इनकार करे लेकिन सच यही है कि यह उसका एक सोचा समझा हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण का मुसलमानों के खिलाफ सियासी हथियार है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि पूरा संघ परिवार मुसलमानों से घृणा करता है और चाहता है कि समाज में उनको अलग थलग किया जाये। उनके आर्थिक बहिष्कार की योजना भी गाहे बगाहे सामने आती रही है। इसके लिये रोज़ नये नये शिगूफे छोड़े जाते हैं जिससे हिंदुओं को भाजपा के पक्ष में एकत्र किया जा सके। लव जेहाद भी एक ऐसा ही राजनीतिक टोटका है। लव और जेहाद दो अलग अलग और विपरीत अर्थ वाले शब्द हैं लेकिन इनको अंग्रेज़ी और उर्दू का होने के बावजूद इस तरह से जोड़ा गया है जैसे यह मुसलमानों का बाकायदा कोई अभियान या मिशन हो।
सवाल सबसे पहले यह किया जाना चाहिये कि क्या भाजपा के लव जेहाद का मुद्दा उठाये जाने से पहले यह नहीं हो रहा था? क्या किसी मुस्लिम लड़के का किसी हिंदू लड़की से लवमैरिज करना ही है लव जेहाद है? तो हिंदू लड़के का मुस्लिम लड़की से लवमैरिज करना क्या कहा जायेगा? अगर इतिहास में थोड़ा पीछे चलें तो इंदिरा गांधी का एक पारसी फ़िरोज़ गांधी से शादी करना क्या था? राजीव गांधी का एक ईसाई सोनिया गांधी से लव मैरिज करना क्या था? संजय गांधी का एक सिख की बेटी मेनका गांधी से प्रेम विवाह करना क्या हिंदू जेहाद था? प्रियंका गांधी का एक ईसाई राबर्ट बढेरा से प्यार के बाद शादी करना क्या कहा जायेगा? खुद भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी और शाहनवाज़ हुसैन का हिंदू लड़कियों से शादी करना, आडवाणी जी की भतीजी और सुब्रमण्यम स्वामी की बेटी का मुसलमान से शादी करना उनको लवजेहाद नहीं लगता?
इन शादियों पर तो कभी संघ या भाजपा को एतराज़ नहीं हुआ क्यों? क्योंकि इसमें कोई भी सियासी लाभ नहीं था? ये लोग तो सत्ता के शीर्ष पर बैठे थे इन पर तो और ज्यादा आपत्ति होनी चाहिये थी लेकिन नहीं हुयी क्योंकि इससे उस समय के आरएसएस के राजनीतिक विंग जनसंघ को कोई राजनीतिक लाभ नहीं होने वाला था। अभी भी देश में ऐसी लवमैरिज खूब हो रही हैं जिनमें लड़के हिंदू हैं और लड़कियां मुस्लिम या दूसरे गैर हिंदू वर्ग की लेकिन उन पर संघ परिवार कोई हायतौबा नहीं मचाता क्योंकि इससे उसको सियासी फ़ायदा नहीं होना है। हम जानना चाहते हैं कि क्या अंतरधार्मिक विवाह एकतरफा हो रहे हैं? नहीं बस इसमें आंकड़ों का अंतर हो सकता है। यह तो नहीं मालूम कि इसमें दोनों वर्गों की लड़की और लड़के की तादाद कितनी है लेकिन यह सच है कि इसमें अंतर होगा और इसकी वजह भी हम बताये देते हैं कि संख्या का अंतर क्यों होगा?
दरअसल लव जेहाद के इस आरोप में यही थोड़ी सी सच्चाई है जिसको संघ परिवार ने राई का पहाड़ बनाया हुआ है। लवमैरिज मुस्लिम समाज का कोई तयशुदा एजेंडा या प्रोग्राम नहीं है बल्कि यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जो दो समुदायों के साथ रहने से हर देश और हर हाल में होगी। तादाद का अंतर इसलिये है कि एक तो मुसलमानों की आबादी हिंदुओं की आबादी से एक बटा पांच है। दूसरे मुस्लिम लड़कियां अकसर पर्दा करती है जिससे उनके हिंदू लड़कों के संपर्क में आने की संभावना काफी कम हो जाती है। तीसरे उनकी ऐसी तादाद बहुत कम है जो उच्च शिक्षा या नौकरी आदि के लिये घर से बाहर निकली हो। चौथे उनके परिवार का उन पर निगरानी और लड़के के हिंदू होने पर शादी की बात सोचना उनकी मौत का खाप पंचायती फ़रमान जारी होना तय माना जाता है।
अगर मुस्लिम लड़की हिंदू लड़के से घर से भागकर शादी करने का दुस्साहस करती भी है तो कई बार उसके सर पर उसके परिवार की अपमान का बदला लेने की मौत की तलवार हर समय लटकी रहती है और कई हत्याकांड ऐसे हो भी चुके हैं। कई मामलों में मुस्लिम लड़की अकसर अपने परिवार के डराने धमकाने से हिंदू लड़के से शादी का इरादा छोड़ने को मजबूर कर दी जाती है नहीं तो ऐसे मामलों में भी हिंदू लड़के को मुस्लिम बनकर शादी करने की छूट दी जाती है लेकिन अब यह देखने में आ रहा है कि मुस्लिम लड़कियां भी हिंदू लड़कों से काफी बड़ी तादाद में शादी करने लगीं हैं। फिल्म इंडस्ट्री और उच्च शिक्षित व सम्पन्न मुस्लिम परिवारों में तो इस तरह की लवमैरिज आम हो चुकी हैं।
अब सवाल यह है कि जब सारे तर्क और कारण चीख़ चीख़ कर यह साबित कर रहे हैं कि लव जेहाद नाम की कोई चीज़ वास्तव में अस्तित्व में है ही नहीं तो क्यों संघ परिवार इस फ़र्जी आरोप को इतने जोर शोर से हिंदू समाज के बीच मुद्दा बना रहा है जैसे देश पर कोई बहुत बड़ी आपदा आ गयी हो और सब मसलों को एक तरफ रखकर पहले इसे हल किया जाये? वजह वही है कि यह सब एक राजनीतिक चाल है जिसको संघ परिवार न तो अपनी संगठित शक्ति के बल पर आंदोलन प्रदर्शन और ऐसी शादी करने वाले जोड़ों के साथ हिंसा करके रोक सकता है और ना ही वह अपनी बहुमत की मोदी सरकार से ऐसा कानून बनवाकर उसे रोकना चाहता है क्योंकि वह खुद भी जानता है कि यह संविधान की मूल भावाना के खिलाफ होगा और ऐसा कोई कानून बनाने का प्रयास ना तो संसद में सफल होगा और ना राज्यसभा से पास होगा और ना ही इसे प्रेसीडेंट प्रणव मुखर्जी लागू होने देंगे और सबसे बढ़कर इसे जब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जायेगी तो यह कानून टिकेगा नहीं।
अब सवाल यह है कि जब संघ परिवार को पता है कि लव जेहाद किसी तरह से रूक नहीं सकता तो इस मामले पर इतनी हाय तौबा क्यों मचाई जा रही है? जवाब वही है कि शादी के लिये हिंदू लड़की को पहले मुसलमान बनाना और बाद में विवाद होने पर तलाक देकर दर दर भटकने के लिये छोड़ देना, मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत गुज़ारा भत्ता देने से इनकार करना या दो चार मामलों में अपवाद स्वरूप उनको मुस्लिम लड़कों के ज़रिये शादी के नाम पर धोखा देकर उनसे वेश्यावृत्ति जैसा घिनौना काम तक कराना संघ परिवार को एक राजनीतिक लाभ का सौदा दिखाई देता है जिससे वे एक ऐसा मुद्दा उठा रहे हैं जो ना कोई बड़ी समस्या है और ना ही देश से सारे मुसलमानों को बाहर निकाले बिना वे इसको किसी तरह से भी रोक सकते हैं।
वे यह भी जानते हैं कि सारे मुसलमानों को हम खत्म भी नहीं कर सकते या डरा भी नहीं सकते कि वे खुद ही ऐसी शादियां करनी छोड़ दे ंतो इस तरह से यह बात साफ हो जाती है कि संघ परिवार भी जानता है कि देश में लव जेहाद नाम का कोई मुद्दा है ही नहीं लेकिन हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण और मोदी सरकार की अभी से नज़र आ रही नाकामियों को छिपाने के लिये यह एक अच्छी चाल मानी जा रही है। अगर मोदी सरकार इतनी ही कामयाब होती और जनता को अच्छे दिन आते दिखते तो भाजपा दिल्ली में चुनाव से भागकर जोड़ तोड़ और खरीद फरोख़्त की सरकार बनाने की बेशर्मी नहीं करती।
0हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम,
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता।।
इक़बाल साब , क्या आपको लव जिहाद और अंतर्धार्मिक विवाह का अंतर समझ नही आ रहा क्या ? …..असल में , जिस चीज से संघ परिवार या हिन्दुओ को परेशानी है या होनी चाहिए , उसे लव जिहाद कहना ही भ्रामक है . इसे ” हेट जिहाद ” कहा जाना चाहिए . तब शायद बात साफ़ होगी ….. लेकिन क्यूकि मुसलमान लडके , प्रेम का बहाना करके हिन्दू लडकियों को अपने जाल में फसाते है , शायद इसलिए इसे लव जिहाद कहा गया होगा ………… आपके सवालों का जवाब और आपकी उलझन , आपके लेख में ही छिपी है . आपने सेकंड लास्ट पैरा में लिखा है कि ” शादी के लिए हिन्दू लडकी को पहले मुसलमान बनाना और बाद में विवाद होने पर तलाक देकर दर दर भटकने के लिए छोड़ देना , मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत गुजारा भत्ता देने से इनकार करना या दो चार मामलो में उनको मुस्लिम लडको के जरिये शादी के नाम पर धोखा देकर उनसे वेश्यावृत्ति जैसा घिनोना काम तक कराना ” ……. बस यही परेशानी या लव / हेट जिहाद है जिससे संघ या हिन्दुओ को एतराज है , अंतर्धार्मिक शादी से नही ………………… और लव / हेट जिहाद का ये गंदा धंधा और भी घिनोना लगने लगेगा , अगर इसमें रेप / गैंग रेप और उसके बाद कन्वर्जन / हत्या / लडकी की किडनी या गर्भाशय निकालना भी जोड़ दिया जाये ……………….. आपका ये कहना गलत या फ़िज़ूल है कि देश में लव / हेट जिहाद नाम की कोई चीज है ही नही ……….!!
लव जेहाद का फर्जी मुद्दा फ्लॉप हो चुका है अब कोई नया मुद्दा तलाश करना होगा बीजेपी को। हा हा हा।
Baat hai.. haath mein hinduon ka kalawa (Red Color dhaga) bandh kar unhe apne jaal mein fansa kar, shadi ka jhansa de kar salon tak unka shoshan karne aur fir shadi se mukar jane ki ya unhe Muslman banne ke liye prerit karne ki. Apni Galti kaui kaum manti hai kya? (aur khaskar agar muslim hai to kabhi nahin)
R Singhji @ to aap kya chahte hain ki modii raat ko vikas ka koi mantrochhar karein aur agle din aapko sara vikas dikhayi de. Ye jo aajkal vo apne office se lekar mantralyaon tak kar rahe hai aapko samajh nahin aa raha?? Itini saari yojnaye aur videshon se sambandhon mein sudhar aur une yahan paisa lagane ke liye nimantran dena aapki samajh se pare hain kya?
आर.के.त्यागी जी,आपलोगों से अनुरोध है कि आप हिंदी देवनागरी लिपि में लिखिुए.अगर रोमन लिपि में लिखने का इतना ही शौक है ,तो टिप्पणी अंग्रेजी में लिखिए.पढ़ने और समझने में आसानी होगी.देवनागरी लिपि में लिखने के लिए आप प्रवक्ता का वही पृष्ठ देखिये ,जहां यह आलेख प्रकाशित हुआ है.,आपको पता चल जाएगा कि हिंदी को देवनागरी लिपि में लिखना बहुत आसान है.
रही बात विकास के लिए योजनाएं बनाने का ,तो यही तो पिछले सड़सठ सालों से हो रखा है,इसमें नया क्या है? आपलोग भूल गए ,पर मुझे याद है कि नमो ने अगस्त २०१२ में दहाड़ते हुए का था कि मुझे १०० दिनों केलिए देश का प्रधान मंत्री बना दो.मैं विदेशों से सारा काला धन वापस ले आऊंगा.अगर मैं ऐसा नहीं कर पाऊँ तो मुझे फांसी दे देना. इसके बाद क्या कुछ कहने को बाकी रह जाता है? जनता मजबूर थी,मुलायम और सोनिया की पार्टी को वापस लाने के लिए,क्योंकि अन्य कोई विकल्प नहीं था.
जोर तो भाजपा केउपचुनाव प्रचारकों ने बहुत लगाया कि इस लव जिहाद और हिन्दू राष्ट्र का मुद्दा बनाकर चुनाव जीत कर इस फार्मूले को आगे बढाकर उसका लाभ आगे आने चुनावों में उठाया जाये,क्योंकि उनको मालूम हो गया है कि विदेशों से कालाधन तो वापस आने से रहा, और न कोई चमत्कारी विकास होने वाला है.भ्रष्टाचार उन्मूलन की तो बात ही बेकार है,क्योंकि भ्रष्टाचारियों और दागियों द्वारा वह तो संभव ही नहीं है.तो क्यों न अपने उसी फार्मूले को कुछ नमक मिर्च लगा कर आगे बढ़ाया जाए,जिसपर भाजपा ने नब्बे के दशक में तहलका मचा रखा था,पर जनता ने तो इसको एक सिरे से नकार दिया. नई बोतल में पुरानी शराब उसे नहीं पसंद आई.इसका सबसे बड़ा प्रभाव तो फिलहाल हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों पर पड़ने वाला है. पता नहीं दिल्ली में अब भाजपा कौन सा रूख अपनाएगी.यहां तो उनके लिए एक तरफ कुआं और दूसरे तरफ खाई है.अगर अब वे जोड़ तोड़ कर सरकार बनाते हैं,तो हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों में इसका खामिजाना भुगतना पड़ सकता है और अगर तुरत चुनाव कराते हैं,तो आम आदमी पार्टी के जीतने की पूरी सम्भावना सामने आ जाती है.
जोर तो भाजपा केउपचुनाव प्रचारकों ने बहुत लगाया कि इस लव जिहाद और हिन्दू राष्ट्र का मुद्दा बनाकर चुनाव जीत कर इस फार्मूले को आगे बढाकर उसका लाभ आगे आने चुनावों में उठाया जाये,क्योंकि उनको मालूम हो गया है कि विदेशों से कालाधन तो वापस आने से रहा, और न कोई चमत्कारी विकास होने वाला है.भ्रष्टाचार उन्मूलन की तो बात ही बेकार है,क्योंकि भ्रष्टाचारियों और दागियों द्वारा वह तो संभव ही नहीं है.तो क्यों न अपने उसी फार्मूले को कुछ नमक मिर्च लगा कर आगे बढ़ाया जाए,जिसपर भाजपा ने नब्बे के दशक में तहलका मचा रखा था,पर जनता ने तो इसको एक सिरे से नकार दिया.नई बोतल में पुरानी शराब उसे नहीं पसंद आईइसका सबसे बड़ा प्रभाव तो फिलहाल हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों पर पड़ने वाला है. पता नहीं दिल्ली में अब भाजपा कौन सा रूख अपनाएगी.यहां तो उनके लिए एक तरफ कुआं और दूसरे तरफ खाई है.अगर अब वे जोड़ तोड़ कर सरकार बनाते हैं,तो हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों में इसका खामिजाना भुगतना पड़ सकता है और अगर तुरत चुनाव कराते हैं,तो आम आदमी पार्टी के जीतने की पूरी सम्भावना सामने आ जाती है.